नई दिल्ली। दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली आबकारी घोटाला मामले के मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी है। स्पेशल जज एमके नागपाल ने ये फैसला सुनाया। कोर्ट ने 18 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुनवाई के दौरान ईडी ने कहा था कि सिसोदिया मंत्री समूह के मुखिया थे और कैबिनेट के बारे में उनको सारी जानकारी थी। वे आबकारी नीति के बदलाव में मुख्य भूमिका में थे। नीति में फायदा पहुंचाने के बदले रिश्वत ली गई। कोई भी नीति हवा में नहीं बनाई जाती है। मंत्री समूह की बैठक में लाइसेंस फीस और प्रॉफिट मार्जिन को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई। मनीष सिसोदिया के पास 18 विभाग थे। उस समय वह लोगों से मुलाकात करते थे। कुछ लोग उनकी पत्नी की देखभाल करते थे, ऐसे में जमानत के लिए मनीष सिसोदिया पत्नी की सेहत का हवाला नहीं दे सकते हैं।
इससे पहले जमानत याचिका पर 5 अप्रैल को सुनवाई के दौरान सिसोदिया की ओर से कहा गया था कि सिसोदिया के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का कोई मामला ही नहीं बनता है। ईडी का पूरा केस सीबीआई के केस पर ही आधारित है। मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की धारा 3 के तहत किसी भी तरह का अपराध सिसोदिया ने नहीं किया। कोर्ट को यह देखना होगा कि क्या धारा 3 के तहत कोई उल्लंघन किया गया है।
मनीष सिसोदिया की ओर से कहा गया था कि दूसरी एजेंसियां पहले ही इस मामले की जांच कर रही हैं। ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे यह पता चल सके कि सिसोदिया ने मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध किया हो या उसमें शामिल हों। कथित अपराध की आय का एक भी पैसा सिसोदिया या उनके परिवार के किसी सदस्य के बैंक खाते में नहीं आया। उसका इस अपराध से कोई लेना-देना नहीं है। जांच एजेंसी के अधिकारी अपनी सुविधा के अनुसार सिसोदिया के खिलाफ आरोप लगा रहे हैं।
सिसोदिया के वकील ने कहा था कि कैबिनेट ने मंत्री समूह बनाया। मंत्री समूह सभी राज्यों और केंद्र सरकार में भी होता है। मंत्री समूह आंकड़ों के आधार पर पॉलिसी में बदलाव का सुझाव देता है। इसके आधार पर आबकारी विभाग पॉलिसी को ड्राफ्ट करता है। मंत्री समूह पॉलिसी को ड्राफ्ट नहीं करता है।
कोर्ट ने 21 मार्च को जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए ईडी को नोटिस जारी किया था। इस मामले में सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 5 अप्रैल को खत्म हो रही है। 22 मार्च को कोर्ट ने सिसोदिया को 5 अप्रैल तक की न्यायिक हिरासत में भेजा था। ईडी ने इस मामले में मनीष सिसोदिया को 9 मार्च को पूछताछ के बाद तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था। सिसोदिया को पहले सीबीआई ने 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था।
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