पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर जिला अंतर्गत कलियागंज में एक नाबालिग बच्ची की सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या मामले पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। रविवार को राष्ट्रीय बाल अधिकार रक्षा आयोग के चेयरपर्सन प्रियंक कानूनगो पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे। आरोप है कि पुलिस ने उन्हें घटनास्थल पर जाने से रोकने की कोशिश की जिसे लेकर उन्होंने प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़ा किया है। प्रियंक कानूनगो ने कहा कि एक अयोग्य मुख्यमंत्री की छवि बचाने के लिए अयोग्य प्रशासन काम कर रहा है।
उन पर राज्य बाल अधिकार रक्षा आयोग की चेयरपर्सन सुदेशना रॉय ने धारा 144 के उल्लंघन का आरोप लगाया है। इस पर भी पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि अयोग्य मुख्यमंत्री की छवि बचाने के लिए राज्य का अयोग्य कमीशन काम कर रहा है। उसके आरोप का कोई जवाब नहीं देंगे।
उन्होंने कहा रविवार सुबह मृतका के घर जाकर उसके मां-बाप और अन्य परिजनों व पड़ोसियों से मुलाकात कर बातचीत की है। सभी का बयान रिकॉर्ड किया है। दो दिन पहले ही मैंने इस मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी, पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर को बता दिया था कि मुलाकात करनी है, लेकिन किसी ने अभी तक भेंट नहीं की है। इंतजार कर रहा हूं। उनसे बात करने के बाद रिपोर्ट केंद्र सरकार को दूंगा।
रायगंज कर्णजोरा में मौजूद सर्किट हाउस में मीडिया से मुखातिब कानूनगो ने कहा कि पुलिस इतनी लापरवाह है कि अभी तक मृतक के परिवार का बयान तक नहीं लिया है। यह बात परिवार के लोगों ने ही बताई है। बिना परिवार से बात किए पुलिस कैसे किसी भी निष्कर्ष पर पहुंच सकती है, यह अपने आप में सवालों के घेरे में है।
इधर भारतीय जनता पार्टी की सांसद लॉकेट चटर्जी ने घटना की सीबीआई जांच की मांग की है। इसके पहले प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने भी घटना की सीबीआई जांच की मांग शनिवार को की थी।
पीड़ित बच्ची के परिवार की एक सदस्य मल्लिका बर्मन ने बताया कि राज्य पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में आत्महत्या का जिक्र किया है। यह स्वीकार्य नहीं है। यह पूरी तरह से झूठी बात है। इसमें एक युवक के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराई गई है। उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। उसे राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है इसलिए इसके खिलाफ लोग एकजुट हो रहे हैं। हम लोग चाहते हैं कि घटना की सीबीआई जांच हो।
उल्लेखनीय है कि गत शुक्रवार को वारदात के बाद से ही पूरे क्षेत्र में हिंसा भड़क गई थी। शव को सड़क पर रखकर स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया था और काफी देर तक हंगामा करते रहे थे। प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने लाठीचार्ज कर भगाया था और शव को घसीटते हुए ले गए थे, जिसे लेकर भी विवाद खड़ा हुआ था। उस मामले में भी महिला आयोग ने पुलिस महानिदेशक से रिपोर्ट तलब की है।
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