चित्रकूट स्थित रामनाथ आश्रमशाला में दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा 15 दिन का व्यक्तित्व विकास शिविर आयोजित किया गया। 29 अप्रैल तक चलने वाले इस शिविर का उद्घाटन 15 अप्रैल को हुआ। शिविर में कक्षा 5 से लेकर 9 तक के 10 से 15 वर्ष की आयु के बच्चे सहभागिता कर रहे हैं।
19 अप्रैल को दीनदयाल शोध संस्थान के राष्ट्रीय संगठन सचिव अभय महाजन ने बच्चों से जीवन में हमेशा सत्य बोलने, लड़ाई-झगड़ा न करने, मिल-जुल कर प्रेम से और निर्भय होकर रहने की बात की। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के शिविरों से बच्चों में नैतिक एवं चारित्रिक मूल्यों का विकास होता है तथा उनके अंदर छिपी हुई प्रतिभा उजागर होती है।
व्यक्तित्व विकास शिविरों के माध्यम से ग्रामीण अंचल के बालक-बालिकाओं में मानवीय, सामाजिक और वैज्ञानिक गुण विकसित कर उनकी प्रतिभाओं को निखारने का सराहनीय काम किया जा रहा है। शिविर के व्यवस्था प्रमुख अशोक द्विवेदी एवं संजय दुबे ने बताया कि शिविर में लगभग 200 बालक-बालिका अपनी रुचि अनुसार विविध कलाओं का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
त्यराम यादव ने बताया कि शिविर में सामूहिक, शारीरिक, बौद्धिक कार्यक्रमों के साथ 10 विविध कलाओं का व्यावहारिक प्रशिक्षण विषय विशेषज्ञों द्वारा शिविरार्थियों को अलग-अलग समूहों में दिया जा रहा है। इनमें हारमोनियम, ढोलक, तबला, गायन, नृत्य, चित्रकला, अंग्रेजी संभाषण तथा मेहंदी, रंगोली व ब्यूटी केयर सहित दैनिक जीवन में विज्ञान का महत्व आदि में प्रशिक्षित किया जा रहा है।
शिविराधिकारी देवदत्त तिवारी एवं बृजेश त्रिवेदी ने बताया कि दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा विगत 23 वर्ष से प्रतिवर्ष आयोजित हो रहे व्यक्तित्व विकास शिविरों के माध्यम से ग्रामीण अंचल के बालक-बालिकाओं में मानवीय, सामाजिक और वैज्ञानिक गुण विकसित कर उनकी प्रतिभाओं को निखारने का सराहनीय काम किया जा रहा है। शिविर के व्यवस्था प्रमुख अशोक द्विवेदी एवं संजय दुबे ने बताया कि शिविर में लगभग 200 बालक-बालिका अपनी रुचि अनुसार विविध कलाओं का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
टिप्पणियाँ