सीमावर्ती व्यास घाटी के प्रमुख ग्राम गुंजी में 100 फीट ऊंचा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा लहराने लगा है। गुंजी, कैलाश मानसरोवर यात्रा का पड़ाव भी है और भारत-चीन सीमा कारोबार की मंडी के रूप में जाना जाता है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट वाइब्रेंट विलेज के तहत गुंजी, नपलच्यू, कुटी, नाभि सहित कुल सात ग्रामों में लागू किया जा रहा है, जिसमें इन ग्रामों के विकास के लिए करीब 60 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं।
जानकारी के मुताबिक इन ग्रामों के विकास कार्यों की सीधी रिपोर्टिंग पीएम कार्यालय को क्षेत्रीय सांसद दिया करेंगे। तिब्बत सीमा से लीपूपास दर्रे, टनकपुर तक हाईवे बन गया है। व्यास घाटी के उक्त सात ग्राम भी इस सड़क से जुड़ गए हैं। अब यहां ट्रैकिंग, तीर्थाटन और पर्यटन को लेकर बुनियादी ढांचा खड़ा किया जा रहा है। स्थानीय लोगों को भी होम स्टे योजना से जोड़ा जा रहा है। व्यास घाटी में छियालेक, पार्वती ताल आदि कैलाश, ओम पर्वत, कुंती का ग्राम कुटी, काली नदी के उद्गमस्थल काली मंदिर, व्यासगुफा, कैलाश आश्रम जैसे रमणीक स्थल हैं। सरकार ने यहां कैलाश संग्रहालय भी बनाने का निर्णय लिया है। साथ ही मोबाइल टावर भी स्वीकृत किया गया है। अभी यहां आईटीबीपी एसएसबी या केएमवीएन के सेटेलाइट फोन से ग्रामीण अपने परिचितों से बात कर पाते हैं।
स्थानीय लोग सड़क बन जाने से खुश हैं और वे रिवर्स पलायन कर रहे हैं, यहां सेब खुमानी आदि के पौधों को लगाया जा रहा है। यहां राजमा, रामदाना, कुट्टू अनाज के साथ-साथ जड़ी बूटियों की भरमार है। इसीलिए ये क्षेत्र संपन्न क्षेत्र माना जाता है। कुमायूं मंडल विकास निगम यहां आदि कैलाश ओम पर्वत की यात्रा शुरू करने जा रहा है। कोविड के बाद से कैलाश मानसरोवर यात्रा चीन की तरफ से प्रतिबंधित है।
सांसद अजय टम्टा बताते हैं कि उनके द्वारा पिछले दिनों व्यास घाटी का दौरा किया गया और स्थानीय लोगों के साथ चर्चा की है। उन्होंने कहा कि गुंजी नाभि भारत का अंतिम नहीं पहला ग्राम है। यह क्षेत्र जनजाति क्षेत्र कहलाता है। नेता अशोक नंबियाल बताते हैं कि आजादी के 75 साल बाद मानो हमें आजादी के मायने पीएम मोदी ने समझाया है, हमें सड़क चाहिए थी, उन्होंने दी और अब ग्रामों के विकास के लिए बजट जारी किया है हम उनका आभार प्रकट करते हैं।
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