पुलिस अभिरक्षा में माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ पर शूटरों ने जब गोली चलाई तो इससे पहले उसकी जुबां पर सिर्फ गुड्डू मुस्लिम का नाम था। गुड्डू आखिरी बार उमेश पाल हत्याकांड के दौरान बम फेंकते हुए नजर आया था, इसके बाद से पुलिस और एसटीएफ उसकी तलाश में लगी है। लेकिन अभी तक उसका कोई सुराग नहीं मिला है। अपराध जगत में गुड्डू मुस्लिम को लोग ‘बमबाज़’ के नाम से जानते हैं। वह अतीक का दाहिना हाथ और आईएसआई संगठन से मंगाए जाने वाले हथियार को भी वही मैनेज करता था।
सूत्रों की मानें तो माफिया अतीक अहमद और अशरफ से रिमांड में हुई पूछताछ के बाद एटीएस, एसटीएफ और पुलिस के हाथ कई अहम सुराग लगे थे। इसमें एक सबसे खास बात यह समाने आयी थी कि गुड्डू मुस्लिम ही अतीक का सारा नेटवर्क संभालता था। इतना ही नहीं आतंकी संगठनों से पंजाब के रास्ते आने वाले हथियार भी गुड्डू मुस्लिम की देखरेख में ही लाए जाते थे। रिमांड के दौरान अतीक और अशरफ ने कई बार पुलिस कर्मियों से गुड्डू मुस्लिम के बारे में पूछा था। उसको यह डर सता रहा था कि कहीं गुड्डू मुस्लिम के पकड़े जाने के बाद उसके सारे राज पुलिस को न पता चल जाए। इसके अलावा गुड्डू, अतीक के सफेदपोश साथियों के करीब में था। पुलिस के सामने आतंकी संगठन आईएसआई और गुड्डू मुस्लिम के कई और राज खुलते, उससे पहले शूटरों ने अतीक और उसके भाई अशरफ को मार दिया। फिलहाल गुड्डू मुस्लिम की तलाश में टीमें उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के अलावा अन्य राज्यों में भी दबिशें दे रही हैं।
गुड्डू मुस्लिम को जानते हैं ‘बमबाज़’ के नाम से
अतीक अहमद और अशरफ को गुड्डू मुस्लिम की फिक्र सता रही थी। उसके बारे में कहा जाता है कि वह दोनों भाईयों का सबसे भरोसेमंद आदमी था। उसे बम बनाने का ज्ञान होने के कारण अपराध जगत में लोग उसे ‘बमबाज’ के नाम से भी जानते हैं।
कई बड़े गिरोह के लिए कर चुका है काम
पुलिस रिकार्ड से मिली जानकारी के मुताबिक गुड्डू मुस्लिम के बारे में कहा जाता है कि उसने उत्तर प्रदेश के बड़े माफ़िया और गिरोहों के लिए काम कर चुका है। अतीक के खास बुलावे पर उसने उनके साथ काम करना शुरू कर दिया। अनुसार गुड्डू मुस्लिम ने श्री प्रकाश शुक्ला, मुख्तार अंसारी, धनंजय सिंह और अभय सिंह सहित कई कथित माफ़िया के लिए लगभग दो दशक तक काम किया है।
1990 में गुड्डू ने हॉस्टल में चलाई थी गोलियां
प्रयागराज का रहने वाले गुड्डू ने साल 1990 में एक स्कूल हॉस्टल में घुसकर शिक्षक पर दिन-दहाड़े गोलियां बरसाई थी। गोली भले ही गुड्डू ने चलवाई हो, लेकिन इसके पीछे माफिया धनंजय सिंह का दिमाग बताया गया था।
15 साल की उम्र में की चोरियां
पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने नाम न छपने की शर्त पर बताया कि गुड्डू मुस्लिम के अपराध से पुलिस के रजिस्टर भरे हुए हैं। उसने महज 15 साल की उम्र में छोटी-मोटी चोरियों से अपराध की दुनिया में कदम रखा। कुछ समय बाद बाहुबलियों की पनाह मिलने के बाद उसने बम बनाना शुरू कर दिया। इसके बाद वो इतना मशहूर हो गया कि उत्तर प्रदेश में होने वाले हर बड़े आपराधिक मामले में गुड्डू मुस्लिम का नाम भी सामने आने लगा।
गुड्डू मुस्लिम की राजदार बची शाइस्ता परवीन
माफिया अतीक और भाई अशरफ की पुलिस सुरक्षा में शूटरों ने मार गिराया। इससे पहले अतीक के बेटे असद और शूटर गुलाम को झांसी में पुलिस ने एनकाउंटर में ढेर कर दिया था। गुड्डू मुस्लिम के बारे में अतीक और अशरफ को पूरी जानकारी थी। अब सिर्फ अतीक की पत्नी ही बची है जो गुड्डू के हर राज को जानती है। अब पुलिस शाइस्ता परवीन के बारे में भी पता लगा रही है। डर यह भी है कि कहीं अतीक-अशरफ की तरह शाइस्ता को भी न मार दिया जाए।
पांच लाख का इनामी है गुड्डू
बीती 24 फरवरी को उमेश पाल और दो गनर की हत्या हुई थी। हत्याकांड में अतीक अहमद के बेटे असद अहमद और शॉर्प शूटर ग़ुलाम के साथ गुड्डू मुस्लिम का नाम सामने आया है। उमेश पाल की हत्या के बाद आए सीसीटीवी फुटेज में भी गुड्डू मुस्लिम को मौके पर बम फेंकते हुए देखा गया था। पुलिस ने गुड्डू मुस्लिम पर उमेश पाल के हत्याकांड के बाद पांच लाख का इनाम भी घोषित किया है। एसटीएफ ने जहां झांसी में असद और गुलाम को एनकाउंटर में मार गिराया है, वहीं गुड्डू मुस्लिम की तलाश भी तेज कर दी है।
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