रोहिड़ा के सामने अनेक रोड़े
May 24, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

रोहिड़ा के सामने अनेक रोड़े

राजस्थान में रोहिड़ा के फूल को राजकीय पुष्प का दर्जा मिला है, लेकिन अब रोहिड़ा के पेड़ ही कम होते जा रहे हैं। वर्षाें से इसकी पौध तैयार नहीं की जा रही है

by रमेश सर्राफ धमोरा
Apr 16, 2023, 02:16 pm IST
in भारत, पर्यावरण, राजस्थान
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

रेतीले खेतों में रोहिड़ा के पेड़ खुशहाली का संदेश देते हैं। इनकी खुशबू दूर-दूर तक महकती है। राजस्थान में इस पेड़ पर फूलों का खिलना समृद्धि का सूचक माना जाता है। साहित्य में मरुशोभा की उपाधि वाले इस वृक्ष की लकड़ी का फर्नीचर काफी मजबूत और टिकाऊ होता है। इसलिए इसे देसी सागवान भी कहा जाता है।

मरुभूमि का सागवान कहा जाने वाला रोहिड़ा वृक्ष अंधाधुंध कटाई के चलते अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। एक तरफ सरकार पर्यावरण संरक्षण के नाम पर कई योजनाएं चला रही है, वहीं दिनों दिन राज्य में पुष्प रोहिड़ा के कट रहे वृक्षों को बचाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठा रही। कुछ वर्षों पहले राजस्थान में रोहिड़ा की बहार थी। वर्षों से रोहिड़ा मरुभूमि की शान रहा है। समय के साथ आधुनिकता पसरती गई और रोहिड़ा के वृक्ष कटते गए। हालत यह है कि वर्तमान में यह मुश्किल से दिखाई देने लगा है।

रेतीले खेतों में रोहिड़ा के पेड़ खुशहाली का संदेश देते हैं। इनकी खुशबू दूर-दूर तक महकती है। राजस्थान में इस पेड़ पर फूलों का खिलना समृद्धि का सूचक माना जाता है। साहित्य में मरुशोभा की उपाधि वाले इस वृक्ष की लकड़ी का फर्नीचर काफी मजबूत और टिकाऊ होता है। इसलिए इसे देसी सागवान भी कहा जाता है। रोहिड़ा के फूल को 21 अक्तूबर, 1983 को राजस्थान सरकार ने राज्य पुष्प घोषित किया था। इसके लिए प्रख्यात राजस्थानी कवि मुरलीमनोहर बासोतिया लिखते हैं-
रोही को राजा रोहीड़ो, चटकीलै रंग फूल
मस्त करै मिंजर की सौरम, लुलै नीमड़ा झूल।

पिछले दो दशक में रोहिड़े के वृक्ष के निरंतर कटने से अब यह मुश्किल से दिखाई देता है। एक समय था जब मरुभूमि में रोहिड़ा बहुतायत में था, लेकिन अब इनकी संख्या सिमट गई है। वैसे भी राजस्थान में रोहिड़ा के पेड़ राष्ट्रीय औसत से कम हैं। रोहिड़ा की बेहिसाब कटाई से क्षेत्र का संतुलन गड़बड़ा गया है। राजस्थान का सागवान माना जाने वाला रोहिड़ा का पेड़ औसतन 25 फीट तक ऊंचा होता है। 1983 में राज्य पुष्प का दर्जा मिलने के बाद जहां इसका विस्तार होना चाहिए था, वहीं यह लुप्त होने लगा है। ऐसा नहीं है कि इसे तैयार करना मुश्किल है या मांग नहीं है। राज्य पुष्प का दर्जा प्राप्त रोहिड़ा की खूबसूरती की बेकद्री हो रही है। रोहिड़ा पेड़ की लकड़ी 100 वर्ष तक खराब नहीं होती। ऐसे में इस लकड़ी की मांग सबसे ज्यादा रहती है, वहीं इसका एक पेड़ 50,000 रुपए तक बिकता है। इस लकड़ी का फर्नीचर दरवाजे सहित कई कामों में उपयोग होता है, लेकिन इसे चोरी छुपे काटा जा रहा है।

रोहिड़ा बिगोनिएसी परिवार के टेकोमेला वंश का वृक्ष है। इसे रोहिरा, रोही, रोहिटका आदि नामों से भी जाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम टेकोमेला अनडयूलाटा है। अंग्रेजी में इसे रोहिरा ट्री और हनी ट्री कहते हैं। रोहिड़ा अरब देशों में भी पाया जाता है। यहां यह वृक्ष शजरत अल असल के नाम से प्रसिद्ध है। यह शुष्क क्षेत्रों और बाहरी हिमालय का एक महत्वपूर्ण एवं उपयोगी वृक्ष है। यह भारत के साथ ही पाकिस्तान और अरब देशों में भी पाया जाता है। पाकिस्तान में सिंध और बलूचिस्तान में इसकी संख्या अधिक है। भारत में इसे सागर की सतह से 1200 मीटर तक ऊंचाई वाले शुष्क भागों में देखा जा सकता है। यहां पर यह मूल रूप से राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब और हरियाणा में मिलता है। भारत के उत्तर-पूर्व में और पश्चिम भारत के थार के रेगिस्तानी क्षेत्रों में रोहिड़ा को प्रकृति का एक अनुपम वरदान समझा जाता है। यह राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्र के लोगों के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस क्षेत्र में इसकी संख्या बहुत अधिक है। राजस्थान में यह जैसलमेर, जोधपुर, पाली, अजमेर, नागौर, बीकानेर, चूरू, झुंझुनू, सीकर आदि जिलों में बहुत बड़ी संख्या में मिलता है।

मरुभूमि का सागवान कहा जाने वाला रोहिड़ा अपना अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहा है। एक तरफ सरकार वृक्षारोपण के नाम पर कई योजनाएं चला रही हैं, वहीं दिनों-दिन राज्य पुष्प रोहिड़ा के कट रहे वृक्षों को बचाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठा रही है।

शुष्क और अर्धशुष्क क्षेत्रों का पतझड़ वाला वृक्ष है रोहिड़ा। किन्तु इस पर वर्ष के अधिकांश महीनों में पत्तियां रहती हैं तथा ऐसा बहुत कम समय होता है जब यह पूरी तरह पत्तियों से रहित हो जाता है। अत: इसे लगभग सदाबहार वृक्ष अथवा अर्ध-सदाबहार वृक्ष कहा जा सकता है। मध्य आकार का यह वृक्ष समतल मैदानों, पहाड़ी ढलानों तथा घाटियों में उत्पन्न होता है। इसे उपजाऊ भूमि पर तथा खेतों के मध्य भी उगाया जा सकता है। रोहिड़ा की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसे रेत के स्थायी टीलों पर जहां तापमान बहुत कम और बहुत अधिक हो वहां भी सरलता से उगाया जा सकता है।

रोहिड़ा रेतीली मिट्टी में उगने वाला वृक्ष है। इसमें सूखा सहन करने की विलक्षण क्षमता होती है। यह कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी उगता है और अपना विकास करता है। यह 150 मिली मीटर से लेकर 500 मिली मीटर तक वर्षा वाले क्षेत्रों में अपना अस्तित्व बनाए रखता है। इसमें तापमान का उतार-चढ़ाव सहन करने की भी अद्भुत क्षमता होती है। यह सर्दियों में शून्य डिग्री सेल्सियस और कभी-कभी शून्य से भी दो डिग्री कम तापमान तक सहन कर लेता है। इसके साथ ही यह गर्मियों के मौसम में 43 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी हरा-भरा बना रहता है। राजस्थान के रेगिस्तानी क्षेत्रों में कभी-कभी तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। ऐसे मौसम में भी रोहिड़ा अपना अस्तित्व बनाए रखता है।

रोहिड़ा के लिए सूरज की गर्मी बहुत आवश्यक होती है। सूरज की तेज गर्मी और प्रकाश में इसका जन्म और विकास होता है। इसकी शाखाएं जमीन की ओर नीचे झुकी हुई होती हैं तथा इन पर छोटी-छोटी पत्तियां लगती हैं। ये पत्तियां लंबी होती हैं तथा इनका आगे का भाग नुकीला होता है। इसकी पत्तियों का ऊपर वाला भाग धूसरपन लिए हुए गहरे हरे रंग का होता है एवं नीचे वाला भाग कुछ हल्के रंग का होता है। रोहिड़ा के फल कुछ मुड़े हुए होते हैं एवं इसके बीज बालदार होते हैं। इन्हीं बालों के कारण यह हवा के साथ उड़कर राजस्थान में दूर-दूर के क्षेत्रों में फैल गया है एवं राजस्थान के बाहर भी उन क्षेत्रों में पहुंच गया है। जहां पर यह नहीं पाया जाता था। रोहिड़ा का फूल बहुत खूबसूरत और शानदार होता है। इस पर सर्दियों के मौसम में फूल आते हैं। इसके फूल पीले, नारंगी और लाल रंग के होते हैं तथा इसकी आकृति घंटी के समान होती है। सर्दियों के मौसम में रोहिड़ा वृक्ष फूलों से भर जाता है।

मरुभूमि का सागवान कहा जाने वाला रोहिड़ा अपना अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहा है। एक तरफ सरकार वृक्षारोपण के नाम पर कई योजनाएं चला रही हैं, वहीं दिनों-दिन राज्य पुष्प रोहिड़ा के कट रहे वृक्षों को बचाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठा रही है। सालों से वन विभाग की नर्सरियों में इसकी पौध तैयार नहीं कराई जा रही है। हर नर्सरी में हजारों पौध हर वर्ष तैयार होती है लेकिन विभागीय अधिकारी रोहिड़ा की पौध तैयार करना भूल जाते हैं। इसके चलते धीरे-धीरे इन पेड़ों की संख्या कम होती जा रही है।

यदि समय रहते राज्य पुष्प को संरक्षण नहीं मिला तो वह दिन दूर नहीं जब रोहिड़े के पेड़ एवं उसके मनमोहक फूल किताबां में ही पढ़ने को मिलेंगे। रोहिड़ा की गणना उन वृक्षों में की जाती है जो पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसकी जड़ें मिट्टी की ऊपरी सतह पर फैल जाती हैं। इससे मिट्टी का कटाव रुक जाता है। अर्थात् यह मिट्टी को बांधे रखने का कार्य करता है। रोहिड़ा वृक्ष हवा के बहाव को भी नियंत्रित करता है।

Topics: रोहिड़ा वृक्षMany boulders in front of Rohidaमरुभूमि का सागवानसरकार वृक्षारोपणटेकोमेला अनडयूलाटारोहिरा ट्रीहनी ट्रीRohida TreeDesert TeakSarkar PlantationTecomella UndulataHoney Tree
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

No Content Available

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

CM Yogi Adityanath on Pahalgam terror attach

भगवान हनुमान जी नई पीढ़ी के लिए हैं प्रेरणास्त्रोत: CM सीएम योगी आदित्यनाथ

सीनेटर सैयद अली जफर

Indus Water Treaty: भारत के ‘वाटर बम’ से तिलमिलाए जिन्ना के देश के सांसद जफर, कहा-‘हम प्यासे मर जाएंगे’

Kartar singh sarabah jayanti

अंग्रेजों के लिए दहशत का पर्याय थे, महारथी करतार सिंह सराभा

Punjab train derail consiracy

पंजाब के बठिंडा में ट्रेन डिरेल करने की साजिश नाकाम, आरोपी लाली सिंह गिरफ्तार

Punjab Haryana highcourt

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पुलिसिया बर्बरता की कड़ी निंदा की, कर्नल बाठ मामले में आरोपी पुलिसकर्मी की जमानत खारिज

Donald trump

ट्रंप की टैरिफ धमकी: Apple के भारत में प्लांट पर 25% शुल्क, फिर भी क्यों फायदेमंद रहेगा भारत?

Army Shared video of Operation Sindoor

आतंकवाद के खिलाफ भारत का वैश्विक अभियान: ऑपरेशन सिंदूर और कूटनीतिक पहल

तिरुपति बालाजी मंदिर में नमाज विवाद: श्रद्धालुओं में आक्रोश, टीटीडी की चुप्पी

Hrish puri UN exposes Pakistan on terrorism ground

बेशर्म पाकिस्तान! आतंकी हमले करने के बाद नागरिक सुरक्षा पर UN में बांट रहा ज्ञान, भारत ने बोलती बंद कर दी

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ @100 : राष्ट्र निर्माण की यात्रा, आपके सहभाग की प्रतीक्षा

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies