उत्तराखंड के हिमाचल सीमा पर त्यूनी चकराता और अन्य वन क्षेत्र में मुस्लिम वन गुज्जरों द्वारा अवैध कब्जा किए जाने की घटनाओं के खिलाफ राजनीति, लामबंदी तेज हो गई है। कांग्रेस के नेता खुलकर मुस्लिम वन गुज्जरों के समर्थन में खड़े हो गए हैं, जबकि इस मामले को उठाने वाले रुद्र सेना ने स्पष्ट कह दिया है कि वो अपनी संस्कृति पर हमला होता नहीं देख सकते।
टोंस, यमुना नदी किनारे जंगलों में और बस्तियों के किनारे सालों से मुस्लिम गुज्जर आते जाते रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों से इन्होंने यहां पर स्थाई निवास बना लिया है। इनकी नई पीढ़ी दुधारू पशुओं का कार्य करने से भी कतराने लगी है और ये लोग नए-नए कारोबार कर रहे हैं। वन गुज्जरों द्वारा रिहायशी क्षेत्र के आसपास मस्जिद, कब्रिस्तान आदि बनाने के अभियान से स्थानीय लोगों में गुस्सा फूट रहा है। जनजाति क्षेत्र होने की वजह से यहां के लोगों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिलता है। अब ये मुस्लिम गुज्जर स्थानीय दस्तावेजों के आधार पर नौकरियों में भी दावा करने लगे हैं।
यहां कैसे बढ़ रही मुस्लिम आबदी
इन्हीं विषयों का विरोध करते हुए रुद्र सेना के संयोजक राकेश तोमर उत्तराखंडी ने जौनसार बावर क्षेत्र में युवाओं को एकत्र कर एक आंदोलन खड़ा कर दिया है। राकेश तोमर का कहना है कि यह 1968 से जनजाति क्षेत्र घोषित है, यहां कोई बाहरी व्यक्ति जमीन नहीं खरीद सकता। फिर यहां मुस्लिम आबदी कैसे बढ़ रही हैं। ये मुस्लिम वन गुज्जर यहां बस रहे हैं और अन्य मुस्लिमों को भी यहां ला रहे हैं, ये किसी बड़े षड्यंत्र के तहत हो रहा है।
जंगल की जमीनों पर कब्जा
चकराता ब्लाक के त्यूनी हनोल सुखेर, पुरताड, नेवल आदि गांवों में वन गुज्जर के पहले 150 परिवार आते जाते रहते थे, अब ये यहीं बस्ते जा रहे हैं और जंगल की जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं। यहां तक कि यहां मदरसे भी बना लिए, जिन्हें वन विभाग ने तोड़ दिया है। वन गुज्जर संगठन के अशरफ अली लियाकत अली कहते हैं कि उनकी जमीन 1968 से पहले की है, हमने यहां स्थानीय लोगों के साथ ही उठना बैठना सीखा है। प्रशासन ने जो अवैध कब्जे चिन्हित किए हैं, वो हमने खुद हटाना शुरू कर दिया है।
अवैध कब्जों को किया जा रहा चिन्हित
उधर मुस्लिम वन गुज्जरों के समर्थन में मुस्लिम सेवा संगठन ने आंदोलन की चेतावनी दी है। संगठन का कहना है कि नफरती माहौल बनाकर वन गुज्जरों को परेशान किया जा रहा है। त्यूनी की एसडीएम युक्ता मिश्रा ने कहा है कि अवैध कब्जों का चिन्हीकरण किया जा रहा है और यदि अवैध कब्जा होगा तो बल पूर्वक उसे हटा दिया जाएगा। कुछ अतिक्रमण वन विभाग ने हटा भी दिया है।
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