ऋषिकेश। उत्तराखंड की धामी सरकार ने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के वर्ष 2023- 2024 से लागू की गई नई शिक्षा नीति के दौरान अभी तक विद्यालयों में पढ़ाई जाने वाले इतिहास को हटाकर नए सिरे से भारतीय संस्कृति के अनुरूप जोड़े गए इतिहास को किताबों में शामिल करते हुए लागू कर दिया है। इसमें कक्षा पहली से लेकर इंटर की किताबों में काफी परिवर्तन किया गया है।
देवभूमि उत्तराखंड में इन किताबों में दूसरी कक्षा में महाभारत काल से लेकर रामायण में उल्लेखित भगवान श्री राम के साथ ऋषि-मुनियों, के अतिरिक्त महाभारत के पात्रों के जीवन और भारत के सभी धार्मिक स्थलों, तीर्थ स्थलों, पर्वतों पर आधारित राम जन्म से लेकर लंका दहन तक के सभी पात्रों की भूमिका को भी पढ़ाया जाएगा। इसी के साथ यह भी साफ कर दिया गया है कि उत्तराखंड के बच्चे अब मुगलकलीन इतिहास को नहीं पढ़ेंगे, यहां सरकारी स्कूलों में एनसीईआरटी का पैटर्न लागू किए जाने से शिक्षक भी काफी खुश नजर आ रहे हैं।
शिक्षकों का कहना था कि इतिहास की किताबों से मुगलकाल का इतिहास काफी समय हटा देना चाहिए था क्योंकि उस इतिहास से वर्तमान छात्र-छात्राओं को गलत शिक्षा दी जा रही थी, जिसके कारण वर्तमान पीढ़ी को भारतीय संस्कृति का ज्ञान नहीं हो रहा था, जो पूरी तरह हमारे आराध्य देवी देवताओं से भी विमुख हो रहे थे। उनका कहना था कि एनसीईआरटी ने 11वीं की किताबों से इस्लाम का उदय संस्कृतियों में टकराव औद्योगिक क्रांति समय की शुरुआत के चैप्टर को हटा कर भारतीय संस्कृति के अनुरूप सिलेबस तैयार किया है जिसमें से अकबरनामा अकबर के शासन काल का अधिकारी इतिहास और बादशाहनामा मुगल सम्राट शाहजहां का इतिहास को भी हटा दिया गया है। इसके अलावा नागरिक शास्त्र की किताब स्वतंत्र भारत में राजनीति से जन आंदोलन का उदय और एक दल सीपीएम के प्रभुत्व के दौर के चैप्टर को भी हटा दिया गया है। बताया गया कि उत्तराखंड में पहले से ही सभी राज्य बोर्ड के स्कूलों में एनसीईआरटी पैटर्न लागू है परंतु इसी सत्र से नया सिलेबस पूरी तरह से लागू कर दिया गया है।
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