रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने विदेश नीति में नया सिद्धांत जोड़ा है जो अनुमोदित हो चुका है। इस नए सिद्धांत के अंतर्गत पुतिन ने कहा कि ये दोनों ही देश हमारे दोस्त हैं और दोनों ही दुनिया में शक्ति की धुरी भी हैं। रूस के राष्ट्रपति ने कहा कि दूसरे देशों तथा बहुआयामी निकायों को लेकर रूस का बर्ताव उन देशों की नीतियों के रचनात्मक, तटस्थ तथा अमैत्रीपूर्ण बर्ताव पर निर्भर करता है।
भारत तथा चीन पर विशेष बल देते हुए पुतिन का ऐसा कहना बदलते भूराजनीतिक समीकरणों में बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भारत और चीन को ‘अपना मित्र’ बताकर पुतिन दुनिया को एक संदेश देना चाहते हैं कि दोनों से ही उनके संबंध विशेष बने रहेंगे। यह कहना भी कम महत्वपूर्ण नहीं है कि ये दोनों ही देश विश्व में ताकत की संप्रभु धुरी हैं। पुतिन के वक्तव्य से स्पश्ट झलका है कि आने वाले वक्त में इन दोनों ही देशों के साथ रूस के संबंध और व्यापक होंगे और दोनों के साथ आपसी व्यवहार बढ़ेगा।
पुतिन की इस नई विदेश नीति में है कि यूरेशिया में रूस भारत के साथ एक खास रणनीतिक साझेदारी तथा द्विपक्षीय कारोबार को और बढ़ाने, निवेश तथा तकनीकी के क्षेत्र में साझे संबंधों को और पुख्ता करने का संकल्प है।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति पुतिन ने कल विदेश नीति के अपने उक्त नए सिद्धांत को अनुमोदन के बाद प्रस्तुत किया है। पुतिन की इस नई विदेश नीति में है कि यूरेशिया में रूस भारत के साथ एक खास रणनीतिक साझेदारी तथा द्विपक्षीय कारोबार को और बढ़ाने, निवेश तथा तकनीकी के क्षेत्र में साझे संबंधों को और पुख्ता करने का संकल्प है। इसके साथ ही, रूस अपने प्रति अमैत्री का भाव रखने वाले देशों और उनके गठबंधनों के ध्वंसात्मक कामों का प्रतिरोध करना पक्का करेगा।
रूस के राश्ट्रपति ने भारत के साथ दोनों देशों के हित के आधार पर तमाम क्षेत्रों में समन्वय बढ़ाने की बात भी की। कहा कि रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद भी भारत के साथ उसके आपसी संबंध पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। दोनों के बीच संबंध मजबूत बने हुए हैं। पश्चिम के देशों के लिए रूस में जो गुस्सा है उसके बाद भी गत कुछ माह में रूस ने भारत को दिए जा रहे कच्चे तेल की मात्रा को काफी बढ़ाया है। रूस का कहना है कि वह यूरेशिया को शांति, स्थिरता, भरोसे, विकास तथा समृद्धि के एक साझे महाद्वीप की शक्ल देना चाहता है।
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