उत्तराखंड : देहरादून में मुस्लिम आबादी के अवैध कब्जे, आखिर किसने यहां बसा दिए हजारों लोग?
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उत्तराखंड : देहरादून में मुस्लिम आबादी के अवैध कब्जे, आखिर किसने यहां बसा दिए हजारों लोग?

यूपी, बिहार, असम और संदिग्ध बांग्लादेशी, रोहिंग्याओं ने पैदा की जनसंख्या असंतुलन की समस्या

by दिनेश मानसेरा
Mar 26, 2023, 11:07 am IST
in भारत, उत्तराखंड
प्रतीकात्मक चित्र

प्रतीकात्मक चित्र

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पछुवा देहरादून के ढकरानी, नवाबगढ़, शक्ति नहर किनारे अवैध रूप से कब्जे कर बसी मुस्लिम आबादी के अतिक्रमण पर धामी सरकार का बुलडोजर चलने के बाद अब देहरादून प्रशासन ने ऐसे अन्य स्थानों को चिन्हित करना शुरू कर दिया है जो सरकारी हैं और उस पर अवैध कब्जे हो रखे हैं।

जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर सभी जिलों में अतिक्रमण चिन्हित करने के लिए टास्क फोर्स बनाई गई है, जिसमें वन, पीडब्ल्यूडी और राजस्व विभाग के अधिकारी शामिल किए गए हैं। देहरादून जिले में पश्चिम छोर पर विकास नगर परगना क्षेत्र जिसे पछुवा दून कहा जाता है, यहां जनसंख्या असंतुलन की समस्या सरकार के सामने खड़ी हो गई है। यहां सैकड़ों नहीं, हजारों की संख्या में यूपी, असम, बिहार यहां तक कि कथित रूप से बांग्लादेशी और रोहिंग्या भी आकर बस गए हैं, जिनमें ज्यादातर मुस्लिम हैं। ये मुस्लिम आबादी राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। इनके नेता कांग्रेस से जुड़े हुए बताए जाते हैं और ये आबादी यहां कांग्रेस शासन काल में ज्यादा बसी।

प्रतीकात्मक चित्र

ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि उन्हें यहां के आधार कार्ड और वोटर लिस्ट में नाम आने की वजह से यहां स्थानीय नेताओं का धंधा पानी खूब चमका। अतिक्रमण करने वालों से पैसा लेकर स्थानीय दबंग नेताओं ने अपने-अपने गुट बनाए और इनका इस्तेमाल राजनीति के लिए किया। जानकारी के मुताबिक पुलिस प्रशासन के द्वारा, सीएम धामी के निर्देश पर पिछले साल यहां के लोगों का सत्यापन सर्वे करवाया गया था, जिसके बाद ये जानकारी मिली है कि विकासनगर परगने में वन भूमि की जमीन जोकि नदियों किनारे है, वहां हजारों की संख्या में मुस्लिम आबादी ने अपने पक्के ठिकाने बना लिए हैं। जिन्हें ग्राम प्रधानों का समर्थन मिला हुआ है।

जानकारी के मुताबिक वन क्षेत्र तिमली, छरबा, खुशलपुर, शंकरपुर, चोई बस्ती, जाटोंवाला, माजरा, चाहनचक आदि क्षेत्रों में जंगलों के भीतर तक अवैध कब्जे हो चुके हैं। ये जमीन फॉरेस्ट लैंड है, जिसे दरिया क्षेत्र भी कहा जाता है, जहां कब्ज़ा करके मुस्लिम आबादी अब जनसंख्या असंतुलन पैदा कर रही है। यहां बसने वाले ज्यादातर मुस्लिम पहले नदी में मजदूरी करने आए और झोपड़ी डालकर बसे और फिर धीरे-धीरे उन्होंने एक षड्यंत्र के तहत अपने पक्के मकान, मस्जिदें, मजारें बनाने शुरू कर दिए। कांग्रेस के जन प्रतिनिधियों ने वोटर लिस्ट में इनके नाम डलवाए, यहां बिजली-पानी के जुगाड़ भी कर दिए।

प्रतीकात्मक चित्र

आज ये आबादी टोंस, कालसी, जमुना और उनकी सहायक नदियों से अवैध खनन कारोबार से जुड़ी हुई है, जोकि पिछले कुछ सालों में ट्रैक्टर, डंपर मालिक हो गए हैं। कुछ ने यहां आसपास जमीन कब्जाने के लिए गैंग बना लिए हैं। खास बात ये है कि इतने बड़े पैमाने पर वन भूमि पर अवैध कब्जा हुआ और वन विभाग कुंभकर्णी नींद में सोया रहा। इस बारे में जानकारी मिली है कि तिवारी शासनकाल में नव प्रभात यहां से विधायक बने और वे वन मंत्री बने और उनके संरक्षण में यहां अवैध रूप से लोगों को बसाने और उनके नाम वोटर लिस्ट में डालने का खेल चला। यही वजह थी कि जब धामी सरकार के बुलडोजर ढकरानी में चलने वाले थे और उसी समय नव प्रभात ने कांग्रेस समर्थकों के साथ जाकर सरकार की कार्रवाई का विरोध किया। बहरहाल इस मामले में वन विभाग के अधिकारियों का जवाब तलब किया जा रहा है।

यहीं बनी थीं अवैध मजारें
पछुवा देहरादून में वन भूमि पर कब्जे करने वाली मुस्लिम आबादी ने ही आसपास जंगलों में अवैध रूप से मजारें बना दी थीं, जिन्हें हाल ही में वन विभाग ने बुलडोजरों से ध्वस्त कर दिया था।

नहीं रुकेगा अतिक्रमण हटाओ अभियान : सीएम धामी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि सरकारी जमीनों को अतिक्रमण से मुक्त करवाना सरकार की प्राथमिकता है। बेहतर होगा लोग खुद ही अतिक्रमण हटा लें, अन्यथा प्रशासन के बुलडोजर उन्हे हटा देंगे। उन्होंने कहा कि देवभूमि का स्वरूप बिगड़ने नहीं दिया जाएगा। सीएम धामी कहते हैं कि हमने हर जिले में टास्क फोर्स बना दी है, जो सर्वे के बाद एक्शन लेगी, पछुवा देहरादून से हमने एक्शन शुरू कर दिया है और ये रुकने वाला नहीं है।

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