यूएपीए कानून पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि प्रतिबंधित संस्था का सदस्य होना भी कार्रवाई के दायरे में आएगा।
जस्टिस एमआर शाह की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के उस पुराने फैसले को बदला, जिसमें कहा गया था कि सिर्फ सदस्य होना अपराध नहीं। कोर्ट ने यूएपीए की धारा 10(ए)(1) को सही ठहराया है।
2011 में जस्टिस मार्कंडेय काटजू की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय बेंच ने कहा कि प्रतिबंधित संगठन का सदस्य होने भर से कार्रवाई नहीं होगी।
2014 में जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने इस मामले को बड़ी बेंच को रेफर कर दिया था। जस्टिस एमआर शाह की अध्यक्षता वाली बेंच ने 9 फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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