अटेरना गांव के साधारण किसान परिवार में जन्मे कंवल सिंह आज बेबी कॉर्न के क्षेत्र में बादशाह माने जाते हैं। उनकी कहानी बेहद दिलचस्प है
हरियाणा के कंवल सिंह चौहान का काम ही ऐसा है कि जो कोई भी सुनता है, यही कहता है कि कमाल कर दिया। सच में सोनीपत के प्रगतिशील किसान कंवल सिंह ने बेबी कॉर्न उगाकर कमाल ही किया है। वे लगभग 10,000 किसानों की जिंदगी में बदलाव लाये हैं। 4 दशक पहले जब कंवल सिंह ने खेती-किसानी शुरू की तो कभी सोचा भी नहीं होगा कि देश के प्रधानमंत्री उनका जिक्र उदाहरण के तौर पर करेंगे। और यही नहीं, उन्हें कृषि क्षेत्र में अनूठे काम के लिए पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया जाएगा।
अटेरना गांव के साधारण किसान परिवार में जन्मे कंवल सिंह आज बेबी कॉर्न के क्षेत्र में बादशाह माने जाते हैं। उनकी कहानी बेहद दिलचस्प है। वे बताते हैं, ‘‘मैंने 16 साल की उम्र से ही खेती-किसानी शुरू कर दी थी, क्योंकि पिताजी की मृत्यु हो गई थी। ऐसे में परिवार को संभालने की जिम्मेदारी कंधों पर थी। शुरुआत में धान की खेती की लेकिन खेती में आई बीमारी की वजह से काफी नुकसान हुआ। कर्ज बढ़ता चला जा रहा था। मन परेशान था। लेकिन मैं कृषि क्षेत्र में डटा रहा। 1998 में बेबी कॉर्न की खेती के लिए जमीन लेने कुछ लोग आए थे, जिसके बाद मैंने बेबी कॉर्न की खेती शुरू की।
फसल तैयार हुई तो उसे बेचने के लिए दिल्ली के बाजारों के चक्कर काटे, फसल भी बिकी। लेकिन जब ज्यादा फसल हुई तो उसका मूल्य नहीं मिला। बाजार की कमी ने फिर से मन खराब किया। इस समय तक बेबी कॉर्न को बहुत ही कम खरीदा जाता था। मैंने विचार किया कि क्यों ना खुद की इंडस्ट्री बनाई जाए। लेकिन किसी कारण से इसमें सफल नहीं हुआ।
‘‘मैंने 16 साल की उम्र से ही खेती-किसानी शुरू कर दी थी, क्योंकि पिताजी की मृत्यु हो गई थी। ऐसे में परिवार को संभालने की जिम्मेदारी कंधों पर थी। शुरुआत में धान की खेती की लेकिन खेती में आई बीमारी की वजह से काफी नुकसान हुआ। कर्ज बढ़ता चला जा रहा था। मन परेशान था। लेकिन मैं कृषि क्षेत्र में डटा रहा। 1998 में बेबी कॉर्न की खेती के लिए जमीन लेने कुछ लोग आए थे, जिसके बाद मैंने बेबी कॉर्न की खेती शुरू की। -कंवल सिंह
लेकिन मैंने काम नहीं छोड़ा और 2009 में पहली प्रसंस्करण इकाई (प्रॉसेसिंग यूनिट) तैयार की। इसके बाद दूसरी इकाई 2012, तीसरी इकाई 2016 और चौथी इकाई 2019 में लगाने का काम किया। इन सभी इकाइयों में बेबीकॉर्न की साफ-सफाई की जाती है। इनमें स्वीट कॉर्न, मशरूम, टमाटर और मक्का चाप भी शामिल हैं।’’ शुरुआती दिनों को याद करते हुए वे कहते हैं, ‘‘जब मैंने बेबीकॉर्न की खेती शुरू की थी, तब अकेला किसान हुआ करता था, लेकिन आज 400 श्रमिकों के साथ खेतों में काम होता है।
खास बात यह है कि इनमें अधिकतर महिलाएं हैं, जिन्हें रोजगार मिला हुआ है।’’ कंवल सिंह चौहान के कारोबार की सबसे बड़ी खासियत है कि ये किसानों को खेती से पहले उनकी उपज खरीदने की गारंटी देते हैं। उनका ध्येय है कि हरियाणा के प्रत्येक जिले में प्रसंस्करण इकाई स्थापित हो, ताकि किसानों की आय दोगुनी नहीं पांच से छह गुनी हो। किसान को किसी के भी सामने सिर झुकाने की जरूरत न पड़े।
टिप्पणियाँ