दिल्ली हाई कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में बंद दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।
सुनवाई के दौरान ईडी ने सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका का दिल्ली हाई कोर्ट में विरोध करते हुए कहा कि अगर जैन को जमानत दी जाती है तो मामले के गवाहों की जान को खतरा हो सकता है। सत्येंद्र जैन प्रभावशाली व्यक्ति हैं और बड़े राजनीतिक पद पर रह चुके हैं। वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। जैन को जमानत के लिए तय ट्रिपल टेस्ट को भी पास करना होगा।
ईडी ने कहा था कि मामले में अन्य आरोपितों के बयान से यह पता चलता है कि सत्येंद्र जैन ही फंड ट्रांसफर करने के बारे में सब कुछ जानते थे। जैन द्वारा फर्जी कंपनियों में साल 2015-6 में डेढ़ करोड़ रुपये जमा किया गया था। ईडी ने कोर्ट को बताया था कि इस मामले में हवाला ऑपरेटर्स के जरिये पैसे भेजे गए थे। इसमें कोलकाता की फर्जी कंपनिया शामिल हैं। यह पूरा मामला मनी लॉन्ड्रिंग का बनता है।
छह फरवरी को सह आरोपितों अंकुश जैन और वैभव जैन की ओर से पेश वकील सुशील गुप्ता ने कहा था कि सत्येंद्र जैन का कंपनियों से कोई लेना-देना नहीं है। दोनों सह आरोपितों ने ही कलकत्ता स्थित कंपनी को पैसे भेजे थे। एक दिसंबर 2022 को कोर्ट ने ईडी को नोटिस जारी किया था। सत्येंद्र जैन ने ट्रायल कोर्ट की ओर से जमानत न दिए जाने के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। 17 नवंबर 2022 को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सत्येंद्र जैन समेत तीनों आरोपितों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने जैन के अलावा इस मामले के आरोपितों वैभव जैन एवं अंकुश जैन की जमानत याचिका भी खारिज कर दी थी।
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