हरियाणा के समालखा में 12-14 मार्च को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक संपन्न हुई। संघ के अ.भा. अधिकारियों, वरिष्ठ कार्यकर्ताओं और अनुषांगिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने इसमें न सिर्फ गत वर्ष के दौरान हुए संघ कार्य पर विहंगम दृष्टि डाली, अपितु आगामी योजनाओं पर भी चिंतन किया। इसके साथ ही विश्व में राष्ट्र के बढ़ते कदमों के साथ ही नई चुनौतियों पर भी चर्चा की। सभा के आरम्भिक सत्र में परंपरानुसार, सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने अपने प्रतिवेदन में गत वर्ष की संघ के विभिन्न आयामों की गतिविधियों की एक झलक प्रस्तुत की।
दैनिक शाखा से लेकर प्रत्येक प्रांत में हुए विभिन्न उत्सव-आयोजनों की जानकारी के साथ ही, आने वाले समय में लिए जाने वाले अभियानों और कार्यक्रमों की चर्चा की। सरकार्यवाह ने इस बार तीन विशेष वक्तव्य भी प्रस्तुत किए, जो शिवाजी के राज्यारोहण के 350वें वर्ष, महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती और भगवान महावीर के निर्वाण का 2550वां वर्ष पूर्ण होने के संदर्भ में थे। बैठक में प्रतिनिधियों ने सर्वसम्मति से ‘स्व के आधार पर राष्ट्र के नवोत्थान’ पर एक प्रस्ताव भी पारित किया। बैठक की समाप्ति पर श्री होसबाले ने पत्रकार वार्ता में तीन दिवसीय बैठक में आए विषयों की जानकारी देने के साथ ही पत्रकारों के सवालों के भी उत्तर दिए।
यहां हम सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले के उसी प्रतिवेदन के संपादित अंश प्रस्तुत कर रहे हैं :
‘‘हम गत एक वर्ष पर दृष्टि डालें तो पाएंगे कि यह वर्ष संघ के लिए कार्य विस्तार को देखते हुए एक सफल वर्ष रहा है। हम महामारी के पूर्व की स्थिति से भी आगे बढ़े हैं। संकट के असर का सामना कर हम उसे हराने में सफल हुए। चुनौतियों में भी काम करने के अनुभवों से हमने कई सबक सीखे है।
परिस्थिति की अनुकूलता का लाभ लेते हुए देश के विभिन्न प्रांतों तथा कार्य के विभिन्न आयामों में अपने कार्यकर्ताओं ने संगठनात्मक तथा सामाजिक दृष्टि से कई प्रकार के सराहनीय प्रयास किए हैं। कार्य विस्तार के साथ साथ गुणात्मक व प्रभावात्मक वृद्धि हो, यह हमारा आग्रह रहता है। वर्ष भर शाखा कार्य की नित्य साधना के साथ-साथ कार्यकर्ता प्रशिक्षण, नवाचार व नए प्रयोगों के माध्यम से कार्य की गुणवत्ता तथा प्रभाव बढ़ाने के प्रयास, प्रवास एवं कार्यकर्ताओं में संवाद, इन कारणों से संघ कार्य अधिक सुदृढ़ हुआ है। समाज की समस्याओं का निराकरण, आपदा में राहत कार्य करने की अपनी परंपरा बनी रही है। जहां समाज की सज्जन शक्ति ने संघ के साथ सहयोग करने में उत्सुकता दिखाई है, वहीं संघ कार्यकर्ताओं ने भी समाज के लोगों के साथ मिलकर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया है। हिन्दू धर्म व संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन एवं समाज का संगठन करते हुए राष्ट्रोन्नति के लिए किए गए इन प्रयत्नों में कुछ चयनित वृत्तों का उल्लेख इस प्रतिवेदन में किया गया है।’’
संगठन की इस यात्रा में विगत वर्ष में कई बंधु एवं भगिनी हम से बिछुड़ गए हैं। अनारोग्य, आयु या दुर्घटना आदि कारणों से अपने सहयोगी, पूर्व में निष्ठा से कार्य कर चुके कार्यकर्ता, समाज जीवन के कई महानुभाव, सेवा सुरक्षाकर्मी, आपदाओं में सामान्य जनता, इन सब ने अपनी जीवन यात्रा समाप्त की है। अब अपने बीच नहीं रहे उन सभी ज्ञात-अज्ञात व्यक्तियों का स्मरण करते हुए उनके प्रति हम अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि समर्पित करते हैं।
पू.सरसंघचालक जी का प्रवास: वर्ष 2022-23 में पूज्य सरसंघचालक जी का 15 प्रांतों का प्रवास, विशेष संपर्क, प्रबुद्धजनों से मिलना तथा कुछ सामाजिक व धार्मिक कार्यक्रमों में उपस्थित रहना हुआ। प्रांतों के प्रवास में विभाग प्रचारक बैठक, विभाग कार्यवाह प्रचारक बैठक में अनेक विषयों पर संवाद—चर्चा करने के साथ ही अनौपचारिक रूप से जिज्ञासा समाधान का कार्य हुआ। सभी 15 प्रांतों की योजना से स्थानीय कार्यक्रम हुए, जिनमें प्रवासी कार्यकर्ता बैठक, गणवेश मे स्वयंसेवक एकत्रीकरण, सांघिक प्रबुद्धजन गोष्ठी जैसे कार्यक्रम तथा गणमान्य व्यक्तियों से मिलना हुआ। इस प्रवास मे 5 केंद्रों पर कार्यकर्ताओं के परिवारजन के लिए बौद्धिक वर्ग, पारिवारिक परिचर्चा भी हुई। इस क्रम में दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, मुंबई में हुए कार्यक्रमों में देश के सभी प्रांतों से प्रबुद्धजन और समाज जीवन के प्रतिष्ठित जन सहभागी हुए थे। युवा उद्यमियों से वार्तालाप का कार्यक्रम बंगलूरू, दिल्ली में और राउंड टेबल इंडियन ग्रुप के अ. भा. स्तर के कार्यकर्ताओं से वार्तालाप का कार्यक्रम नागपुर में संपन्न हुआ।
प्रवास में विभिन्न स्थानों पर समाज जीवन के प्रमुख जन के स्थानों पर जाकर मिला गया। बंगलूरू में श्री अजीम प्रेमजी, मुंबई में श्री अर्धेन्दु बोस, श्री विशद मफतलाल और श्री आदिनाथ मंगेशकर, त्रिपुरा की राजमाता विभू देवी जी, दिल्ली में मौलाना उमर इलयासी से मिलकर वार्तालाप हुआ तथा केरल में माता अमृतानंदमयी ‘अम्मा’, अमदाबाद में विजय रत्नसुंदर सूरि जी महाराज तथा चित्रदुर्ग के मादरचेन्नया स्वामी जी से आशीर्वाद प्राप्त किए। गणमान्यों के लिए आयोजित विशेष बैठकों में श्रीमती पी. टी. उषा, क्रिकेटर श्री रविंद्र जडेजा, पतंजलि योगपीठ के आचार्य बालकृष्ण, गायक राशिद खान तथा फिल्म अभिनेता श्री अक्षय कुमार से भी मिलना हुआ।
वर्ष 2022-23 में क्षेत्र अनुसार सभी 11 क्षेत्रों में प्रवास की योजना बनी थी। संगठनात्मक बैठकों एवं कार्यक्रमों के साथ ही विशिष्ट जन संवाद स्वयंसेवक एकत्रीकरण, कार्यकर्ता शिविर आदि कार्यक्रम भी अनेक स्थानों पर हुए। सभी प्रांतों में कार्यकर्ताओं की उपस्थिति औसतन 90 प्रतिशत रही। देशभर में कार्य विस्तार की दृष्टि से अनेक कार्यक्रमों, योजनाओं के माध्यम से नित्य शाखा कार्य को गति देने के लिए कार्यकर्ताओं में उत्साह दिखाई दिया, अनेक स्थानों पर पूर्ण गणवेश में कार्यकर्ताओं के अच्छी संख्या में एकत्रीकरण भी हुए।
हरियाणा के धार्मिक, सांस्कृतिक, संघ इतिहास को दर्शाती प्रदर्शनी
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के परिसर में संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री भैयाजी जोशी ने 11 मार्च को एक अनूठी प्रदर्शनी का शुभारंभ किया। प्रदर्शनी में हरियाणा के इतिहास का वर्णन करते शिलालेखों के चित्रों को दर्शाया गया। इसमें अशोक, शुंगकालीन से लेकर प्रथम विश्व युद्ध तक के शिलालेख थे, तो वहीं नाथ सम्प्रदाय, दादू पंथ सहित अन्य सम्प्रदायों के भी शिलालेख प्रदर्शित किए गए। प्राचीन धर्मशालाओं, स्कूलों, चिकित्सालयों, मंदिरों, तालाबों, कुओं के बारे में भी सचित्र जानकारी थी।
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हरियाणा के योगदान, हरियाणा के स्वतंत्रता सेनानियों, सरस्वती शोध संस्थान द्वारा सरस्वती नदी के विकास की यात्रा, हरियाणा की संस्कृति, खान-पान, वेशभूषा, तीज-त्योहार, उत्सव, हरियाणा के धार्मिक, ऐतिहासिक, पर्यटन स्थल, ऐतिहासिक गुरुद्वारे व हरियाणा की भौगोलिक जानकारी चित्रों व शिलालेखों के माध्यम से दी गई।
हरियाणा के विख्यात व्यक्तित्व, उद्योगपति, कलाकार, खिलाड़ी, सेना के वरिष्ठ अधिकारियों, ग्रामीण क्षेत्र में चल रहे सेवा व समाज कार्यों को भी प्रदर्शित किया गया। हरियाणा में आपदा के दौरान संघ के स्वयंसेवकों द्वारा किए गए राहत व सेवा कार्यों को भी दर्शाया गया। हरियाणा में संघ कार्य को खड़ा करने में अपना जीवन लगा देने वाले संघ के वरिष्ठ प्रचारकों की जीवनी के साथ-साथ प्रदर्शनी में चार डिजिटल प्रदर्शनियां भी लगाई गई थीं।
इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री भैयाजी जोशी ने कहा कि इस तरह की प्रदर्शनी हमारी आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा देने का काम करेगी।
‘शहीद सम्मान’ व ‘लोकमंथन’ : इस वर्ष जम्मू कश्मीर पीपुल्स फोरम द्वारा जम्मू में कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित शहीद सम्मान कार्यक्रम हुआ। इसी सत्र में गुवाहाटी में आयोजित लोकमंथन 2022 में भी सहभाग हुआ। बोधगया स्थित बोधि वृक्ष एवं भगवान बुद्ध मंदिर के दर्शन एवं पूजन का सौभाग्य मिला। मणिपुर में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जयंती पर मोइरांग स्थित नेताजी स्मारक पर पुष्पार्चन किया तथा आईएनए स्मारक का दर्शन किया। श्री स्वामीनारायण संस्था द्वारा प्रमुख स्वामी जी महाराज के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में कर्णावती में आयोजित समारोह में सहभाग किया।
शारीरिक शिक्षण विभाग : अखिल भारतीय प्रहार महायज्ञ 16 दिसंबर 2022 को संपन्न हुआ। 39,166 शाखाओं व 6,668 साप्ताहिक मिलनों के 5,90,409 स्वयंसेवकों ने 29,38,31,401 प्रहार लगाए। बौद्धिक शिक्षण विभाग : इस वर्ष अ. भा. टोली बैठक में पू. सरसंघचालक जी का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। बैठक में प्राप्त मार्गदर्शन पर चर्चा करने तथा उसे क्रियान्वित करने के लिए योजना बनाने हेतु 19-22 अगस्त 2022 को अयोध्या में बौद्धिक विभाग की अखिल भारतीय बैठक सम्पन्न हुई। सभी स्थानों पर हिन्दू साम्राज्य उत्सव और उसके उपरांत मुख्य शिक्षक कार्यवाहों और मंडल प्रमुखों के वर्ग नियमित रूप से चलाए गए।
पिंपरी चिंचवाड़ जिले में 15 जनवरी 2023 को गुणात्मकता बढ़ाने हेतु जिला स्तर पर शारीरिक प्रात्यक्षिक प्रधान मकर संक्रमण उत्सव सम्पन्न हुआ। भारतीय नौसेना से निवृत्त ले. कमांडर श्री भानुदास जाधव अतिथि के नाते उपस्थित थे। गुजरात शताब्दी वर्ष पूर्व व्यापक कार्य विस्तार के उद्देश्य से प्रांत में गत 25 से 31 दिसंबर तक सात दिवसीय विस्तारक योजना संपन्न हुई। छत्तीसगढ़ में 712 ग्राम का कोरबा जिला पर्वतीय तथा वनाच्छादित है।
जम्मू कश्मीर : 11 सितंबर 2022 को रियासी नगर में शाखा संगम कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में 42 स्थानों से 64 शाखाओं का जिले के 39 मंडलों में से 33 मंडलों का एवं 14 बस्तियों में से 13 बस्तियों का सहभाग रहा।
दक्षिण असम: शताब्दी वर्ष तक प्रत्येक मण्डल में कार्य विस्तार एवं दृढ़ीकरण का लक्ष्य सामने रखकर प्रांत में प्रत्येक जिला व खंड स्तर पर पालक योजना, खण्डश: मंडल व बस्ती प्रमुखों की बैठकें, संघ परिचय वर्ग जैसे प्रयासों के पश्चात प्रांत में पहली बार 6,7 व 8 नवंबर 2022 को मंडल एवं बस्ती प्रमुखों का शिविर आयोजित किया गया।
मध्य भारत : प्रांत के सभी जिला केंद्रों पर शारीरिक प्रधान कार्यक्रम सम्पन्न करने की योजना बनी, विशेषकर भोपाल महानगर में दिनांक 11 दिसंबर 2022 को शारीरिक प्रधान कार्यक्रम का प्रदर्शन हुआ। भिंड जिला केंद्र पर 14 अक्तूबर 2022 को माननीय भैयाजी जोशी की उपस्थिति में 415 स्वयंसेवकों ने शारीरिक प्रात्यक्षिक किए।
दिल्ली : व्यवसायी शाखाओं में स्वयंसेवकों की सुप्त (संचित) शक्ति को सक्रिय करने के लिए शाखा स्तर पर जागरण टोली निर्माण की योजना प्रारम्भ हुई है। अभी तक 1020 व्यवसायी शाखाओं में ऐसी जागरण टोलियों का निर्माण हुआ है। 812 शाखाओं में भारत के महत्वपूर्ण स्थलों, नदियों, पर्वत, ज्योतिर्लिंग, शक्तिपीठ व स्वाधीनता अमृत महोत्सव से संबंधित स्थानों आदि की जानकारी दी गई। गुरु पुत्रों द्वारा धर्म रक्षा हेतु किए गए बलिदान से बाल स्वयंसेवकों को प्रेरणा मिले, इस दृष्टि से 26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ पर प्रान्त के 82 खंडों व नगरों में शारीरिक प्रतियोगिता के कार्यक्रम हुए। 150 शाखाओं पर वीर बालकों की कहानी सुनाई गई। मध्य बंग प्रांत के दक्षिण मुर्शिदाबाद जिले में 18 दिसंबर 2022 को सुप्त शक्ति एकत्रीकरण कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। जिले के 81 गांवों के 26 मंडलों से 722 कार्यकर्ता उपस्थित रहे। उत्तर असम कार्य विस्तार व दृढ़ीकरण को दृष्टिगत रखते हुए प्रांत में 9-11 दिसंबर 2022 को मुख्य शिक्षक, शाखा कार्यवाह, साप्ताहिक मिलन प्रमुखों का त्रिदिवसीय प्रेरणा शिविर आयोजित किया गया।
हिन्दवी स्वराज की स्थापना एक युग प्रर्वतक घटना
छत्रपति शिवाजी महाराज भारत के उन महान व्यक्तित्वों में एक हैं, जिन्होंने समाज को सैकड़ों वर्षों की दासता की मानसिकता से मुक्त कर उसमें आत्मविश्वास व आत्मगौरव का भाव जगाया। ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी को उनका राज्याभिषेक हुआ तथा हिन्दवी स्वराज की स्थापना हुई। इस वर्ष हिन्दवी स्वराज स्थापना का 350वां वर्ष प्रारम्भ हो रहा है। महाराष्ट्र सहित देशभर में इस निमित्त अनेकानेक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। रा.स्व.संघ इस पावन अवसर पर छत्रपति शिवाजी महाराज का पुण्य स्मरण करते हुए स्वयंसेवकों तथा समाज घटकों का आह्वान करता है कि ऐसे सभी आयोजनों में भाग लेकर हिन्दवी स्वराज की स्थापना जैसी युगप्रवर्तक घटना का पुन:स्मरण करें। छत्रपति शिवाजी महाराज का जीवन अद्वितीय पराक्रम, रणनीतिक कुशलता, युद्धशास्त्र की मर्मज्ञता, संवेदनशील, न्यायपूर्ण व पक्षपातरहित प्रशासन, नारी के सम्मान और प्रखर हिंदुत्व जैसी कई विशेषताओं से परिपूर्ण रहा।
विपरीत परिस्थिति का सामना करते समय भी अपने ध्येय तथा ईश्वर पर श्रद्धा व विश्वास, माता-पिता एवं गुरुजन का सम्मान, अपने साथियों के सुख-दु:ख में साथ निभाने, समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने के कई उदाहरण उनके जीवन में पाए जाते हैं। बाल्यकाल से ही अपने व्यक्तित्व से उन्होंने अपने साथियों में स्वराज स्थापना हेतु प्राण न्योछावर करने की प्रेरणा जगाई, जो आगे चलकर भारत के अन्यान्य प्रदेशों के देशभक्तों के लिए भी प्रेरणादायक रही। उनके शरीर के शांत होने के पश्चात भी सामान्य समाज ने दशकों तक एक सर्वकष आक्रमण का यशस्वी प्रतिकार किया, जो इतिहास में अनोखा उदाहरण है।
छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा बाल्यकाल में लिये गए स्वराज स्थापना के संकल्प का उद्देश्य मात्र सत्ता प्राप्ति नहीं अपितु, धर्म एवं संस्कृति के रक्षा हेतु ‘स्व’ आधारित राज्य की स्थापना करना था। अत: उन्होंने उसका अधिष्ठान ‘यह राज्य स्थापना श्री की इच्छा है’ के भाव से जोड़ा था। स्वराज्य स्थापना के समय अष्टप्रधान मंडल की रचना, ‘राज्यव्यवहार कोष’ का निर्माण और स्वभाषा का उपयोग, कालगणना हेतु शिव-शक का प्रारम्भ, संस्कृत राजमुद्रा का उपयोग आदि कार्यकलाप ‘धर्मस्थापना’ के उद्देश्य से स्थापित ‘स्वराज’ को स्थायित्व देने की दिशा में ही रहे।
आज भारत अपनी समाजशक्ति को जाग्रत करते हुए अपने स्व’ के आधार पर राष्ट्र निर्माण के पथ पर आगे बढ़ रहा है, भारत के ‘स्व’ आधारित राज्य की स्थापना के उद्देश्य से चली छत्रपति शिवाजी महाराज की जीवनयात्रा का स्मरण अत्यंत प्रासंगिक एवं प्रेरणास्पद है।
सेवा विभाग : नगरों की 11,534 व्यवसायी शाखाओं में सेवा कार्यकर्ता नियुक्त हुए हैं। 8495 सेवा बस्तियों को सर्वांगीण विकास के लिए शाखाओं ने चिन्हित किया है। इस वर्ष 38 प्रान्तों में शाखाओं द्वारा सेवा सप्ताह मनाया गया जिसमें विविध सेवा उपक्रम किये गए। 8,794 शाखाओं के 54,678 स्वयंसेवक सहभागी हुए।
गुजरात : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से प्रेरित डॉ. हेडगेवार जन्मशताब्दी सेवा समिति, अमदाबाद के माध्यम से कर्णावती महानगर के पश्चिम कर्णावती विभाग के चांदलोडिया भाग में 22 सेवा बस्तियों में 823 बच्चों के लिए सेवा विभाग अंतर्गत ‘शिक्षण संस्कार समुत्कर्ष’ के लक्ष्य के साथ एक ‘ज्ञानमंदिर’ प्रकल्प रविदास जयंती पर क्षेत्र संघचालक जी के कर कमलों द्वारा प्रारम्भ हुआ।
सम्पादकों के साथ संवाद : इस वर्ष सरकार्यवाह जी के प्रवास में 5 स्थानों (चेन्नई, नागपुर, चंडीगढ़, लखनऊ और गुवाहाटी) में सम्पादकों व राज्य प्रमुखों के साथ अनौपचारिक संवाद कार्यक्रम सम्पन्न हुए। 26 सितम्बर, 2022 को दिल्ली में सरकार्यवाह जी का विदेशी मीडिया के पत्रकारों के साथ दो सत्रों में अनौपचारिक संवाद हुआ, जिसमें 38 पत्रकार उपस्थित हुए। 20, 21 अगस्त, 2022 को दिल्ली में देशभर से चयनित स्तम्भ लेखकों की बैठक सम्पन्न हुई। इसमें विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं में लिखने वाले 49 स्तम्भ लेखक उपस्थित हुए। बैठक में विमर्श के विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई। बैठक में सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल, डॉ. मनमोहन वैद्य, श्री अरुण कुमार और समापन सत्र में सरकार्यवाह जी का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।
सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर सक्रिय व प्रभावी लोगों की बैठक ग्रेटर नोएडा में 1-2 अक्तूबर, 2022 को सम्पन्न हुई। इसमें 19 प्रांतों से 69 लोग उपस्थित हुए। बैठक में सरकार्यवाह जी, सहसरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य और श्री अरुण कुमार उपस्थित रहे। पंजाब, जम्मू-कश्मीर, मेरठ, ब्रज, दक्षिण बिहार, उत्तर बंग, मध्य बंग, उत्तर असम, दक्षिण असम और मणिपुर में साहित्य बिक्री के अभियान लिए गए। ‘जंगल सत्याग्रह और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ पुस्तक का प्रकाशन किया गया। जागरण पत्रिकाओं के विस्तार की योजना हेतु सभी प्रांतों में प्रवास और बैठकें सम्पन्न हुईं। संवाद केंद्र द्वारा युवाओं और प्रबुद्ध समाज को विचार मंथन का प्लेटफार्म उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 23 जनवरी 2023 को ‘मेवाड़ टॉक फेस्ट मंच 2023’ के नाम से संवादोत्सव का आयोजन किया गया।
धर्म जागरण समन्वय : महाराष्ट्र के जलगांव जिले की जामनेर तहसील अंतर्गत गोद्री स्थान पर 25-30 जनवरी 2023 को अखिल भारतीय हिन्दू गोर बंजारा एवं लबाना नायकडा समाज का भव्य कुम्भ संपन्न हुआ। बंजारा समाज के तीर्थस्थल श्री क्षेत्र पोहरादेवी के पीठाधीश प. पू. श्री बाबूसिंग महाराज इस कुम्भ के निमंत्रक थे। पू. गोपालचैतन्य महाराज, पाल जि. जलगाव सह निमंत्रक थे। कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश को केन्द्रित करके यह कुम्भ किया गया था। कुम्भ पूर्व इन राज्यों में बंजारा समाज के कन्वर्जन एवं अन्य मतावलंबी समस्या को लेकर सर्वेक्षण हुआ।
6 दिनों में उपर्युक्त प्रान्तों के साथ पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात से लगभग 9 लाख बंजारा बांधव कुम्भ में सहभागी हुए थे। कुम्भ स्थल पर 50 हजार लोगों के निवास व्यवस्था की थी। इस कुम्भ में राष्ट्रीय एकता, सामाजिक समरसता, बंजारा एवं लबाना समाज की संस्कृति, इतिहास, रूढ़ियों, परंपरा जैसे विषयों पर प्रदर्शनी लगी। कुम्भ में पारम्परिक नृत्यों और तलवारबाजी का प्रदर्शन हुआ। कन्वर्जन को रोकने के लिए कानून बने और बंजारा समाज हिन्दू ही हैं, इन विषयों पर प्रस्ताव पारित हुए।
कुम्भ में द्वारका पीठ के पू. शंकराचार्य सदानंद सरस्वतीजी, महंत योगी आदित्यनाथजी, प.पू. मोरारी बापू, प.पू. गोविंदगिरी महाराज, उदासीन अखाड़ा के पू. रघुमुनीजी, पू. गुरुशरणानंदजी महाराज, महामंडलेश्वर प्रणवानन्द जी महाराज (इंदौर), पूज्य अखिलेश्वरानन्दजी महाराज (जबलपुर), श्री महामंडलेश्वर विश्वेश्वरानन्द जी (मुंबई), महामंडलेश्वर पू. जनार्दनहरी महाराज आदि संतों का सहभाग रहा। श्री भैयाजी जोशी और श्री विनायकराव देशपांडे का भी मार्गदर्शन रहा।
गो सेवा : गो सेवा गतिविधि का कार्य 43 प्रान्तों में चल रहा है। देश में गांव स्तर से लेकर विभाग स्तर तक कार्यरत कार्यकर्ताओं की संख्या 35,960 है। गत वर्ष विभिन्न स्तरों पर हुए 1009 प्रशिक्षण वर्गों में 23,343 कार्यकर्ता उपस्थित रहे। देश में 79,993 घरों में गो पालन होता है जिसमें देशी गायों की संख्या 2,15,825 है। 11058 घरों में गोबर गैस का उपयोग होता है तथा 2457 परिवार 42,237 एकड़ में गो आधारित कृषि करते हैं। 7,657 गोशालाओं का संचालन होता है।
ग्राम विकास : ग्राम विकास गतिविधि के अंतर्गत देश के 45 में से 42 प्रान्तों में संयोजक नियुक्त हैं तथा क्षेत्र स्तर पर 11 में 5 क्षेत्र संयोजक हैं। प्रान्त संयोजकों की 3 दिवसीय कार्यशाला झारखण्ड प्रान्त के पत्रातु ग्राम में संपन्न हुई। इसमें माननीय सरकार्यवाह का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। इसी प्रकार क्षेत्र संयोजकों की बैठक भाग्यनगर में संपन्न हुई जिसमें श्री भैयाजी जोशी का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। अक्षय कृषि परिवार की अ. भा. कार्यशाला सौराष्ट्र प्रान्त के भुज में संपन्न हुई। कार्यकर्ताओं के प्रयास से केरल के 7 ग्राम संघर्ष मुक्त हुए हैं, देवगिरी प्रांत में ग्राम विकास के कार्य में महिलाओं का सहभाग बढ़ा है तथा चित्तौड़ और जयपुर प्रांत में रोजगार सृजन के अच्छे प्रयास हुए हैं। कर्नाटक प्रांत में सघन वृक्षारोपण में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
सौराष्ट्र प्रांत के कटड़ा गांव में सरकारी स्कूलों में ग्राम समिति के माध्यम से ‘पक्षियों के लिए दाना’ जैसे उपक्रम चलाये जाते हैं। 15 संकुलों में जागरणात्मक, रचनात्मक और आर्थिक विकास के कार्य चल रहे हैं। 11 संकुलों में कृषि उत्पाद कंपनियों का निर्माण हो चुका है। जैविक कृषि करने वालों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। छोटे-छोटे रोजगारों, जैसे मुरब्बा, अचार बनाना, सिलाई करना आदि से महिलाओं की आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। केरल प्रांत के इरिजालक्कुडा जिले में तिरुवल्लूर गांव के स्वयंसेवकों ने वर्ष 2025 के पहले अपने गांव को ‘पंचमुक्त’ यानी 1) व्यसनमुक्त, 2) ऋणमुक्त, 3) रोगमुक्त, 4) अपराधमुक्त व 5) संघर्षमुक्त करके ‘पंचयुक्त’ यानी 1) आर्थिक रूप से स्वावलंबी, 2) जैविक कृषियुक्त, 3) शिक्षणयुक्त, 4) समरसतायुक्त व 5) स्वावलंबनयुक्त और आत्मनिर्भर बनाने के ‘ग्राम विकास समिति’ के माध्यम से प्रयास प्रारम्भ किए हैं।
कुटुंब प्रबोधन : कुटुंब प्रबोधन गतिविधि की अ.भा. बैठक सितंबर 2022 को काशी में संपन्न हुई। 43 प्रांतों के संयोजक, सह संयोजक धर्मपत्नी सहित उपस्थित थे। मा. सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने उद्घाटन सत्र में कहा कि ‘वर्तमान परिस्थिति में अपनी कुटुंब व्यवस्था के सामने चुनौतियां निर्माण हुई हैं। कुटुंब प्रबोधन गतिविधि के माध्यम से हमें इसका समाधान करना है। संपूर्ण विश्व ही मेरा परिवार है, हमें इस भाव को जगाना होगा। इसके लिए गति अधिक बढ़ानी होगी।’
सामाजिक समरसता : देशभर में कुल 13,575 ग्रामों का सर्वेक्षण किया गया। इसमें सामाजिक समरसता की दृष्टि से ग्राम का अध्ययन किया गया। सभी के लिए ‘मंदिर प्रवेश, मुक्त जलाशय, समान श्मशान भूमि’ हो, ये मुख्य बिंदु थे। समस्याग्रस्त स्थानों को चिन्हित कर उनके निर्मूलन की योजना बनाई जा रही है।
पर्यावरण संरक्षण : पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के प्रांत संयोजकों की अखिल भारतीय बैठक 31 जुलाई तथा । अगस्त 2022 को हरिद्वार में सम्पन्न हुई। 128 अपेक्षित कार्यकर्ताओं में से 106 उपस्थित रहे। सरकार्यवाह जी एवं श्री भागैया जी का मार्गदर्शन मिला। सरकार्यवाह जी ने कहा, ‘पर्यावरण की रक्षा करने का मतलब स्वयं की रक्षा करना है। ‘विरोध नहीं विकल्प’ के सकारात्मक दृष्टिकोण से, जन सहभागिता से जन अभियान खड़ा करना है’।
सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले का वक्तव्य
महर्षि दयानंद सरस्वती ने समाज को फिर जड़ों के साथ जोड़ा
पराधीनता के काल में जब देश अपने सांस्कृतिक व आध्यात्मिक आधार के सम्बन्ध में दिग्भ्रमित हो रहा था, तब महर्षि दयानन्द सरस्वती का प्राकट्य हुआ। उस काल में उन्होंने राष्ट्र के आध्यात्मिक अधिष्ठान को सुदृढ़ करने हेतु ‘वेदों की ओर लौटने’ का उद्घोष कर समाज को अपनी जड़ों के साथ पुन: जोड़ने का अद्भुुत कार्य किया। समाज को बल व चेतना प्रदान करने तथा समय के प्रवाह में आई कुरीतियों को दूर करने वाले महापुरुषों की शृंखला में महर्षि दयानंद सरस्वती दैदीप्यमान नक्षत्र हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती के प्रादुर्भाव व उनकी प्रेरणाओं से हुई सांस्कृतिक क्रांति का स्पंदन आज भी अनुभव किया जा रहा है। सत्यार्थ प्रकाश में स्वराज को परिभाषित करते हुए उन्होंने लिखा कि स्वदेशी, स्वभाषा, स्वबोध के बिना स्वराज नहीं हो सकता।
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महर्षि दयानंद की प्रेरणा और आर्यसमाज की सहभागिता अत्यंत महत्वपूर्ण है। अनेक स्वनामधन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने इनसे प्रेरणा ली। ‘कृण्वन्तो विश्वमार्यम्’ के संकल्प के साथ प्रारंभ किये गए आर्यसमाज के माध्यम से भारत को सही अर्थों में आर्य व्रत (श्रेष्ठ भारत) बनाना उनका प्रथम लक्ष्य था। उन्होंने नारी को अग्रणी स्थान दिलाने के लिए युगानुकूल व्यवस्थाएं बनाकर कन्या पाठशाला और कन्या गुरुकुल के माध्यम से उनको न केवल वेदों का अध्ययन करवाया अपितु नारी शिक्षा का प्रसार भी किया। आदर्श जीवनशैली अपनाने के लिए उन्होंने आश्रम व्यवस्था (ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास) का न केवल आग्रह किया, अपितु उनके लिए व्यवस्था भी निर्माण की, देश की युवा पीढ़ी में तेजस्विता, चरित्र निर्माण, व्यसनमुक्ति, राष्ट्रभक्ति के संचार, समाज व देश के प्रति समर्पण निर्माण करने के लिए गुरुकुल व डीएवी विद्यालयों का प्रसार कर क्रांति की।
गोरक्षा, गोपालन, गो आधारित कृषि, गोसंवर्धन के प्रति उनका आग्रह आज भी आर्यसमाज के कार्यों में स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है। उन्होंने शुद्धि आन्दोलन प्रारम्भ कर धर्मप्रसार का एक नया आयाम खोला, जो आज भी अनुकरणीय है। उनका जीवन उनके द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों का साकार स्वरूप था। उनके उपदेशों और कार्यों की प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है। उनकी द्विशताब्दी के पावन अवसर पर संघ उनका श्रद्धापूर्वक वंदन करता है। सभी स्वयंसेवक इस पावन अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों में पूर्ण मनोयोग से भाग लेकर उनके आदर्शों को अपने जीवन में चरितार्थ करें। रा. स्व. संघ की मान्यता है कि अस्पृश्यता, व्यसन और अंधविश्वासों से मुक्त करके एवं ‘स्व’ से ओत-प्रोत संस्कारयुक्त ओजस्वी समाज का निर्माण करके ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धाञ्जलि दी जा सकती है।
कुटुम्ब एकत्रीकरण : चित्तौड़, अजयमेरु में मा. सरकार्यवाह जी का दो दिवसीय प्रवास हुआ। 8 अक्तूबर को आयोजित प्रबुद्धजन सम्मेलन में राजस्थान की प्रचलित परंपरा के विपरीत कुल 386 प्रबुद्ध मातृशक्ति की उपस्थिति रही। 9 अक्तूबर को वर्षा, सर्दी की चुनौतिपूर्ण स्थिति में भी महानगर के कुल 2069 स्वयंसेवकों के एकत्रीकरण में माननीय सरकार्यवाह जी का मार्गदर्शन हुआ।
अरुणाचल : प. पू. सरसंघचालक जी का प्रवास : 12-15 दिसंबर, 2022 को प.पू. सरसंघचालक जी का पासीघाट में प्रवास हुआ। 1962 के भारत-चीन युद्ध पर एक बहुत ही शोधपरक प्रदर्शनी का सरसंघचालक जी ने उद्घाटन किया। प्रांत कार्यकर्ता बैठक के लिए प्रांत के चयनित शाखा, मिलन या संघमंडली युक्त 121 स्थानों से अपेक्षित कार्यकर्ताओं में से 106 स्थानों से 387 कार्यकर्ता उपस्थित हुए। प्रांत की समन्वय बैठक में 13 संगठनों के 100 कार्यकर्ता उपस्थित हुए। स्थानीय जनजाति के स्वधर्म रक्षा संगठनों के नेतृत्व के साथ एक संवाद का कार्यक्रम हुआ।
समन्वय बैठक : समाज जीवन के विविध क्षेत्रों में संगठन के माध्यम से कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं की अखिल भारतीय समन्वय बैठक 10-12 सितंबर को रायपुर में संपन्न हुई। इसमें कार्य पद्धति, सामाजिक परिवर्तन के प्रयास तथा उपलब्धियां, वैचारिक विमर्श तथा सर्वस्पर्शी कार्य आदि विषयों पर चर्चा हुई।
प्रस्ताव
‘स्व’ आधारित राष्ट्र के नवोत्थान का संकल्प लें
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का यह सुविचारित अभिमत है कि विश्व कल्याण के उदात्त लक्ष्य को मूर्तरूप प्रदान करने हेतु भारत के ‘स्व’ की सुदीर्घ यात्रा हम सभी के लिए सदैव प्रेरणास्रोत रही है। विदेशी आक्रमणों तथा संघर्ष के काल में भारतीय जनजीवन अस्त-व्यस्त हुआ तथा सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक व धार्मिक व्यवस्थाओं को गहरी चोट पहुंची। इस कालखंड में पूज्य संतों व महापुरुषों के नेतृत्व में संपूर्ण समाज ने सतत संघर्षरत रहते हुए अपने ‘स्व’ को बचाए रखा। इस संग्राम की प्रेरणा स्वधर्म, स्वदेशी और स्वराज की ‘स्व’ त्रयी में निहित थी, जिसमें समस्त समाज की सहभागिता रही। स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के पावन अवसर पर सम्पूर्ण राष्ट्र ने इस संघर्ष में योगदान देने वाले जननायकों, स्वतंत्रता सेनानियों तथा मनीषियों का कृतज्ञतापूर्वक स्मरण किया है।
स्वाधीनता प्राप्ति के उपरांत हमने अनेक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त की हैं। आज भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनकर उभर रही है। भारत के सनातन मूल्यों के आधार पर होने वाले नवोत्थान को विश्व स्वीकार कर रहा है। ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की अवधारणा के आधार पर विश्व शांति, विश्व बंधुत्व और मानव कल्याण के लिए भारत अपनी भूमिका निभाने के लिए अग्रसर है।
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का मत है कि सुसंगठित, विजयशाली व समृद्ध राष्ट्र बनाने की प्रक्रिया में समाज के सभी वर्गों के लिए मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति, सर्वांगीण विकास के अवसर, तकनीक का विवेकपूर्ण उपयोग एवं पर्यावरणपूरक विकास सहित आधुनिकीकरण की भारतीय संकल्पना के आधार पर नए प्रतिमान खड़े करने जैसी चुनौतियों से पार पाना होगा। राष्ट्र के नवोत्थान के लिए हमें परिवार संस्था का दृढ़ीकरण, बंधुता पर आधारित समरस समाज का निर्माण तथा स्वदेशी भाव के साथ उद्यमिता का विकास आदि उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए विशेष प्रयास करने होंगे। इस दृष्टि से समाज के सभी घटकों, विशेषकर युवा वर्ग को समन्वित प्रयास करने की आवश्यकता रहेगी।
संघर्षकाल में विदेशी शासन से मुक्ति हेतु जिस प्रकार त्याग और बलिदान की आवश्यकता थी; उसी प्रकार वर्तमान समय में उपर्युक्त लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए नागरिक कर्तव्य के प्रति प्रतिबद्ध तथा औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त समाज जीवन भी खड़ा करना होगा। इस परिप्रेक्ष्य में माननीय प्रधानमंत्री द्वारा स्वाधीनता दिवस पर दिये गए ‘पंच-प्रण’ का आह्वान महत्वपूर्ण है। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा इस बात को रेखांकित करना चाहती है कि जहां अनेक देश भारत की ओर सम्मान और सद्भाव रखते हैं, वहीं भारत के ‘स्व’ आधारित इस पुनरुत्थान को विश्व की कुछ शक्तियां स्वीकार नहीं कर पा रही हैं। हिंदुत्व के विचार का विरोध करने वाली देश के भीतर और बाहर की अनेक शक्तियां निहित स्वार्थों और भेदों को उभार कर समाज में परस्पर अविश्वास, तंत्र के प्रति अनास्था और अराजकता पैदा करने हेतु नए-नए षड्यंत्र रच रही हैं। हमें इन सबके प्रति जागरूक रहते हुए उनके मंतव्यों को भी विफल करना होगा।
यह अमृतकाल हमें भारत को वैश्विक नेतृत्व प्राप्त कराने के लिए सामूहिक उद्यम करने का अवसर प्रदान कर रहा है। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा प्रबुद्ध वर्ग सहित सम्पूर्ण समाज का आह्वान करती है कि भारतीय चिंतन के प्रकाश में सामाजिक, शैक्षिक, आर्थिक, लोकतांत्रिक, न्यायिक संस्थाओं सहित समाज जीवन के सभी क्षेत्रों में कालसुसंगत रचनाएं विकसित करने के इस कार्य में संपूर्ण शक्ति से सहभागी बने, जिससे भारत विश्व मंच पर एक समर्थ, वैभवशाली और विश्व कल्याणकारी राष्ट्र के रूप में समुचित स्थान प्राप्त कर सके।
कार्यकारी मण्डल बैठक : अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल की बैठक 16-19 अक्तूबर को प्रयागराज के गोहनियां स्थित वात्सल्य परिसर में संपन्न हुई। इस वर्ष बैठक का आयोजन 4 दिन का किया गया था। कार्यस्थिति की समीक्षा, विविध कार्य विभागों के वृत्त व आगामी वर्षों में संगठन की दिशा पर चर्चा में कार्यकर्ताओं ने अपने विचार रखे।
युवाओं ने लिया संकल्प : निवर्तमान वर्ष में विविध प्रकार की घटनाएंं घटी हैं जो विभिन्न भावनाओं, प्रतिक्रियाओं और संवेदनाओं को उत्पन्न करती हैं। देश का विभिन्न मोर्चों पर आगे बढ़ना आनंद का विषय है। भारत की आजादी के अमृत महोत्सव को न केवल अपने देश में बल्कि विदेशों में रह रहे भारतीयों ने भी हर्षोल्लास के साथ मनाया। पूरे देश में स्वयंसेवकों द्वारा लोगों में देशभक्ति की भावना जगाने वाले अनेक कार्यक्रम हुए। कई आयोजनों ने एक ओर दीर्घ स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लोगों द्वारा किए गए बलिदानों को श्रद्धांजलि के साथ गौरवान्वित किया, तो दूसरी ओर राष्ट्र के स्वत्व के जागरण का एक सही आख्यान स्थापित करने में भी मदद की, जो इस राष्ट्रीय आंदोलन के सभी आयामों की मूल चेतना थी। वर्तमान पीढ़ी को हमारे इतिहास का उचित परिप्रेक्ष्य मिले, यह उद्देश्य काफी हद तक प्राप्त हुआ। अमृत काल (आने वाले 25 वर्ष) के दौरान भारत को राष्ट्रों के समूह में एक गौरवशाली और सम्मानजनक स्थान दिलाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयास करने का राष्ट्रीय संकल्प युवाओं के मन में अच्छी तरह से प्रतिध्वनित हुआ। राष्ट्रीय नवोत्थान की प्रक्रिया का प्रारंभ सर्वत्र अनुभव में आ रहा है।
सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले का वक्तव्य
मानव कल्याण को समर्पित थे महावीर स्वामी
भगवान महावीर के निर्वाण प्राप्ति के 2550 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। उन्होंने कार्तिक अमावस्या के दिन अष्टकर्मों का नाश करके निर्वाण प्राप्त किया था। जनमानस को ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जानी वाली इस दिव्य विभूति ने आत्मकल्याण तथा समाज कल्याण में अपने जीवन को समर्पित कर मानवता पर परम उपकार किया। मानवता के कल्याण को दृष्टिगत रखते हुए उन्होंने सत्य, अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य के रूप में पांच सूत्र दिए थे, जिनकी सर्वकालिक प्रासंगिकता है।
भगवान महावीर ने नारीशक्ति को सम्मानजनक स्थान प्रदान करते हुए उन्हें खोया गौरव लौटाकर समाज में लैंगिक भेदभाव को मिटाने का युगांतरकारी कार्य किया। अपरिग्रह के संदेश से उन्होंने अपनी आवश्यकताओं को सीमित करते हुए संयमपूर्ण जीवन जीने तथा अपनी अतिरिक्त आय को समाज के हित में समर्पित करने की दिशा दी। हमारी वर्तमान जीवन शैली को पर्यावरण से होने वाली हानि से बचाने में अपरिग्रह का सूत्र बहुत महत्वपूर्ण है। अहिंसा, सह-अस्तित्व और प्राणिमात्र में समान आत्मतत्व के दर्शन करने की उनकी शिक्षा का अनुपालन विश्व के अस्तित्व के लिए आवश्यक है। भगवान महावीर द्वारा प्रतिपादित कर्म सिद्धांत में अपने कष्टों और दु:खों के लिए दूसरों को उत्तरदायी ठहराने से बचने तथा अपने कर्म को ही कर्ता के सुख-दु:ख का कारण मानने का सन्देश निहित है।
‘स्यादवाद’ भगवान महावीर का एक प्रमुख संदेश है। अनेक प्रकार के द्वंद्वों से पीड़ित मानवता को बचाने तथा शांतिपूर्ण सहअस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए स्यादवाद आधार बन सकता है।
संघ का मत है कि वर्तमान को वर्द्धमान की बहुत आवश्यकता है। भगवान महावीर के निर्वाण प्राप्ति के 2550वें वर्ष के अवसर पर संघ उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन करता है। सभी स्वयंसेवक इस निमित्त होने वाले आयोजनों में पूर्ण मनोयोग से योगदान करेंगे तथा उनके उपदेशों को जीवन में चरितार्थ करेंगे। समाज से अपेक्षा है कि भगवान महावीर की शिक्षा को अंगीकार करते हुए विश्व मानवता के कल्याण में स्वयं को समर्पित करे।
भारत के बल-शील प्रतिष्ठा में वृद्धि हो रही है। महामारी के चुनौतीपूर्ण काल में लिया आत्मनिर्भरता का संकल्प सुफल देने की स्थिति में आया है। संकट के चरण को पार कर देश की अर्थव्यवस्था न केवल सुधरी है बल्कि आज विश्व में पांचवें स्थान पर पहुंच गई है। कई प्रमुख अर्थविशेषज्ञों ने कहा है कि वर्तमान शताब्दी भारत की शताब्दी होगी। अब भारत अनेक क्षेत्रों में विश्व की मान्यता प्राप्त कर रहा है। भारत इस वर्ष जी-20 देशों के सम्मेलन की अध्यक्षता का निर्वहन कर रहा है, यह इसका एक सशक्त उदाहरण है।
‘राजपथ’ बना ‘कर्तव्य पथ’ : भारत में औपनिवेशिक दासता को त्याग कर नये आत्मविश्वासयुक्त, आत्मसम्मान से भरे आत्मनिर्भर भारत की ओर यात्रा प्रारंभ हो चुकी है। ‘राजपथ’ को बदल कर ‘कर्तव्य पथ’ बनाना और विक्टोरिया रानी की मूर्ति के स्थान पर नेताजी सुभाष बाबू की मूर्ति की स्थापना इस बदलाव के अर्थपूर्ण प्रतीक हैं। भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने भी कहा है कि भारत की न्याय व्यवस्था देश की मिट्टी और परंपरा के अनुरूप नहीं है, इसका भारतीयकरण होना चाहिए। इस दिशा में राष्ट्र जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में व्यापक एवं सुदृढ़ प्रयासों की आवश्यकता है। युवा पीढ़ी के संदर्भ में यह उद्देश्य नई शिक्षा नीति के परिणामकारी क्रियान्वयन से अधिक सफल होने की आशा है। राष्ट्र को समृद्ध, सुदृढ़, स्वाभिमानी व सुसंस्कारित बनाने के लिए मात्र सरकार की नीति व प्रयत्नों पर निर्भर होना अपेक्षित नहीं है, अपितु समाज को भी अपना कर्तव्य बखूबी निभाना है।
‘सामाजिक परिवर्तन के पांच आयामों पर काम करेगा संघ’
अ.भा.प्र. सभा के अंतिम दिन, 14 मार्च को सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने पत्रकार वार्ता को संबोधित किया। श्री होसबाले ने बताया कि प्रतिनिधि सभा में वार्षिक प्रतिवेदन सहित आगामी कार्यदृष्टि के लिए एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया गया। यह प्रस्ताव भारत के अमृतकाल और संघ के सौवें वर्ष की ओर बढ़ती यात्रा के समय में समाज को दिशा देने का कार्य करेगा। ऐसे समय में जब भारत वैश्विक नेतृत्व के पथ पर निरंतर मजबूती से कदम बढ़ा रहा है तब नागरिकों को यह समझने की आवश्यकता है कि इस पथ पर कांटे कौन बिछाना चाहता है। संघ और समस्त समाज राष्ट्र के नवोत्थान की राह में आने वाले सभी कंटकों को दूर करने के लिए कार्य करते रहेंगे। सरकार्यवाह ने कहा कि देश के अमृतकाल में विमर्श बदलने चाहिए, भारत के प्रश्नों पर भारत के ही उत्तर होने चाहिए।
बैठक में प्रस्ताव के अतिरिक्त महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती, छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्यारोहण के 350वें वर्ष और महावीर स्वामी के निर्वाण के 2550वें वर्ष पूर्ण होने पर तीन वक्तव्य भी जारी किए गए। सरकार्यवाह ने बताया कि विजयादशमी 2025 से संघ का शताब्दी वर्ष प्रारंभ हो रहा है। बैठक में कार्य विस्तार तथा कार्य की गुणात्मकता बढ़ाने की योजना बनी है। संघ आगामी समय में सामाजिक परिवर्तन के पांच आयामों पर अपने कार्य को अधिक केन्द्रित करेगा। ये पांच आयाम हैं—सामाजिक समरसता, परिवार प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी आचरण और नागरिक कर्तव्य। समाज में विभेद के विरुद्ध विमर्श खड़ा करना तथा समरसता के लिए निरंतर प्रयास करना इस कार्ययोजना का लक्ष्य है।
सवाल-जवाब के क्रम में श्री होसबाले ने यह भी कहा कि संघ जनसंख्या असंतुलन के प्रति चिंतित है जिसका जिक्र समय-समय पर सर्वोच्च न्यायालय सहित पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन और महात्मा गांधी भी कर चुके हैं। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी द्वारा संघ की आलोचना तथा भारत में लोकतंत्र समाप्त होने संबंधी बयान के सवाल पर उन्होंने कहा कि एक राजनीतिक दल के वरिष्ठ सांसद को अधिक जिम्मेदारी से बात करनी चाहिए, देश में इमरजेंसी के लिए माफी तक ना मांगने वाले लोगों को लोकतंत्र पर बात करने का नैतिक अधिकार नहीं है। श्री होसबाले ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि संघ का हिंदू राष्ट्र का विचार सांस्कृतिक राष्ट्र का विचार है, इसे भू-राजनीतिक सीमाओं वाली ‘स्टेट’ की अवधारणा के आधार पर नहीं देखना चाहिए। सांस्कृतिक राष्ट्र के रूप में देखने पर इस विषय में कोई भ्रम नहीं रहता, क्योंकि भारत इस रूप में हिंदू राष्ट्र ही है। एक और प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि समलैंगिक विवाह के विषय में संघ का स्पष्ट विचार है कि विवाह एक संस्कार है, जो स्त्री पुरुष के बीच होता है, क्योंकि इसका उद्देश्य व्यापक समाज हित है, न कि व्यक्तिगत दैहिक सुख।
सरकार्यवाह ने स्पष्ट कहा कि भारत तेजी से आर्थिक विकास कर रहा है, सामरिक और कूटनीतिक मोर्चों में बढ़ती महत्ता से सभी परिचित हैं। ऐसे समय में भारतीय समाज को एकजुट होकर सर्वांगीण विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में कार्य करना है।
समाज में एक ओर बाढ़, भूकंप, दुर्घटना जैसी आपदाओं में राहत कार्य हेतु सामान्य लोग और संस्थाएं सामने आती हैं, वहीं दूसरी ओर सही सोच के विकास, सामाजिक सहमति निर्माण व सकारात्मक परिवर्तन के लिए भी कई प्रयत्न होते दिख रहे हैं। उदाहरण के लिए, स्वच्छता अभियान, समरसता यात्रा, मंदिरों के संचालन, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार सृजन आदि क्षेत्रों में विविध सार्थक प्रयास, पंच महाभूतों के संदर्भ में हुए मंथन व जागरण का उल्लेख किया जा सकता है। गो सेवा, ग्राम विकास, परिवार प्रबोधन, सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण इन गतिविधियों को मिले स्वागत एवं उनके विभिन्न आयामों में उत्साही सहभागिता परिवर्तन की लहर का संकेत है।
ऐसी परिस्थिति में भी देश में दीर्घकाल के इतिहास के अनेक परिणामों से उत्पन्न मानसिकता व विकृतियों तथा स्वार्थी, राष्ट्रघातक तत्वों की कुटिलता के कारण कई सामाजिक व राष्ट्रीय चुनौतियों का भी सामना करना पड़ेगा। समाज को येन केन प्रकारेण तोड़ने के प्रयत्न करना या देश-समाज के विषयों में विकृत विमर्श को प्रसारित कर भ्रम फैलाना उनका उद्यम बना है। समाज की कोई परिस्थिति या घटना को बहाना बनाकर भाषा, जाति या समूह कलह करवाना, सरकार की अग्निपथ जैसी किसी योजना के विरुद्ध युवकों को भड़काना, इस प्रकार की आतंक, विद्वेष, अराजकता, हिंसा की कुत्सित घटनाएं अन्यान्य स्थानों पर हुई हैं।
इंग्लैंड (लीसेस्टर), आस्ट्रेलिया (मेलबर्न), कनाडा जैसे कुछ देशों में विध्वंसक शक्तियों ने हिंदू परिवार, मंदिर आदि पर हिंसक हमले किये। परंतु हिंदू समाज ने भी संगठित प्रतिरोध किया। भारत सरकार ने भी ऐसी घटनाओं पर आपत्ति कर हिंदू समाज की रक्षा का आग्रह किया। गत वर्ष में ही संकेत किया था कि देश के कई भागों में कन्वर्जन की साजिश व्यापक प्रमाण में दिखाई देती है। उच्चतम न्यायालय की पीठ ने भी इस संदर्भ में अपनी चिंता व्यक्त की है। हिंदू समाज का धार्मिक व सामाजिक नेतृत्व इस समस्या की गंभीरता को समझ कर समाज व धर्म के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए आगे आ रहा है।
समरसता यात्राएं
विभिन्न प्रांतों में भगवान वाल्मिकि, संत शिरोमणी रविदास इत्यादि महापुरुषों की जयंती पर समरसता यात्राओं का आयोजन किया गया। दिल्ली में महर्षि वाल्मिकि जी की शोभा यात्रा का महानगर के मुख्य मंदिरों एवं विविध समाज प्रमुखों के द्वारा स्वागत किया गया। ‘चोखोबा से तुकोबा—एक वारी समता की’ यात्रा महाराष्ट्र के संत चोखा महाराज के जन्मस्थान से संत तुकाराम महाराज जी के स्थान तक चली इस यात्रा में 12 दिन में हुए 45 कार्यक्रमों के माध्यम से समरसता का संदेश जन-जन तक पहुंचाया गया। सतत दूसरे वर्ष भी निकली ‘मीरा चली सद्गुुरु के धाम’ यात्रा ने 43 जिलों में प्रवास किया। 103 कार्यक्रमों में कुल 270 संतों ने समरसता का संदेश सहभागी 67,000 बंधु-भगिनियों तक पहुंचाया। उत्तर भारत के लगभग सभी अध्यात्मिक धाराओं के संत एवं भक्त यात्रा में सम्मिलित हुए।
हमें कार्य को तीव्र गति देनी ही होगी। एक स्वाभिमानी, समृद्धशाली, सुशील, संपन्न, संगठित एवं समरस भारत के समग्र तथा सुंदर प्रारूप को ले कर संघकार्य अग्रसर हो रहा है। संघ के स्वयंसेवक संगठनात्मक उपलब्धियों को सुदृढ़ करते हुए और समस्या व चुनौतियों का क्षमता से सामना करते हुए समाज में सर्वत्र आत्मविश्वास का दीप जलाकर सक्रियता की मालिका का निरंतर निर्माण कर रहे हैं। इसी राष्ट्र साधना को हम अधिक समर्पण भाव से करते हुए आगे बढ़ेंगे ताकि अपने सपने साकार होने की स्वर्णिम वेला को इन्हीं शरीर व आंखों से हम देख सकें।
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