“शोध एवं नवाचार में भारत ने दुनिया को एक नया दष्टिकोण दिया है, कोविड समय में भारत की वैक्सीन की पहल ने भी भारतीय व्यक्ति के भीतर स्वाभिमान जगाने के साथ ही दुनिया के स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा बनायी है” यह बात शिव प्रकाश, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री, भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के लोक प्रशासन व राजनीति विज्ञान विभाग के द्वारा ‘वैश्विक परिदृश्य में भारतीय लोकतंत्र और जी-20’ विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में कही। शिव कुमार ने कहा कि जी-20 सम्मेलन की मेजबानी भारत को मिलना बहुत बड़ी बात है। भारत लोकतंत्र की जननी रहा है। भारत विश्व गुरु है। उन्होंने कहा कि जी-20 सम्मेलन की मेजबानी अन्य देश किसी सुदूर शहर में सम्मेलन का आयोजन कर करते हैं, जबकि भारत इसे एक उत्सव के तौर पर मना रहा है। जी 20 सम्मेलन के दिन दिल्ली के अलावा भारत के लगभग 50 से अधिक स्थानों पर 250 से अधिक बैठकें आयोजित की जा रही हैं। भारत के ऐतिहासिक व पौराणिक स्थलों में जी 20 में शामिल हुए अतिथियों को घुमाने की योजना है। पूरी दुनिया को जी 20 के माध्यम से भारत वसुधैव कुटुंबकम का संदेश देंगे।
संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि प्रो. आर.सी. मिश्रा ने कहा कि रामायण और महाभारत काल में लोकतंत्र की पद्धति राजतंत्र के भीतर प्रयोग हुई है। सभा व समितियां होती थी राजा को किस तरह गण का ध्यान रखना है और किस तरह से गण महत्वपूर्ण है.ये सब उस गणतंत्र में शामिल था। इससे लगता है कि लोकतंत्र व गणतंत्र से हमारा पुराना नाता है। बुद्ध काल में भी कितने गणतंत्रों की सुदढ़ परंपरा रही है। नवीं शताब्दी में चोल साम्राज्य में प्रजातंत्रीय व्यवस्था से चुनाव होते थे पंचायती राज व्यवस्था का ब़ड़ा सुदृढं रूप था। और अगर आज आधुनिक समाज की बात करें तो देश अभी अमृतकाल में चल रहा है 75 सालों में लोकतंत्र न केवल सुरक्षित है बल्कि मजबूती से खड़ा है। संघीय ढ़ांचा और अधिक मजबूत हुआ है।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओ.पी.एस.नेगी ने संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कहा कि विश्वविद्यालयों का काम है कि वैश्विक स्तर के विमर्श समय समय पर कराएं जाएं। वैश्विक परिदृश्य में भारतीय लोकतंत्र और जी 20 पर इसीलिए यहां आज गोष्ठी की जा रही है। उन्होंने पाठ्यक्रम में दीनदयाल उपाध्याय जैसे भारतीय राजनीतिज्ञ व समाज सुधारकों को विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में जोड़े जाने की बात कही।
संगोष्ठी को उद्भोधित करते हुए प्रयाग विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डा. सूर्यभान सिंह ने कहा सामाजिक जीवन में अगर लोकतंत्र नहीं है तो वह कैसा लोकतंत्र। भारतीय परंपरा के पुरातन ग्रंथों का अगर अवलोकन करें तो भारतीय परंपरा में सामाजिक लोकतंत्र रहा है कर्त्वय प्रधान व्यवस्था रही है।
धन्यवाद ज्ञापन विवि की कुलसचिव प्रो. रश्मि पंत ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत विवि के कुलगीत व समापन राष्ट्रगीत वन्देमातरम के साथ हुआ। कार्यक्रम का संचालन राजनीति विज्ञान में असिसटेंट प्रोफेसर आरुषि ध्यानी ने किया। इस अवसर पर विज्ञान विद्याशाखा के निदेशक प्रो. पीडी पंत, विवि की कुलसचिव प्रो. रश्मि पंत, संगोष्ठी के संयोजक डॉ0 घनश्याम जोशी, शिक्षा विद्याशाखा के निदेशक प्रो. ए के नवीन, भारतीय जनता पार्टी के संगठन मंत्री अजेय कुमार समेत विश्वविद्यालय परिवार के लोग उपस्थित रहे।
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