पछुवा देहरादून में ढकरानी, शक्ति नहर आसन बैराज क्षेत्र में अवैध रूप से कब्जा करने वालों को हटाने का साहस जिला प्रशासन शायद नहीं कर पा रहा है। अवैध कब्जेदारों को कांग्रेस, भीम आर्मी, जमीयत ए उलेमा, मुस्लिम सेवा संस्था का खुला समर्थन मिलने से अतिक्रमण हटाओ अभियान एक हफ्ते से टल रहा है, जबकि उत्तराखंड जल विद्युत निगम को अपनी जमीन 10 मार्च तक खाली करवानी थी। इसके लिए बाकायदा अवैध कब्जेदारों को नोटिस भी दिया गया था।
जानकारी के मुताबिक शासन ने ढकरानी क्षेत्र से सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बसे परिवारों को हटाने के लिए पुलिस फोर्स नहीं भेजी है, इसके लिए ये बहाना दिया गया कि विधानसभा चल रही है और देहरादून में झंडा मेला भी लगा हुआ है। अब दोनों कार्यक्रम समाप्ति की ओर हैं और जल विद्युत निगम के अधिकारी बुलडोजर लिए पुलिस फोर्स की राह ताक रहे हैं।
शासन ने कांग्रेस के पूर्व विधायक नव प्रभात के दबाव में यहां काबिज लोगों के सत्यापन करने का काम शुरू किया, लेकिन उसके लिए भी निगम अभियंताओं, तहसीलदार को फोर्स नहीं मिली। अवैध कब्जेदारों ने नैनीताल हाई कोर्ट में रिट दायर की, जिसका कोर्ट ने हाथोंहाथ निस्तारण भी कर दिया और इस बारे में खसरा खतौनी गलत नंबर चढ़ा होने के मामलों को ठीक भी कर दिया। इसके बावजूद सप्ताहभर से अतिक्रमण हटाओ अभियान को रोक कर रखा गया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एक तरफ ये कहते हैं कि सरकार अपनी भूमि कब्जेदारों से मुक्त करवाएगी। दूसरी ओर उनके नौकरशाह अतिक्रमण हटाओ अभियान मामले में चुप्पी साथ ले रहे हैं। 900 से ज्यादा लोग अतिक्रमण करके शासन-प्रशासन को ठेंगा दिखाने में लगे हुए हैं। स्थानीय विधायक इसलिए चुप हो जाते हैं क्योंकि वोट की लालच में ब्लाक प्रमुख ने उन्हें इस मामले से दूर रहने को कहा हुआ है। हालांकि एमएलए मुन्ना सिंह चौहान को भी पता है कि ये उनका वोट बैंक भी नहीं है। ये कब्जेदार यहां कांग्रेस शासन काल से ही बैठे हैं और उन्हें संरक्षण भी मिला है। बहरहाल उत्तराखंड जल विद्युत निगम के अभियंता और अधिकारी इस इंतजार में हैं कि सरकार इस मामले में दिशा निर्देश दे। पिछले एक हफ्ते से बुलडोजर, जेसीबी मशीनें, ट्रैक्टर, लेबर आदि इस इंतजार में खड़े हैं कि पुलिस फोर्स आए और वो अपना काम खत्म करें।
कौन हैं अतिक्रमण कारी
ढकरानी क्षेत्र में अतिक्रमण करने वाले 900 से ज्यादा परिवार यहां जल विद्युत परियोजना में काम करने के लिए आए मजदूर थे, जो बाद में जमुना नदी में अवैध खनन में लग गए और आज डंपरों के मालिक हो गए। इनमें से 700 से ज्यादा परिवार मुस्लिम हैं, जो यूपी से आकर यहां बसे और अब जनसंख्या असंतुलन की वजह भी बन गए हैं।
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