रेलवे अतिक्रमण मामले में सुर्खियों में आए हल्द्वानी का बनभूलपुरा क्षेत्र एक बार फिर से चर्चा में है, हल्द्वानी विद्युत विभाग में स्थानीय अखबारों में विज्ञापन निकाल कर क्षेत्र के बिजली बिल के बकाएदारों की सोची प्रकाशित की है, जिसमें करोड़ों की रकम स्थानीय लोगों पर बकाया दिखाई गई है।
बनभूलपुरा क्षेत्र में 98 फीसदी मुस्लिम आबादी रहती है, पुलिस रिकार्ड में कुमायूं क्षेत्र में सबसे ज्यादा अपराध यहां के थाने में दर्ज होते हैं। एक वक्त ऐसा भी था कि यहां कोई भी प्रशासनिक अधिकारी जाने का जोखिम नहीं लेता था। यही वजह थी कि यहां रेलवे और सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे होते गए और लोग यहां कांटे डाल कर बिजली चोरी करने लगे। पिछले कुछ सालों में मोटी तार लग जाने से बिजली की चोरी पर अंकुश लगा और सरकार द्वारा निशुल्क बिजली कनेक्शन लगाने की वजह से अब बिजली के बिल आने लगे। लेकिन जब बिजली बिल के भुगतान की बारी आती है तो यहां से रिकवरी को लेकर विद्युत विभाग के पसीने छूट जाते हैं।
दो दिन पूर्व स्थानीय अखबारों में हल्द्वानी विद्युत विभाग द्वारा विज्ञापन छपवाया गया तो मालूम चला कि सैकड़ों लोगों पर करोड़ों रुपये का बिजली बिल बकाया है।
दिलचस्प बात ये है कि बनभूलपुरा क्षेत्र के अलावा कोई और क्षेत्र होता तो विद्युत विभाग जाकर दस हजार से ऊपर का बिल अथवा तीन महीने में ही उपभोक्ता का कनेक्शन काट देता।
जानकारी के मुताबिक विभाग द्वारा मार्च क्लोजिंग की वजह से बनभूलपुरा की गली गली जाकर मुनादी भी कराई जा रही है फिर भी वहां से रिकवरी नही हो पा रही है।
उल्लेखनीय है कि मुस्लिम आबादी और अपराधों के लिए जाने जाते इस क्षेत्र में प्रशासन कई बार बेबस होता दिखता है, यदि कोई हौसले वाला अधिकारी होता है तो वो अपनी सख्ती से हर लक्ष्य को पूरा कर लेता है और यदि सीधा अधिकारी पहां जाता है तो उसे स्थानीय लोग डरा धमका कर भगा देते हैं।
अखबारों में विज्ञापन निकाले जाने का अर्थ यही निकाला जा रहा है कि विद्युत विभाग अपने बकाया राशि को वसूलने में डर रहा है। विभाग के आगे मार्च क्लोजिंग का लक्ष्य है इसलिए वो मनोवैज्ञानिक तरीके से वसूली करने की योजना पर काम कर रहा है।
जानकारी के मुताबिक बनभूलपुरा क्षेत्र बिजली बिल बकायदारो की रकम चार करोड़ रुपये से अधिक है, जिसे वसूलने में फिलहाल विभागीय अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं।
टिप्पणियाँ