उत्तराखंड के विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व एरिया के पाखरो डिविजन में अवैध इमारतों के निर्माण को लेकर केंद्र सरकार ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) को रिपोर्ट सौंपी है। केंद्र सरकार ने एनजीटी के समक्ष स्वीकार किया है कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कोर एरिया और बफर एरिया में इमारतों का अवैध निर्माण हुआ है।
केंद्रीय वन मंत्रालय को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के अवैध निर्माण मामले में भारी वित्तीय गड़बड़ी मिली है,पार्क के कोर जोन में छ हजार हरे पेड़ एनजीटी,एनटीसीए की बिना अनुमति के भी काट डाले गए। इस मामले में यूपी क्षेत्र में पड़ने वाले कॉर्बेट पार्क के अधिकारी भी जांच के घेरे में बताए जा रहे है जिसकी यूपी सरकार जांच कर रही है।
वन मंत्रालय ने कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के अवैध निर्माण और वन्य जीव क्षेत्र में निर्माण के लिए उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत सहित जिन अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है। इनमे जबर सिंह सुहाग (तत्कालीन मुख्य वन्यजीव वार्डन, सुशांत पटनायक (सीसीएफ गढ़वाल) राहुल ((तत्कालीन निदेशक, कॉर्बेट) अखिलेश तिवारी ,डीएफओ किशन चंद्र (डीएफओ कालागढ़) मथुरा सिंह मावड़ी (तत्कालीन वन परिक्षेत्र अधिकारी) श्री ब्रज विहारी शर्मा (वन परिक्षेत्र अधिकारी) एल.आर. नाग (तत्कालीन एसडीओ) उत्तराखंड सरकार में कार्यरत अधिकारी, जिन्होंने अंतिम चरण निकासी से पहले वित्तीय स्वीकृति जारी की थी।आईएफएस किशन चंद रिटायर हो चुके है लेकिन पुलिस ने उन्हें भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
जानकारी के मुताबिक वन विभाग के पीसीसीएफ राजीव भरतरी को भी इस मामले में घेर दिया गया है। जानकारी के मुताबिक ढिकाला जोन में वाइल्डलाइफ वार्डन का रेस्ट हाउस जोकि दो कमरों का था उसे ढहा कर छ कमरों का नया गेस्ट हाउस बना दिया गया जिसे एनटीसीए और एनजीटी ने संज्ञान में लिया है।जानकारी के मुताबिक टाइगर रिजर्व में पुराने भवन का मरम्मत करके पुराने स्वरूप में रखा जा सकता है न की उसका नव निर्माण किया जा सकता है।
सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि केंद्र सरकार ने इस मामले में तत्कालीन बीजेपी सरकार के वन मंत्री हरक सिंह रावत को भी जिम्मेदार माना है, हरक सिंह रावत इस समय कांग्रेस में है और वो इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित मानते है।उनका कहना है इससे पहले केंद्र और राज्य दोनो सरकारे इस लिए सहमत थी कि इस से हजारों लोगो को रोजगार मिलने वाला था, अब वो इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक लड़ेंगे।
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