मोहाली-चण्डीगढ़ सीमा पर पिछले दो महीने से अधिक समय से चले आरहे पक्के मोर्चे से परेशान लोगों ने न्यायालय की शरण ली है। यहां शाहीनबाग का दृश्य दो महीनों से देखने को मिल रहा है परन्तु न तो सरकार और न ही मीडिया इस ओर ध्यान दे रहा जिससे लोगों की परेशानी निरन्तर बढ़ती जा रही है। सिख बंदियों (वे खालिस्तानी आतंकी जो कई सालों से जेल में बन्द हैं और आन्दोलनकारियों का दावा है कि वे अपनी सजा की अवधि पूरी कर चुके हैं) को छुड़ाने की मांग को लेकर बीते 7 जनवरी से मोहाली में चल रहे पक्के मोर्चे के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। इसमें मांग की गई है कि सरकार और संबंधित अफसरों को आदेश दिए जाए कि वाईपीएस चौक, फेज 7, फेज 3 ए, मोहाली में प्रदर्शनकारियों द्वारा किए गए अतिक्रमण को जल्द हटाया जाए।
उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए 17 मार्च के लिए सरकार व अन्यों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। जनवरी महीने से लगाए गए इस मोर्चे से आम लोगों को वहां से गुजरने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। वहीं आम लोगों की जान-माल और स्वतंत्रता की सुरक्षा की जाए।
‘अराइव सेफ सोसाइटी, चंडीगढ़ नामक गैर सरकारी संगठन के अध्यक्ष हरमन सिंह सिद्धू ने केन्द्रीय गृह मंत्रालय, पंजाब सरकार के मुख्य सचिव,पंजाब पुलिस के महानिदेशक, मोहाली के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक को पक्ष बनाया है। याची की ओर से अधिवक्ता रवि कमल गुप्ता ने दलीलें पेश की। याचिका में आशंका जताई गई है कि प्रदर्शनकारी कानून व्यवस्था खराब कर सकते हैं। इससे लोगों को खतरा पैदा हो सकता है और शांति व्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है। इससे यातायात की स्थिति और निर्बाध रूप से घूमने की स्वतन्त्रता भी प्रभावित हो रही है। जनहित याचिका में इस प्रदर्शन की तस्वीरें भी अटैच की गई हैं। वहीं मांग की गई है कि किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए प्रतिवादी बनाए गए पुलिस-प्रशासन को उचित आदेश जारी किए जाए।
याची ने कहा है कि वह मटोर बैरियर, वाईपीएस चौक से मैक्स और फोर्टिस अस्पताल नहीं पहुंच पाए थे। कई लोग इस प्रदर्शन के कारण सडक़ों से नहीं गुजर पा रहे हैं। प्रदर्शनकारी अनिश्चित काल के लिए मोर्चे पर बैठे हुए हैं। वह पिछली 7 जनवरी से प्रदर्शन पर हैं जिससे आम नौकरीपेशा व्यक्ति, विद्यार्थी और अन्य लोगों को सडक़ से गुजर नहीं पा रहे हैं। बिना किसी कारण अनावश्यक रूप से उन्हें परेशानी झेलनी पड़ रही है। मोहाली के बेहतर अस्पतालों में भी लोग ढंग से नहीं पहुंच पा रहे हैं। इस प्रदर्शन से विद्यार्थियों की परीक्षाएं भी प्रभावित हो रही हैं। ज्ञात रहे कि इस स्थान पर पिछले महीने पुलिस व प्रदर्शनकारियों में हिंसक झड़प भी हो चुकी है और अलगाववादी तत्व यहां खालिस्तानी नारे भी लगाते रहे हैं। यहां चल रहे स्थाई मोर्चे ने जिद्दी किसान आन्दोलन व शाहीन बाग की यादें ताजा कर दी हैं।
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