उमेश पाल हत्याकांड के फरार अभियुक्तों के सिर पर पहले पचास-पचास हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया था। पुलिस महानिदेशक देवेंद्र सिंह चौहान ने इस इनाम को बढ़ाकर ढाई-ढाई लाख रुपये कर दिया है। उमेश पाल हत्याकांड में शामिल अरबाज और उस्मान पुलिस मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं। अभियुक्त सदाकत को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया। गुड्डू मुस्लिम, मोहम्मद गुलाम, साबिर, अरमान और अतीक अहमद का बेटा असद फरार है। पुलिस इन अभियुक्तों की सरगर्मी से तलाश कर रही है।
बता दें कि राजू पाल की हत्या के मुकदमे की सुनवाई काफी तीव्र गति से चल रही है। इसी दौरान उमेश पाल पर 24 फरवरी को हमला हो गया। वर्ष 2005 में जब विधायक राजू पाल की हत्या के मुकदमे की सुनवाई शुरू हुई तो सभी गवाह पक्षद्रोही हो गए थे, जिस समय मुकदमे की सुनवाई हो रही थी। उस समय सपा का शासनकाल था। उसके बाद राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी कि सपा के शासनकाल में अभियुक्तगण अत्यंत प्रभावी हैं इसलिए ट्रायल पर रोक लगा दी जाए। उच्च न्यायालय ने ट्रायल पर रोक लगा दी थी। जैसे ही बसपा की सरकार वर्ष 2007 में बनी, अतीक अहमद और उसके भाई के खिलाफ मुक़दमे दर्ज किये गए।
राजू पाल हत्याकांड के गवाह जो कोर्ट में मुकर गए थे, उन सब ने थाने में एफआईआर लिखवाया कि उनका अपहरण कर लिया गया था और यह कहा गया था कि कोर्ट में अगर नहीं मुकरोगे तो जान से मार दिए जाओगे, इसलिए जान के डर से कोर्ट में बयान से मुकरना पड़ा था। राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल समेत अन्य कई लोगों ने अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया। एक साल फरार रहने के बाद वर्ष 2008 में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार होकर अतीक अहमद को प्रयागराज लाया गया था।
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