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उत्तराखंड : 10 हजार हेक्टेयर से ज्यादा फॉरेस्ट लैंड पर अतिक्रमण

वन भूमि पर मजार, मस्जिद, रिजॉर्ट समेत आवासीय कॉलोनी तक बन गई, सोया रहा महकमा

by दिनेश मानसेरा
Mar 5, 2023, 11:17 am IST
in उत्तराखंड
प्रतीकात्मक चित्र

प्रतीकात्मक चित्र

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सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कैबिनेट बैठक में अवैध अतिक्रमण पर चिंता जताते हुए एक उप समिति बनाकर उन्हें चिन्हित करने और उस पर नीति बनाए जाने की बात कही है। सबसे ज्यादा गंभीर विषय फॉरेस्ट लैंड को लेकर है। जानकारी के मुताबिक राज्य में दस हजार हेक्टेयर से ज्यादा वन भूमि पर अवैध कब्जा हो चुका है। उत्तराखंड बनने के बाद किसी भी सरकारी विभाग ने अपनी संपत्ति, अपनी जमीन की चिंता नहीं की। अफसरों की मिलीभगत से बाहर से आए लोग यहां बसते चले गए। अब जब जनसंख्या असंतुलन का खतरा मंडराया तो विभागों का सीएम कार्यालय से जवाब तलब होने लगा है।

सीएम धामी ने वन मंत्री सुबोध उनियाल से कहा है कि वो वन पंचायतों के अवैध कब्जे चिन्हित करवाएं। जिसके बाद वन विभाग में हलचल मची हुई है। जानकारी के मुताबिक अस्सी फीसदी वन पंचायतों का सीमांकन नहीं है, जिसकी वजह से अवैध कब्जे हो रहे हैं। उत्तराखंड के 11 जिलों में 11336 वन पंचायतें हैं, जिनके पास 5449 वर्ग किमी के करीब जमीन है। इनमें से 95 फीसदी गढ़वाल और 80 फीसदी कुमायूं की वन पंचायतों का सीमांकन नहीं हुआ है। इन स्थानों में अवैध रूप से मजारें, धार्मिक स्थल, प्रभावशाली लोगों के रिसोर्ट्स से अलावा आवासीय कॉलोनी तक बन गई है।

अवैध अतिक्रमण करने वाले ज्यादातर लोग बाहरी प्रदेशों से आए और यहां कच्चे-पक्के मकान बनाकर बस गए। इनमें से ज्यादातर मुस्लिम आबादी है। खास बात ये है कि इन्हें हटाने या रोकने की कार्रवाई करने में वन विभाग के अधिकारी खामोश रहे। वन विभाग का कहना है कि घोषित वन पंचायतों के क्षेत्रफल को वन पंचायतों के नाम अभिलेखों में चढ़ाने का काम नहीं किया गया है, जबकि ये काम राजस्व विभाग का है। ऐसा इसलिए भी कि दीवानी फौजदारी के वाद चलने पर राजस्व विभाग की पैरवी करता है। वन भूमि पर अतिक्रमण का आलम ये है कि जंगलों में मुस्लिम वन गुज्जरों ने अपनी अवैध बस्तियां बसा ली हैं। सैकड़ों की तादाद में मजारें और मस्जिदें बन गई हैं। जंगलों में मंदिर, रिजॉर्ट बन गए और आबादी बस गई है।

वन मंत्री सुबोध उनियाल का बयान
वन मंत्री सुबोध उनियाल का कहना है कि वन पंचायतों का सीमांकन करने की जिम्मेदारी राजस्व विभाग की है। हम सभी जिलों के डीएम के साथ तीन-तीन बैठकें कर चुके हैं। हमने ये भी विचार किया है कि सीमांकन का काम राजस्व विभाग से लेकर वन विभाग को दिया जाए, इससे हमारे अभिलेखों को पूरा करने में तेजी आएगी और अतिक्रमण भी चिन्हित किए जाएंगे। फिर उन्हें हटाने की कार्रवाई की जाएगी। हमारी कोशिश है कि अगली कैबिनेट की बैठक में सीमांकन के मसले पर भी कोई फैसला ले लिया जाएगा।

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