क्या कनाडा में संघीय चुनावों में चीनी के असर ने प्रधानमंत्री जस्टिन त्रूदो को जीत दिलाई थी? क्या कनाडा में चीनी एजेंसियों ने भारत के विरुद्ध मत रखने वाले त्रूदो की पार्टी की जीत में परोक्ष भूमिका निभाई थी? इन आरोपों के उछलने के बाद कनाडा के चुनाव आयोग ने जांच शुरू की है।
कनाडा में हाल में विपक्षी नेता के इन आरोपों से हड़कम्प मच गया था कि त्रूदो चीन की ‘कृपा’ से कुर्सी पर बैठ पाए हैं। वहां आम चुनावों में दखल देने के इन आरोपों से राज खुलने को लेकर चीन की भी नींद उड़ाई हुई है। इन आरोपों पर चीन ने अपनी सफाई तो दी है, लेकिन बात नहीं बन रही। अब एक निष्पक्ष जांच शुरू हुई है जिससे पता चले कि इन बातों में कितनी सचाई है। अगर चुनावों में सच में चीन का असर मिलता है तो बहुत संभव है त्रूदो से चीन चिढ़ जाए और संबंध बिगड़ जाएं।
चुनावों पर नजर रखने वाली कनाडाई संस्था का कहना है कि वह ऐसे तमाम आरोपों की जांच शुरू करेगी। कनाडा में इन दिनों इन आरोपों के उछलने के बाद चीन के हस्तक्षेप को लेकर तूफान मचा हुआ है।
आरोप है कि कनाडा में हुए हाल के संघीय चुनावों में कनाडा में मौजूद चीन के दूतावास तथा महावाणिज्य दूतावास का दखल था। इस आरोप पर बीजिंग की ओर से खंडन जारी किया गया है। बीजिंग से चीन के विदेश मंत्रालय का कहना है कि आरोप निराधार है, इसमें कोई तथ्य नहीं है।
चुनाव आयोग द्वारा ताजा आरोपों की जांच की घोषणा ऐसे वक्त पर हुई है जब दो दिन पहले ही कनाडा के विरोधी दल तथा पार्टी के एक बड़े नेता ने 2019 तथा 2021 के चुनावों में चीन की कथित दखल की जांच की मांग की थी। बताया जा रहा है कि कनाडा के चुनाव में चीन के पक्ष की एजेंसियों ने प्रधानमंत्री त्रूदो की लिबरल पार्टी के पक्ष में प्रचार किया था।
बीजिंग में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना है कि बीजिंग इसका विरोध करता है। कनाडा की ओर से इस आरोप पर व्यावहारिकता से काम करना चाहिए जिससे कि कनाडा के राजनयिक मिशनों में काम सही तरह से सामान्य तौर पर जारी रहे। इतना ही नहीं, दोनों देशों के बीच संबंधों में दखल को लेकर लगाई जार रहीं अटकलों को प्रभावी तरीके से रोका जा सके।
चीन के इस बयान के बाद ही, कनाडा में आरोपों की जांच की घोषणा की गई। अगर यह साबित हुआ कि त्रूदो के चुनाव में चीनी हाथ है तो उन पर शायद आपराधिक आरोप तय किए जा सकते हैं। प्रधानमंत्री जस्टिन त्रूदो की नीतियों ऐसी हैं जिनकी वजह से वे हमेशा विवादों से घिरे रहते हैं। भारत से जुड़े मुद्दों पर भी वह भारत विरोधी रवैया अपनाते दिखे हैं। उल्लेखनीय है कि करीब डेढ़ साल पहले भारत में चल रहे ‘किसान आंदोलन’ की तपिश कनाडा में भी फैलाने की कोशिश की गई थी। वहां खालिस्तानी तत्व खुलेआम भारत विरोधी हरकतें करते रहते हैं। ऐसे मामलों पर त्रूदो का नरम रवैया हैरान करने वाला है।
कोई सोशल मीडिया पर वायरल हुए उस दृश्य को भूला नहीं है जब जी—20 सम्मेलन के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग त्रूदो के साथ हुई अपनी बातचीत के लीक होने पर त्रूदो पर नाराज हुए थे। चुनाव आयोग द्वारा ताजा आरोपों की जांच की घोषणा ऐसे वक्त पर हुई है जब दो दिन पहले ही कनाडा के विरोधी दल तथा पार्टी के एक बड़े नेता ने 2019 तथा 2021 के चुनावों में चीन की कथित दखल की जांच की मांग की थी। बताया जा रहा है कि कनाडा के चुनाव में चीन के पक्ष की एजेंसियों ने प्रधानमंत्री त्रूदो की लिबरल पार्टी के पक्ष में प्रचार किया था। इतना ही नहीं, चीन के प्रति विरोधी रवैया रखने वाले उम्मीदवारों की हार भी सुनिश्चित की गई थी।
इस विषय में कनाडा की चुनाव आयुक्त कैरोलिन सिमार्ड द्वारा संसदीय समिति से कहा गया है कि समीक्षा का मकसद यह पता लगाना है कि चुनावों में किसी तरह की दखल का ठोस सबूत मिला है कि नहीं। संघीय सरकार की तरफ से छापी गई रिपोर्ट में यह स्वीकारा गया है कि कनाडा के चुनाव में चीन ने दखल देने की कोशिश की थी।
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