नई दिल्ली में 1—2 मार्च को संपन्न जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की महत्वपूर्ण बैठक से कई संकेत उभरे हैं। दो दिन चले विभिन्न सत्रों में विदेश मंत्रियों ने विश्व को बेहतर तरीके से आगे ले जाने पर चर्चा की और समन्वय की बात की। लेकिन इस मौके पर चीन के विदेश मंत्री और भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बीच द्विपक्षीय वार्ता को लेकर सभी को उत्सुकता थी। दोनों की बात हुई जिसमें सीमा पर शांति बनाए रखने का मुद्दा उठा।
उल्लेखनीय है कि दोनों पक्षों के विदेश मंत्रियों के बीच लगभग 45 मिनट की बात हुई और इसमें स्वाभाविक रूप से सीमा और चुभने वाले कुछ बिन्दुओं को सुलझाने की रीत तय करने पर बल रहा। भारत और चीन के बीच संवाद बनाए रखते हुए मतभेदों को दूर करने का विषय भी आया। जयशंकर पहले से बयान देते आ रहे हैं कि चीन से सटी सीमा पर शांति के लिए ठोस प्रयास जरूरी हैं, लेकिन उधर बीजिंग इसमें भी कूटनीतिक चालें दिखाता हुआ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खुद को ‘शांतिप्रिय’ तो दिखाता रहा, पर उसके काम कुछ और ही बयां करते रहे।
नई दिल्ली में कल हुई इस बातचीत में चीन के विदेश मंत्री किन गांग ने माना कि दोनों पक्षों को आपसी सहमति पर चलना चाहिए, संवाद बनाए रखते हुए मतभेद दूर करने चाहिए। सब जानते ही हैं, 2020 में मई में हुए गलवान संघर्ष के बाद से सीमा विवाद सब विषयों में सबसे आगे बना हुआ है। कल की बातचीत इसीलिए सीमा को लेकर दिख रहीं भ्रांतियों को दूर करने की ओर एक छोटा सा कदम कही जा सकती है हालांकि चीन के रवैए को देखते हुए कोई बहुत उम्मीद भी नहीं बांधी जा सकती।
विदेश मंत्री किन ने कहा जरूर कि चीन अनेक क्षेत्रों में भारत के साथ लेन—देन तथा सहयोग को तेजी से बहाल करके जल्दी ही सीधी उड़ान फिर से शुरू करने को तैयार है। उल्लेखनीय है कि ये सीधी उड़ानें मार्च 2020 से ही बंद हैं, तबसे जबसे चीन ने अपने यहां कोरोना वायरस की वजह से अपनी अंतरराष्ट्रीय सीमाएं बंद कर दी थीं।
चीन के विदेश मंत्री किन गांग ने यह भी कहा कि भारत-चीन सीमा से जुड़े मुद्दे उचित स्थान पर रखे जाने चाहिए, हालात को नियंत्रित रखना चाहिए। उनसे पहले भारतीय विदेश मंत्री कह ही चुके थे कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनी रहे, यह पहली आवश्यकता है। किन गांग ने गत वर्ष दिसंबर में वांग यी के बाद यह पद संभाला है ओर उनकी यह पहली भारत यात्रा थी। विदेश मंत्री जयशंकर से भी वे पहली बार मिल रहे थे।
चीन के विदेश मंत्री ने आगे कहा कि दोनों पक्षों को मतभेदों को सुलझाकर द्विपक्षीय संबंधों में सुधार को तेजी से बढ़ावा देना चाहिए, तेजी से आगे बढ़ना चाहिए। इस पर विशेषज्ञों का कहना है कि तो किन पहले यह भी बता देते कि देर कौन कर रहा है, वार्ताओं में तय होती रही बातों से कौन मुकरता रहा है? साफ है कि सीमा विवाद सुलझाने के लिए अब तक हुईं 18 दौर की सैन्य कमांडर स्तर की बातचीत में किसी मुद्दे पर पहुंचने में चीनी पक्ष उलझनें पैदा करता रहा है। दूसरी तरफ सीमा पर चीनी आक्रामकता भी बीच बीच में बढ़ती दिखी है।
विदेश मंत्री किन ने कहा जरूर कि चीन अनेक क्षेत्रों में भारत के साथ लेन—देन तथा सहयोग को तेजी से बहाल करके जल्दी ही सीधी उड़ान फिर से शुरू करने को तैयार है। उल्लेखनीय है कि ये सीधी उड़ानें मार्च 2020 से ही बंद हैं, तबसे जबसे चीन ने अपने यहां कोरोना वायरस की वजह से अपनी अंतरराष्ट्रीय सीमाएं बंद कर दी थीं।
चीन के विदेश मंत्री के साथ इस वार्ता के बाद भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने इस बारे में ट्वीट में लिखा, ‘…बातचीत में द्विपक्षीय संबंधों, खासतौर पर सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति के रास्ते में आ रहीं वर्तमान चुनौतियों पर जोर देने की बात हुई’।
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