यूपी विधानपरिषद् में बजट सत्र को संबोधित करते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने कानून व्यवस्था के मोर्चे पर पिछली सरकार के कारनामों को उजागर किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2016 में अखिलेश यादव ने अपने ऊपर दर्ज मुकदमों को अपने ही हस्ताक्षर से वापस लेने का काम किया था, जबकि वो मुकदमा चुनाव आयोग की ओर से दर्ज कराया गया था और उसे बिना आयोग की अनुमति के नहीं हटाया जा सकता था। ये लोग दूसरों को नसीहत देते हैं मगर खुद के कारनामे नहीं देखते। उन्होंने कहा कि 2017 से पहले प्रदेश में अपराधी सत्ता के सरपरस्त तो थे ही, देशद्रोही आतंकवादियों के मुकदमे भी वापस लिये जाते थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बीते छह साल में ना तो सीएम और ना ही डिप्टी सीएम के खिलाफ किसी मुकदमों को वापस लिया गया है। सीएम ने सपा शासन के कारनामों का उल्लेख करते हुए कहा कि तब लखनऊ, वाराणसी, बिजनौर, कानपुर, गोरखपुर, रामपुर और बाराबंकी के आतंकी हमलों में शामिल आतंकियों के गंभीर धाराओं के मुकदमों को वापस करने का दु:साहस समाजवादी पार्टी की ओर से किया गया था। उस वक्त माननीय उच्च न्यायालय को टिप्पणी करनी पड़ी कि आज आप आतंकियों के मुकदमों को वापस ले रहे हैं, कल उन्हें पुरस्कार देने का काम भी करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज प्रदेश में सुरक्षा का बेहतर वातावरण है। अपराध और अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर सरकार चल रही है। यूपी देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अग्रसर है। प्रदेश सरकार नेक नीयत से सारे कार्य कर रही है। उन्होंने अखबारों का हवाला देते हुए कहा कि पहले यूपी में बेबस मुख्यमंत्री हुआ करता था। हर तरफ प्रदेश की बदनामी हो रही थी। पुलिस पर अपराधी भारी थे, 700 से अधिक दंगे हुए थे। यही कारण था कि प्रदेश में कोई आना नहीं चाहता था। यहां लगातार उपद्रव का माहौल था। मुख्यमंत्री ने एनसीआरबी का डेटा प्रस्तुत करते हुए बताया कि यूपी में डकैती, लूट, हत्या, बलवा, फिरौती, बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों में भारी गिरावट आई है। उन्होंने बताया कि आज पुलिस भर्ती में महिलाओं की संख्या बढ़ाई गयी है। तीन महिला पीएसी बटालियन की स्थापना हुई है। प्रदेश के हर थाना, चौकी, पुलिस लाइन में अच्छे बैरक बनाये जा रहे हैं। प्रदेश दंगामुक्त हुआ है। साथ ही हर रेंज में साइबर क्राइम थाना की स्थापना की जा रही है। इसके अलावा जेलों की व्यवस्था में भी व्यापक सुधार हुए हैं। प्रदेश में जबरन कन्वर्जन को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में लाकर प्रभावी कार्रवाई की जा रही है।
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