वन विभाग के दो शीर्ष आईएफएस की नियुक्ति का मामले में कैट को हस्तक्षेप करना पड़ा है। कैट ने वन मुखिया के रूप में राजीव भरतरी को हटाने के सरकार के फैसले को गलत ठहराया है।
राजीव भरतरी (भारतीय वन सेवा, 1986 बैच) को जून 2021 में अपने पद PCCF HoFF से हटाकर निम्न स्तर के पद अध्यक्ष, उत्तराखंड बायोडायवर्सिटी बोर्ड पर स्थानांतरित किया गया । उनकी स्थान पर उनसे जुनियर अधिकारी विनोद कुमार सिंघल को वन विभाग के नये मुखिया के रूप में तैनात किया गया था।
राजीव भरतरी द्वारा हाईकोर्ट नैनीताल व केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ( इलाहाबाद बेंच) में न्याय की गुहार लगायी थी । जिस क्रम में Central Administrative Tribunal(CAT ), Allahabad Bench द्वारा भरतरी को आज फिर से वन विभाग के विभागाध्यक्ष PCCF HoFF के पद पर पुनः नियुक्त करने के आदेश पारित किए हैं। वन विभाग में सबसे वरिष्ठतम अधिकारी होने के कारण राजीव भरतरी को विभाग के मुखिया के रूप में उत्तराखंड सरकार द्वारा जल्द ही आदेश जारी किया जा सकता है।
इधर सूत्रों से यह भी बात पता चली है कि कॉर्बेट टाईगर रिज़र्व के पांखरौ टाईगर सफ़ारी में अवैध निर्माण कार्य व हज़ारों वृक्षों का अवैध पातन के समय प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव )के पद पर विनोद कुमार सिंघल थे जिनका कार्यकाल नवंबर 2020 से जुलाई 2022 तक था। वन्यजीव विंग के कमांडर होने के चलते समस्त प्रशासनिक एवं वित्तीय अधिकार विनोद कुमार सिंघल के पास थे जिसमें पांखरौ टाईगर सफ़ारी में विभिन्न प्रकार की अनियमितताएँ सामने आने के बाद हाईकोर्ट नैनीताल और सुप्रीम कोर्ट तक यह मामला पहुँच गया है।
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