साहित्य, संस्कृति और डिजिटल तकनीक
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

साहित्य, संस्कृति और डिजिटल तकनीक

साहित्यिक संस्थाएं प्रौद्योगिकी के प्रयोग के माध्यम से न सिर्फ अपनी पहुंच बढ़ा सकती है बल्कि आर्थिक अभावों का भी मुकाबला कर सकती हैं

by बालेन्दु शर्मा दाधीच
Feb 17, 2023, 07:16 pm IST
in भारत, विज्ञान और तकनीक, संस्कृति
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

वेबसाइट का डेटाबेस इतना व्यापक है कि इसे अनेक बड़ी श्रेणियों में बांटा गया है। इसमें तीन हजार से अधिक कवियों का विस्तृत जीवन परिचय और उनकी रचनाएं, उनसे जुड़े तथ्य, उनके बारे में लिखे गए अच्छे लेख आदि भी मिलते हैं।

जिस अंदाज में जीवन के हर क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का दखल बढ़ा है, उसे देखते हुए शायद ही कोई व्यक्ति या संस्थान प्रौद्योगिकी से दूर रहने का जोखिम उठा सकता है। अनेक लोगों की दृष्टि में प्रौद्योगिकी, विशेषकर इंटरनेट और सोशल मीडिया एक अभिशाप जैसा है। लेकिन तब भी हमारे पास इससे अछूते बने रहने का विकल्प नहीं है। यह विकल्प सिर्फ उनके पास है जो अपने युग से पीछे रह जाने का जोखिम उठाने को तैयार हैं। हमारी साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्थाएं, अकादमियां और प्रकाशन भी इससे अलग नहीं हैं।

किसी साहित्यिक संस्था का इंटरनेट पर उपस्थित होना उसकी पहुंच तो बढ़ाता ही है, उसकी गतिविधियों को पारदर्शिता भी प्रदान करता है। मौजूदा दौर में, जबकि भौतिक के साथ-साथ वर्चुअल तथा रिमोट माध्यम भी अनिवार्य तथा उपयोगी बन चुके हैं, सूचनाओं और सामग्री के वितरण का यह आसान तथा सुलभ तरीका है। लेकिन बात लोगों तक सूचनाएं पहुंचाने तक सीमित नहीं है।

इंटरनेट एक बहुतरफा माध्यम है और डिजिटल उपकरण (कंप्यूटर, टैबलेट, स्मार्टफोन और अन्य) भी बहुत उन्नत स्तर की गतिविधियां संचालित करने में सक्षम हैं। यदि हमारी साहित्यिक संस्थाएं इनमें निहित संभावनाओं से परिचित हों और रचनात्मक दृष्टि रखती हों तो वे तकनीकी माध्यमों के सामान्य प्रयोग से बहुत आगे बढ़ सकती हैं।

कोविड के दौर में हमने देखा कि किस तरह से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग एप्लीकेशन, इंटरनेट, लैपटॉप-मोबाइल फोन और उनमें मौजूद डिजिटल कैमरों ने साहित्यिक गतिविधियों को जीवंत बनाए रखने में मदद की। साहित्य के मेले भी होते रहे, गोष्ठियां भी चलती रहीं, कार्यशालाएं भी हुईं, साक्षात्कार भी होते रहे एवं किताबें व पत्रिकाएं भी ‘प्रकाशित’ होकर अपने पाठकों तक पहुंचती रहीं।

कोविड के दौरान हमने वैश्विक दूरियों को पहले से अधिक सिमटते देखा है। आज भारत में संचालित होने वाले कार्यक्रमों में दुनिया के विभिन्न भागों से विद्वानों, साहित्यकारों, विशेषज्ञों आदि की भागीदारी एक सामान्य बात हो गई है। वास्तव में कोविड काल में प्रौद्योगिकी ने उन छोटी संस्थाओं को भी अपने साहित्यिक आयोजनों पर अमल का मौका दिया जो भौतिक आधार पर उन्हें आयोजित करने में मुश्किल महसूस कर रही थीं।

माना कि भौतिक संपर्क और वर्चुअल संपर्क में अंतर है और भौतिक संपर्क की विशेषताएं तथा उपयोगिता बरकरार है। किंतु दूसरी तरफ वर्चुअल माध्यमों की पहुंच का कोई जवाब नहीं। जिन साहित्यिक उत्सवों में भौतिक दौर में चार-पांच हजार तक लोग उपस्थित होते थे, उन्हीं में डिजिटल माध्यमों की बदौलत आठ-दस गुना अधिक लोगों की हिस्सेदारी होने लगी है। यह आपके कार्यक्रमों को अधिक सार्थकता तो प्रदान करता ही है, अन्य दृष्टियों से भी उपयोगी हो जाता है, जैसे कि आर्थिक पक्ष। साहित्य के क्षेत्र में हम एक बड़े पैमाने की कमी महसूस करते रहे हैं लेकिन वर्चुअल तथा डिजिटल माध्यमों के लिए वही पैमाना सामान्य बात है।

कोविड के दौरान हमने वैश्विक दूरियों को पहले से अधिक सिमटते देखा है। आज भारत में संचालित होने वाले कार्यक्रमों में दुनिया के विभिन्न भागों से विद्वानों, साहित्यकारों, विशेषज्ञों आदि की भागीदारी एक सामान्य बात हो गई है। वास्तव में कोविड काल में प्रौद्योगिकी ने उन छोटी संस्थाओं को भी अपने साहित्यिक आयोजनों पर अमल का मौका दिया जो भौतिक आधार पर उन्हें आयोजित करने में मुश्किल महसूस कर रही थीं। इन तकनीकों ने सामग्री का सुरक्षित भंडारण, दस्तावेजीकरण, दूसरे संस्थानों के साथ सहयोग (कोलेबरेशन), नई प्रतिभाओं की पहचान जैसे कई अन्य लाभ भी उपलब्ध कराए हैं।

प्राय: हमारी अकादमियों का प्राय: प्रौद्योगिकी के साथ बहुत गहरा जुड़ाव नहीं है। ऐसी संस्थाएं साहित्य प्रेमियों तथा छोटे संस्थानों द्वारा किए जाने वाले कुछ दिलचस्प और महत्वपूर्ण कार्यों से सीख सकती हैं। अकादमी आॅफ अमेरिकन पोएट्स पोएट्स.आर्ग (poets.org) नामक वेबसाइट का संचालन करती है। इसमें जॉन कीट्स जैसे अंग्रेजी के कालजयी कवियों से लेकर आज के युवा कवियों तक की रचनाओं की झलक मिलती है।

वेबसाइट का डेटाबेस इतना व्यापक है कि इसे अनेक बड़ी श्रेणियों में बांटा गया है। इसमें तीन हजार से अधिक कवियों का विस्तृत जीवन परिचय और उनकी रचनाएं, उनसे जुड़े तथ्य, उनके बारे में लिखे गए अच्छे लेख आदि भी मिलते हैं। पर भारत में अकादमियों की ओर से ऐसी कोई विशेष पहल दिखाई नहीं देती। हां, अनेक अच्छी पहलें निजी स्तर पर या छोटे समूहों के स्तर पर अवश्य की गई हैं। इक्का-दुक्का शैक्षणिक संस्थानों ने भी कुछ परियोजनाएं पेश की हैं जो अलग-अलग स्तर पर हैं। बहरहाल, कोई विशेष प्रोत्साहन न होने के कारण ऐसी परियोजनाएं शुरू होने के कुछ महीने बाद ही धीमी पड़ती देखी गई हैं और इसके लिए उन्हें दोष भी नहीं दिया जा सकता क्योंकि वे यह कार्य स्वांत: सुखाय या एक निजी दायित्वबोध के कारण कर रही हैं, यह उनकी आधिकारिक जिम्मेदारी नहीं है।
(लेखक माइक्रोसॉफ़्ट में निदेशक- भारतीय भाषाएं और
सुगम्यता के पद पर कार्यरत हैं)।

Topics: संस्था का इंटरनेटTechnology in the Kovid eraटैबलेटस्मार्टफोनकोविड काल में प्रौद्योगिकीLiteratureLiterary-cultural institutionsCultureInternet of institutionsडिजिटल उपकरणDigital devicesdigital technologyComputersकंप्यूटरTabletsसाहित्यिक-सांस्कृतिक संस्थाएंSmartphones
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Lokbhasha Bhartiya Sanskriti

लोकभाषा के बिना लोकतंत्र मजबूत नहीं हो सकता

पाकिस्तान के रहीमयार खान जिले में 'महाकुंभ' में स्नान करते श्रद्धालु

Pakistan में भी ‘महाकुंभ’ में स्नान कर रहे Hindu, गंगा का आचमन और हवन-यज्ञ का आयोजन

जे नंदकुमार

‘‘लोकमंथन केवल आयोजन नहीं, एक आंदोलन है’’ -जे नंदकुमार

प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार बिबेक देबरॉय

धर्म एवं अर्थ के ज्ञाता

महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करेगी ‘बमतुल बुखारा’ पिस्टल, चंद्रशेखर आजाद से विशेष रिश्ता

स्मार्टफोन फास्ट
चार्जिंग

स्मार्टफोन चार्जिंग स्लो है? इन 5 आसान ट्रिक्स से करें चार्जिंग फास्ट

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान बोल रहा केवल झूठ, खालिस्तानी समर्थन, युद्ध भड़काने वाला गाना रिलीज

देशभर के सभी एयरपोर्ट पर हाई अलर्ट : सभी यात्रियों की होगी अतिरिक्त जांच, विज़िटर बैन और ट्रैवल एडवाइजरी जारी

‘आतंकी समूहों पर ठोस कार्रवाई करे इस्लामाबाद’ : अमेरिका

भारत के लिए ऑपरेशन सिंदूर की गति बनाए रखना आवश्यक

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ

भारत को लगातार उकसा रहा पाकिस्तान, आसिफ ख्वाजा ने फिर दी युद्ध की धमकी, भारत शांतिपूर्वक दे रहा जवाब

‘फर्जी है राजौरी में फिदायीन हमले की खबर’ : भारत ने बेनकाब किया पाकिस्तानी प्रोपगेंडा, जानिए क्या है पूरा सच..?

S jaishankar

उकसावे पर दिया जाएगा ‘कड़ा जबाव’ : विश्व नेताओं से विदेश मंत्री की बातचीत जारी, कहा- आतंकवाद पर समझौता नहीं

पाकिस्तान को भारत का मुंहतोड़ जवाब : हवा में ही मार गिराए लड़ाकू विमान, AWACS को भी किया ढेर

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक दागी मिसाइलें, नागरिक क्षेत्रों पर भी किया हमला, भारत ने किया नाकाम

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तिलमिलाए पाकिस्तानी कलाकार : शब्दों से बहा रहे आतंकियों के लिए आंसू, हानिया-माहिरा-फवाद हुए बेनकाब

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies