जिहादी सोच कितनी खतरनाक होती है इसका अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि पाकिस्तान के एक हाथ में कटोरा है फिर भी वहां मजहब के नाम पर हत्याओं का सिलसिला जारी है। कुरान का अपमान करने के आरोप में जिहादी भीड़ ने एक व्यक्ति को पुलिस थाने से निकालकर पीट-पीटकर मार डाला (मॉब लिंचिंग) और आग के हवाले कर दिया। यह घटना पाकिस्तान के ननकाना साहिब जिले की है। इस संबंध में साठ लोगों की पहचान की गई है और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। मामला 11 फरवरी का है और पुलिस के मुताबिक जिहादियों की संख्या करीब 800 थी।
स्थानीय मीडिया के मुताबिक जिसकी हत्या की गई उसका नाम मोहम्मद वारिस है। यह भी बताया जा रहा है कि उसने ईसाई मत स्वीकार कर लिया था। वह वारबर्टन पुलिस थाने के पास ही रहता था। उसे वर्ष 2019 में ईशनिंदा के आरोप में जेल भेजा गया था, लेकिन हाल ही में उसे कोर्ट ने इस आरोप से बरी कर दिया था। वह तलाकशुदा था और वारबर्टन पुलिस थाने के पास ही रहता था। पिछले कुछ दिनों से पुलिस के पास कॉल आ रही थी कि मोहम्मद वारिस के घर के पास कुरान के जले हुए पन्ने पड़े हैं और साथ में वारिस की पूर्व पत्नी की जली हुई फोटो भी है। इस तरह की पुलिस के पास तीन कॉल गईं, लेकिन 11 फरवरी को कुछ लोगों ने वारिस के घर पर धावा बोल दिया। सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंची और उसे अपने साथ ले जाने लगी। इसी दौरान जिहादियों की भीड़ उमड़ पड़ी और उसने पुलिस का पीछा किया। इस पर पुलिसकर्मी उसे थाने ले गए और बाथरूम में बंद कर दिया। लेकिन भीड़ के सिर पर खून सवार था।
जिहादियों ने वारिस को थाने से घसीटा और बाहर लाकर पीट-पीटकर मार डाला। इसके बाद उसे जला दिया। पुलिस ने किसी तरह से उसके शव को पूरी तरह से जलने से बचाया। लेकिन इस घटना पर कथित सेकुलर चुप्पी मारे बैठे रहे। बड़े-बड़े सोशल मीडिया हैंडल को तो जैसे सांप सूंघ गया। मानवाधिकारों की दुहाई देने वाले भी खामोश हैं। इस समय पाकिस्तान की आर्थिक और राजनीतिक हालत खराब है, ऐसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि पाकिस्तान की दिल दहला देने वाली घटना उनके नजर में न आई हो। मानवाधिकार की दुहाई देने वाले ऐसे लोग तो तब भी शांत थे जब भारत में कन्हैयालाल की हत्या कर दी गई थी।
पाकिस्तान में इस तरह की घटनाएं अक्सर होती हैं। ईशनिंदा के आरोप में भीड़ लोगों को जिंदा जला देती है। इससे पहले की भी एक घटना सामने आई थी। वर्ष 2021 में सियालकोट में श्रीलंका के नागरिक की हत्या के बाद शव को जला दिया गया था। वह एक फैक्ट्री में मैनेजर था और कर्मचारियों का आरोप था कि उसने पैगंबर का अपमान किया है। इस तरह के बेबुनियाद आरोप पाकिस्तान में आम हो गए हैं, इसका उदाहरण वारिस की घटना भी है। कोर्ट ने उसे ईशनिंदा के आरोप से बरी कर दिया था फिर भी उसकी बाद में ईशनिंदा का आरोप लगाकर हत्या कर दी गई।
तीन ट्रांसजेंडर्स को गोली मारी
शनिवार को तीन ट्रांसजेंडर को गोली मार दी गई। इनमें से एक की मौत हो गई। तीनों कोहाट जिले में एक संगीत कार्यक्रम से लौट रहे थे। ट्रांसजेंडर्स कोहाट जिले में एक संगीत कार्यक्रम में भाग लेने के बाद अपने घर लौट रहे थे। कार्यक्रम खत्म होने के बाद तीनों घर जा रहे थे, तभी उन पर गोली चला दी गई। बता दें कि पाकिस्तान में वर्ष 2018 में ट्रांसजेंडर कानून बना था। यह कानून ट्रांसजेंडर समुदाय की सुरक्षा और उन्हें कानूनी मान्यता देता है। ट्रांसजेंडर समुदाय को पासपोर्ट, राष्ट्रीय पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस समेत सभी आधिकारिक दस्तावेजों पर अपनी पहचान का अधिकार दिया गया है। पाकिस्तान के कट्टर मौलवी और इस्लामी संगठन इस कानून का लगातार विरोध कर रहे हैं।
पाकिस्तान में बचा है तो केवल जिहाद
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक भी सुरक्षित नहीं हैं। हिंदुओं की जमीनों पर जबरन कब्जा और हिदूं लड़कियों का अपहरण कर बलात्कार और फिर निकाह वहां चलन के रूप में हो गया। हिंदू लड़की के विरोध करने पर उसे गोली मार दी जाती है। ऐसी खबरें पाकिस्तान से अक्सर आती हैं। इतना ही नहीं, अहमदिया मुसलमान भी वहां सुरक्षित नहीं हैं। इनकी मस्जिदों को अक्सर निशाना बनाया जाता है। पूरी तरह से कंगाल पाकिस्तान में अब बचा है तो केवल जिहाद।
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