1957 में जब उत्तर प्रदेश में भारतीय जनसंघ के केवल 17 विधायक चुने गए थे, उनमें से एक अल्मोड़ा से प्रसिद्ध वकील व प्रखर वक्ता गोविन्द सिंह बिष्ट भी थे। अल्मोड़ा ही नहीं, पूरे उत्तराखण्ड में जनसंघ के लोकप्रिय नेता स्व.शोबन सिंह जीना को अटल जी विशेष सम्मान देते थे। यही कारण है कि उनका कुमाऊं-गढ़वाल में अक्सर प्रवास होता रहता था।
बसंत पंचमी पर मां सरस्वती के वरद पुत्र और भारत के हृदय की धड़कन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की स्मृति स्वयं ही आ जाती है। उत्तराखण्ड के रमणीय वातावरण में कविमना अटल जी का मन बहुत रमता था। वे कई बार उत्तराखण्ड आए। उनका उत्तराखण्ड के प्रति अतीव प्रेम व लगाव था। 1957 में जब उत्तर प्रदेश में भारतीय जनसंघ के केवल 17 विधायक चुने गए थे, उनमें से एक अल्मोड़ा से प्रसिद्ध वकील व प्रखर वक्ता गोविन्द सिंह बिष्ट भी थे। अल्मोड़ा ही नहीं, पूरे उत्तराखण्ड में जनसंघ के लोकप्रिय नेता स्व.शोबन सिंह जीना को अटल जी विशेष सम्मान देते थे। यही कारण है कि उनका कुमाऊं-गढ़वाल में अक्सर प्रवास होता रहता था।
राष्ट्रीय दलों में अटल जी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने सबसे पहले उत्तराखण्ड को पृथक राज्य बनाने के लिए प्रस्ताव पारित किया था। यही कारण है कि अस्सी के दशक में जब क्षेत्रीय पार्टी उत्तराखण्ड् क्रांतिदल पृथक राज्य के लिए अपने आन्दोलन को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास कर रहा था, उत्तराखण्ड की राष्ट्रभक्त जनता ने 1991 के लोकसभा चुनाव में लोकसभा की सभी सीटों पर भाजपा को विजयी बना दिया तथा उत्तर प्रदेश विधानसभा में भी उत्तराखण्ड से भाजपा तीन-चौथांई से भी अधिक स्थानों पर विजयी रही। फिर तो उत्तराखण्ड में एकाध बार विधानसभा में कुछ पीछे रहने के बाद भी भाजपा सदा आगे ही बढ़ती गई।
अटल जी का पिथौरागढ़ आगमन
अटल जी का नैनीताल या अल्मोड़ा में अनेक बार आगमन हुआ था पर अल्मोड़ा से बने पिथौरागढ़, चम्पावत जनपद में वे 1982 में प्रथम बार आए और वह भी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में। पिथौरागढ़ में उनका भाषण सुनने के लिए प्रात: 10 बजे से ही देव सिंह बिष्ट मैदान भरने लग गया। पर प्रकृति ने कुछ और खेल दिखाना था। 12 बजे से भारी ओलावृष्टि व वर्षा हो गई। नवम्बर का माह व ओलों की वर्षा, ठंड से सभी कांपने लगे और आसपास के मकानों व स्टेडियम के छोटे से बरामदे में चले गए। अटल जी आए, भाजपा कार्यकर्ताओं ने मंच पर उनका स्वागत किया। वर्षा के बावजूद दो-ढाई हजार लोग छाता ओढ़े मैदान में डटे रहे। अटल जी को थैली भेंट की गई।
यह भी अद्भुत संयोग है कि 24 दलों का नेतृत्व करते हुए तथा सशक्त विपक्ष में कांग्रेस के होते हुए भी सन 2000 में अटल जी के प्रधानमंत्रित्व काल में संसद के दोनों सदनों ने उत्तराखण्ड/उत्तरांचल राज्य का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर लिया।
वे बोलने को खड़े हुए। अपनी चिरपरिचित शैली में बोले कि जैसे आज यहां बादल छाये हैं, वैसे ही भारत की सीमा पर संकट के बादल छाये हुए हैं। थोड़ा आगे बोले ही थे कि सहस्त्र जनता के साथ मंच पर उपस्थित दो-दो रिटायर्ड ब्रिगेडियर को वर्षा में भीगते देख बोले- ‘आप सबको ठंड, बारिश में भीगता देखकर अच्छा नहीं लगता, मेरा भी मन ऐसे में बोलने का नहीं होता- फिर दुबारा आऊंगा।’ और यह कह कर बैठ गए। चारों ओर सुबह से रुके ठंड में कांपते हुए लोगों की भावनाओं को देखकर दूर से मैं दौड़ कर मंच पर चढ़ गया। इससे पहले कि आयोजनकर्ता व संचालक धन्यवाद प्रस्तुत करते, मैंने माइक थाम लिया।
मैंने कहा कि अटलजी! मैं भाजपा कार्यकर्ता तो नहीं हूं। किन्तु परिवार का सदस्य हूं। यहां जब-जब परिवार या भाजपा के बड़े नेता आते हैं, उनके स्वागत में वर्षा आती ही है। यहां की यही परम्परा है। यह उत्तराखण्ड है, रणबांकुरों की भूमि है। ये देश की रक्षा में प्राणों को उत्सर्ग करने से नही डरते, फिर यह तो वर्षा ही है। साथ ही मैंने जनता से पूछा, क्या आप अटल जी को सुनेंगे? सबने हां कर दी। अटल जी ने फिर माइक थामा। बोले- ‘मुझे पता नहीं था कि यहां की यह परम्परा है’ और फिर वर्षा व ठंड के बीच पूरे 40 मिनट तक बोलकर लोगों को मन्त्रमुग्ध कर गए। बाद में अनेक बार जब मैं उनसे मिलता तो कहते थे, वह जगह कौन सी है जहां मैंने दुबारा आने का कहा था।
उत्तराखण्ड निर्माण में भूमिका
हिमालय से ऊंचा और सागर से गहरा अटल जी का हृदय उत्तर-पूर्व से लेकर उत्तर-पश्चिम तक सम्पूर्ण हिमालयी क्षेत्र के लिए अतीव प्रेम से आपूरित रहता था। तो भी उत्तराखण्ड के प्रति उनका विशेष लगाव रहता था। यही कारण है कि जब उत्तराखण्ड में पृथक राज्य के लिए जन भावना प्रबल रूप लेने लगी तो उन्हीं के नेतृत्व में प्रथम बार भाजपा ने उत्तराखण्ड राज्य बनाने का संकल्प लिया। और यह भी अद्भुत संयोग है कि 24 दलों का नेतृत्व करते हुए तथा सशक्त विपक्ष में कांग्रेस के होते हुए भी सन 2000 में अटल जी के प्रधानमंत्रित्व काल में संसद के दोनों सदनों ने उत्तराखण्ड/उत्तरांचल राज्य का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर लिया।
अटल जी ने न केवल उत्तराखण्ड राज्य का निर्माण किया बल्कि उसी समय इसे विशेष राज्य का दर्जा भी दे दिया। इससे उत्तराखण्ड को उत्तर पूर्वी राज्यों की भांति अन्य राज्यों के अपेक्षा विशेष आर्थिक सहायता मिलने लगी। उत्तराखण्ड में महत्वाकांक्षी बहुउद्देशीय टिहरी बांध परियोजना लम्बे समय से बनकर तैयार थी। उनके गांवो का विस्थापन भी किया जा चुका था। पर नई टिहरी में सुन्दर नया शहर बन जाने के बाद भी टिहरी जिले के मुख्यालय पुराने टिहरी शहर के नागरिक नई टिहरी जाने को तैयार नहीं थे। प्रसिद्ध पर्यावरणप्रेमी पं. सुन्दरलाल बहुगुणा गंगा पर बांध के विरोधी थे।
उत्तर प्रदेश में रहते हुए तत्कालीन सरकार बहुगुणा जी के अनशन के डर से टिहरी शहर खाली नहीं करा पाई थी। संयोग से उत्तराखण्ड बनते ही मुझे सिंचाई व विद्युत विभाग का मंत्रालय सौंपा गया। मैंने टिहरी शहर के नागरिकों के बीच प्रत्यक्ष संवाद स्थापित किया और टिहरी शहर के लिए विशेष पैकेज के साथ दो वृहद पुलों का प्रस्ताव बनाया। माननीय अटल जी ने सहृदयता से दो सौ करोड़ रुपये का विशेष पैकेज दे दिया। शहरवासी सहर्ष नई टिहरी जाने को तैयार हो गए। टिहरी शहर खाली हो गया। आज टिहरी बांध देश को प्रतिदिन 1400 मेगावाट बिजली दे रहा है। शीघ्र ही इससे प्रतिदिन पीएफसी स्कीम में और 1000 मेगावाट बिजली मिलने लगेगी।
यही नहीं, उत्तर प्रदेश के समय में मनेरी भाली विद्युत परियोजना सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद अधूरी छोड़ दी गई थी। मैंने योजना को पूर्ण करने का निश्चय किया। अटल जी की कृपा से पीएफसी से योजना हेतु 800 करोड़ रुपये स्वीकृत कर दिए गए। पिछले लगभग 15 वर्ष से इससे उत्तराखण्ड को प्रतिदिन 320 मेगावाट बिजली उपलब्ध हो रही है। अटल जी ने उत्तरकाशी वरुणावत पर्वत को भूस्खलन से बचाने के लिए 250 करोड़ रुपये की विशेष सहायता प्रदान की।
2002 में उत्तराखण्ड में भाजपा चुनाव हार गई। इसके थोड़े समय के पश्चात ही अटल जी तीन दिन के विश्राम हेतु नैनीताल आए। तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायणदत्त तिवारी विशेष औद्योगिक पैकेज चाहते थे। स्वयं मैंने तब विधानसभा में नेता, प्रतिपक्ष के रूप में और बची सिंह रावत जी ने उत्तराखण्ड के युवाओं को रोजगार हेतु विशेष औद्योगिक पैकेज के लिए अटल जी से निवेदन किया। श्रद्धेय अटल जी ने उत्तराखण्ड के प्रति प्रेम व इस सीमान्त प्रदेश के विकास के लिए इस प्रस्ताव के महत्व को समझते हुए तत्काल उत्तराखण्ड हेतु विशेष औद्योगिक पैकेज की घोषणा कर दी। यह औद्योगिक पैकेज आज भी उत्तराखण्ड को रोजगार व आर्थिक समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
अटल जी की पावन स्मृति में उन्हें कोटिश: प्रणाम।
(लेखक उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं)
टिप्पणियाँ