देश की राजधानी से दूर तहजीब के शहर लखनऊ में कल 10 फरवरी से 12 फरवरी तक ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन हो रहा है और दिल्ली मेट्रो में सुबह से शाम तक सैकड़ों-हजारों नौजवान नोएडा का रुख कर रहे हैं। नोएडा की तरफ जाने वाले मेट्रो रेल में यात्रियों के प्रोफाइल को देखकर समझ आ जाता है कि ये सब जॉब या अपना कोई बिजनेस करते हैं। कभी द्वारका-नोएडा मेट्रो में सफर कीजिए। करीब-करीब सभी मुसाफिरों की उम्र 30 साल के आसपास लग रहती है। सब वेल ड्रेस हैं। अब ये अपनी मंजिल की तरफ जाते हुए जिस स्टेशन पर भी रूकी तो यात्रियों का कमोबेश वही प्रोफाइल सामने आया। सबकी निगाहें अपने मोबाइल पर हैं। कुछेक आपस में नई जॉब को लेकर गंभीर चर्चा भी कर रहे हैं। सबको मोटा हाईक चाहिए। 20 लाख रुपये सालाना से कम को कम माना जा रहा है। कुछ को मन-माफिक पैकेज मिल भी चुका है।
लीजिए, अब मेट्रो नोएडा में प्रवेश करने वाली है। उसने मयूर विहार को पार कर लिया है। सेक्टर 15 के स्टेशन पर मेट्रो रूकी। सैकड़ों यात्री उतरे। अब वे गोली की रफ्तार से स्टेशन से बाहर निकलते हैं। कोई किसी से बात नहीं कर रहा है। दरअसल सुबह से शाम तक ब्लू लाइन तथा मैजेंटा लाइन पर दिल्ली से नोएडा जाने वाली मेट्रो रेल में अनगिनत नौजवान जॉब के लिए सफर कर रहे होते हैं। इनमें लड़कियों की भी तादाद भी भरपूर रहती है।
जनकपुरी से बोटैनिकल गार्डन नोएडा वाले रूट पर स्टुडेंट्स भी मिलते हैं। ये नोएडा के विभिन्न कॉलेजों में पढ़ रहे होते हैं। इनमें से अधिकतर ओखला बर्ड सैंचुरी पर उतर जाते हैं। इसके करीब ही हैं कॉलेज। बेशक, दिल्ली से हर रोज अनगनित युवा नौकरी या अपने कॉलेज में पढ़ाई के लिए नोएडा जाते हैं। लेकिन नोएडा आईटी कंपनियों का हब तो बन ही चुका है। कौन सी नामवर आईटी कंपनी है जिसका नोएडा में दफ्तर नहीं है।
एचसीएल टेक्नोलोजीज के लिए तो कहा जा सकता है कि यह नोएडा की ही कंपनी है। इसके फाउंडर चेयरमेन शिव नाडर एक बार कह रहे थे कि उन्हें नोएडा से बेहतर कोई जगह नहीं लगती। नोएडा के सफर के दौरान पटेल नगर से आईटी इंजीनियर राघव मेट्रो में दाखिल हुए। उन्होंने गुरुग्राम में भी काम किया है। वे अपना स्टार्ट अप शुरू करने वाले हैं। दफ्तर नोएडा में ही बना रहे हैं। कहने लगे कि उन्हें नोएडा बेहतर लग रहा है गुरुग्राम के मुकाबले। नोएडा गुरुग्राम की तुलना में सस्ता भी है और यहां पर पेशेवरों का मिलना भी मुश्किल नहीं है। उनका सपना है कि एक बार काम जमने के बाद वे नोएडा में ही अपना आशियाना बना लेंगे। कहने लगे कि दिल्ली और नोएडा में एक ही अंतर है। क्या ? उन्होंने मुस्कराते हुए कहा, “ नोएडा में चाय वाले मैगी भी बनाकर खिला देते हैं। दिल्ली में यह सुविधा नहीं है।” उनकी बात एक दम सही है। फिल्म सिटी में हरेक चाय वाला मैगी भी बनाकर बेच रहा होता है।
इस बीच, सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स, हुंडई, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी दर्जनों बड़ी मल्टी नेशनल कंपनियों के नोएडा में दफ्तर हैं। इनमें भी दिल्ली वाले काम करने के लिए आते ही हैं। दिल्ली और नोएडा के बीच की भूगौलिक दूरियां समाप्त सी हो गई हैं। नोएडा हरेक दिल्ली को अपना ही लगता है। उधर, लखनऊ में योगी आदित्यनाथ की सरपरस्ती में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट चल रहा है। इस समिट को लेकर देश और विदेशों में आयोजित रोड शो के दौरान मिले निवेश प्रस्तावों से साफ है कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा में भी भारी भरकम निवेश आने वाला है। तो माना जाए कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा जाने वाली मेट्रो में दिल्ली वालों की उपस्थिति और भी बढ़ेगी।
एक बात पर गौर करें। आजकल इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (आईजीआई) को जाकर देख लें। आईजीआई में चौबीस घंटे भीड़ रहती है। रोज हजारों हिन्दुस्तानी देश या सात समंदर पार के सफर पर निकल रहे होते हैं। इतने ही दुनिया के अलग-अलग भागों से आ भी रहे होते हैं। अब आईजीआई में अव्यवस्था खासी रहने लगी है। कारण ये है कि अपनी क्षमता से कहीं अधिक मुसाफिर और विमान यहां आ-जा रहे हैं। तो इसका हल क्या है? योगी आदित्यनाथ कह चुके हैं कि जेवर एयरपोर्ट अगले साल से चालू हो जाएगा। बहुत साफ है कि ग्रेटर नोएडा में स्थित जेवर एयरपोर्ट के बनने के बाद ही आईजीआई में लगातार रहने वाली अव्यवस्था से राहत मिलेगी। जेवर एयरपोर्ट में लगभग 30 हजार करोड़ रुपये की लागत से 5845 हेक्टेयर जमीन पर बन रहा है एशिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा।
जेवर एयरपोर्ट और आईजीआई को आपस में जोड़ने के लिए मेट्रो ट्रेन कॉरिडोर बनाया जाएगा। इस स्पेशल मेट्रो कॉरिडोर की लम्बाई करीब 74 किलोमीटर होगी, जिस पर 120 किलोमीटर की रफ्तार से मेट्रो ट्रेन दौड़ेंगी। जेवर एयरपोर्ट स्थित कार्गो की क्षमता 20 लाख मैट्रिक टन होगी, जिसे बढ़ाकर 80 लाख मैट्रिक टन कर दिया जाएगा। जेवर एयरपोर्ट सीधे सड़क, रेल और मेट्रो से जुड़ेगा। दिल्ली से मेट्रो की कनेक्टविटी एयरपोर्ट से किया जाएगा। आसपास के सभी प्रमुख मार्ग व राजमार्ग जैसे यमुना एक्सप्रेस वे, वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस वे, इस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस वे, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे को एयरपोर्ट से लिंक किया जाएगा। साथ ही इस एयरपोर्ट को दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल से भी जोड़ने की योजना है। जिसके बाद दिल्ली और विमानतल के बीच का सफर 21 मिनट का हो जाएगा। यानी आने वाले समय में नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा निवेशकों, आंत्रप्योनर्स तथा पेशेवरों को और आकर्षक लगेगा।
टिप्पणियाँ