उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग ने खाकी की गरिमा और देश के प्रति उनकी जिम्मेदारियों को लेकर सोशल मीडिया पॉलिसी बनाई गई है। इस पर बुधवार को पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) डीएस चौहान ने मुहर लगा दी है। 26 बिन्दुओं पर बनी सोशल मीडिया पॉलिसी लागू होने से पुलिस कर्मिकों को अब रील बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड करना महंगा पड़ेगा। इस नियमावली का उल्लंघन करने पर सख्त विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
यूपी में पुलिस वालों के लिए सोशल मीडिया पॉलिसी बना दी गई है। इसमें सबसे अहम अब बावर्दी पुलिस वालों पर वीडियो रील बनाने पर सख्ती से रोक लगाई गई है। नियमावली के अनुसार सरकारी कार्य में पुलिस वाले सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं कर सकते। किसी की टिप्पणी पर ट्रोलिंग करने से पुलिस कर्मी को रोका गया है। खुद की वाहवाही के वीडियो बनाने पर भी रोक लगाई गई है। अब जन शिकायतों का लाइव प्रसारण भी कार्मिक नहीं कर सकते हैं। कोई भी पुलिस वाला विवादित ग्रुप नहीं ज्वॉइन कर सकता। सोशल मीडिया में प्रोफेशनल डीपी ही इस्तेमाल कर सकते हैं।
सोशल मीडिया को केवल शासकीय हित में इस्तेमाल करने पर जोर दिया गया है। किसी पीड़ित का चेहरा या शिनाख्त को नहीं दे सकते हैं। वरिष्ठ अफसर या सहकर्मी पर कमेंट भी करने पर मनाई की गई है। सोशल मीडिया पर फॉलोबैक में सावधानी बरतने की बात कही गई है। पुलिस कर्मी असलहों का प्रदर्शन, बिना सत्यापित कोई भी सूचना फॉरवर्ड नहीं कर सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि पुलिस कार्मिकों द्वारा सोशल मीडिया पॉलिसी एवं उप्र सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली का उल्लंघन किया जा रहा था। इस तरह के कार्य और सोशल मीडिया के प्रयोग एवं बावर्दी अशोभनीय रूप से वीडियो बनाकर उनको सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर अपलोड करने से पुलिस विभाग की छवि धूमिल हो रही है। इस प्रकार के कई प्रकरणों में सम्बंधित पुलिस कार्मिकों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही भी की गयी है। भविष्य में इस प्रकार के कृत्यों की पुनरावृत्ति न हो, इस हेतु गृह मंत्रालय भारत सरकार, बीपीआर एंड डी एवं इलेक्ट्रानिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमआईईआईटीवाई) की गाइड लाइन, उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक आचरण नियमावली, 1956 (यथा संशोधित 1998, 2002), उत्तर प्रदेश पुलिस वर्दी विनियम, ऑफीशियल सीक्रेट एक्ट तथा अन्य सुसंगत नियमों के अन्तर्गत उप्र पुलिस के समस्त कार्मिकों के लिए उल्लंघन की श्रेणी में आता है।
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