उत्तराखंड में कॉर्बेट पार्क के वन कर्मी हाथी दांत की तस्करी में लिप्त पाए गए हैं। इस बात के सबूत भी मिले हैं कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में वन कर्मियों की मिलीभगत से वन्यजीव अपराध हो रहे हैं। पिछले एक हफ्ते से एसटीएफ ने दो मामलों में तीन लोगों से हाथी दांत की बरामदगी की थी। इसी क्रम में चौथे व्यक्ति विनोद ध्यानी को कालागढ़ के पास से पकड़ा गया है।
विनोद ध्यानी कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में कालागढ़ क्षेत्र में ही बीट वाचर हैं, जिसकी जिम्मेदारी कॉर्बेट पार्क के वन्यजीव-जंतुओं की सुरक्षा और संरक्षण की है। पूछताछ के दौरान उनसे जानकारी मिली है कि पार्क में मरे हाथी के दांत इनके द्वारा निकाल लिए गए थे और उन्हें पूर्व में गिरफ्तार तीन लोगों में बेचा गया था।
इस घटना के बाद से कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में वन्यजीव-जंतुओं की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। बताया गया है कि वन कर्मी दैनिक वेतन भोगी था और ऐसे कई कर्मचारी कॉर्बेट पार्क में सुरक्षा के कार्यों में लगे हुए हैं। एसटीएफ के साथ-साथ अब कॉर्बेट प्रशासन भी इस प्रकरण की अपने स्तर पर जांच पड़ताल कर रहा है। पूर्व में भी कॉर्बेट पार्क से वन्य जीवों के अंगों की तस्करी किए जाने की खबरें प्रकाश में आती रही हैं, जिन पर जांच किए जाने की घोषणा होती है, फिर मामला दबा दिया जाता है।
फतेहपुर में मिला बाघिन का शव
रामनगर फॉरेस्ट डिविजन में फतेहपुर रेंज में एक बाघिन का शव मिला है। शव कई दिन पुराना बताया गया है। बाघिन की मृत्यु कैसे हुई? इस बारे में प्रारंभिक दृष्टि से कुछ भी नहीं बताया गया है। बाघिन के शव का पोस्टमॉर्टम करवा कर उसका बिसरा, लैब में भेजा गया है। वन विभाग सूत्रों के अनुसार इस क्षेत्र में आदमखोर बाघिन भी सक्रिय थी उसके सीसीटीवी चित्रों से भी मृतक बाघिन के चित्रों का मिलान किया जाएगा।
करीब सात साल की युवा बाघिन का शव इतने दिनों तक जंगल में पड़ा रहा, इस पर किसी बीट वाचर की नजर नहीं पड़ी, यदि बाघिन बीमार थी तो उसके इलाज में लापरवाही बरती गई? ऐसे कई सवाल वन विभाग के सामने रखे गए हैं।
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