देहरादून जिले में सेलाकुई क्षेत्र में नदी गधेरो के किनारे योजनाबद्ध तरीके से मुस्लिम आबादी यूपी से आकर बस्ती जा रही है। वन विभाग के जमीन पर अवैध कब्जे कर ये मुस्लिम आबादी अपने घरों पर इस्लामिक झंडे लहरा रही है। एक जगह तो राष्ट्रीय ध्वज से भी ऊंचा हरा इस्लामिक झंडा लहराता हुआ दिखाई दिया।
उत्तराखंड वन विभाग जो छोटी सी सरकारी बिल्डिंग बनाए जाने के काम को अनापत्ति नहीं लिए जाने पर काम रुकवा देता है, ऐसे उदाहरण हल्द्वानी कैंसर अस्पताल, मेडिकल कॉलेज की पार्किंग को लेकर सामने आए है या फिर विभाग के अधिकारियों द्वारा ही पाखरों रेंज में निर्माण किए जाने पर पर मचा हुआ बवाल हो। वन विभाग का दोहरा चरित्र इसलिए सामने आता है कि देहरादून जिले में सेलाकुई स्तिथ मेंटल कॉलेज से आगे नदी किनारे हजारों की संख्या में यूपी से आए मुस्लिमो ने अवैध कब्जे कर टीन शेड डाल लिए हैं। कुछ मकान तो पक्के भी हो गए हैं। इनमे ज्यादातर मुस्लिम लखीमपुर खीरी, सीतापुर, मुजफ्फरनगर, देवबंद, बहेड़ी, पीलीभीत आदि जिले के हैं। कुछ परिवार बिहार, असम से भी यहां आकर बस गए हैं। खास बात ये है कि इन अवैध कब्जेदारों ने अपने घर पर इस्लामिक झंडे तक लगाए हुए हैं। इस आबादी के बीच अब मजारें बनाए जाने का खेल चल रहा है।
जब हमारे संवादाता ने यहां स्वरना नदी किनारे किनारे दौरा किया तो एक जगह राष्ट्रीय ध्वज से ऊंचा इस्लामिक झंडा लगा हुआ दिखाई दिया जोकि गैरकानूनी है।
जानकारी के मुताबिक यहां कांग्रेस के एक नेता राशिद और इरशाद ने बाहरी लोगो को यहां कथित रूप से बसाने का काम किया है। स्थानीय लोगों के मुताबिक यहां वन विभाग , बेनाप सरकारी भूमि को कब्जेदारों को बेचा गया। ऐसे कई लोग थे जिन्होंने बताया कि हमने जमीन राशिद से खरीदी है। राशिद जिला पंचायत सदस्य भी रह चुका है। अपने वोट बढ़ाने के लिए उसके द्वारा यहां लोगों के नाम वोटर लिस्ट में जुड़वाए गए और फर्जी आधारकार्ड के बनाए जाने के मामले सामने आ रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक करीब सात से आठ हजार की मुस्लिम आबादी यहां अवैध रूप से बसाई गई है। इस बारे में पिछले दिनों पुलिस ने सत्यापन अभियान चलाया था किंतु ये अभियान परिणाम आने से पहले ही ठंडे बस्ते में चला गया।
उत्तराखंड में जनसंख्या असंतुलन से जुड़ा ये मामला एक बड़ा उदहारण है। उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में मुस्लिम आबादी असम के बाद सबसे ज्यादा बढ़ती जा रही है जिसको लेकर सरकार और सामाजिक संगठन भी चिंतित बताए जा रहे हैं। हिमाचल की तरह सशक्त भू कानून की मांग यहां जोर पकड़ रही है। हालांकि इसके लिए उत्तराखंड सरकार ने पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार के नेतृत्व में एक समिति बनाई गई है, जिसकी अगले सप्ताह बैठक होने जा रही है।
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