उत्तराखंड में फर्जी डॉक्टरों की प्रैक्टिस किए जाने के मामले का भंडा फूट गया है। डीजीपी ने इस बारे में विस्तृत जानकारी देने के बाद बताया कि आरोपियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कारवाई की जाएगी।
फर्जी डॉक्टरों को बीएएमएस की डिग्रियां बेचने वाले मास्टरमाइंड इमलाख को एसटीएफ ने राजस्थान के अजमेर से गिरफ्तार कर लिया है। देहरादून पुलिस ने आरोपी इमलाख पर 25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया हुआ था। बताया गया है कि वो पुलिस के डर से राजस्थान भाग गया था, जिसे एसटीएफ ने सर्विलांस की मादा से गिरफ्तार किया है और उसके पास से देशभर के शिक्षण संस्थानों के सैकड़ों फर्जी प्रमाण पत्र बरामद हुए हैं।
डीजीपी अशोक कुमार के निर्देश पर एसटीएफ ने बीती 10 जनवरी को राज्य में चल रहे फर्जी डॉक्टरो के एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया था। उस वक्त दो फर्जी डॉक्टरों और इमलाख के भाई को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया गया था। शुरुआती जांच में सामने आया कि इमलाख और उसके भाई ने प्रदेश के कुल 36 लोगों को कर्नाटक की एक यूनिवर्सिटी की डिग्रियां आठ से 10 लाख रुपये में बेची हैं।
डीजीपी को इसकी जब जानकारी मिली तो उनके द्वारा इसके बाद मामले की जांच देहरादून जिला पुलिस को सौंप दी गई। एसएसपी ने जांच के लिए एक टीम गठित कर दी थी। मामले में पांच और फर्जी डॉक्टरों को गिरफ्तार किया गया। जांच में और तेजी लाने के लिए एसएसपी द्वारा ये मामला एसटीएफ को सौंप दिया गया।
एसटीएफ के सीओ नरेंद्र पंत ने बताया कि फर्जी डिग्री बेचने और उसके जरिये भारतीय चिकित्सा परिषद में पंजीकरण की पूरी जिम्मेदारी इमरान का भाई इमलाख लेता था। आरोपी की गिरफ्तारी के लिए एक टीम का गठन किया गया। टीम ने जब लोकेशन पर काम किया तो पता चला कि इमलाख अजमेर के पास किशनगढ़ में है। जहां एसटीएफ की टीन में पहुंच कर इमलाख निवासी शेरपुर, मुजफ्फरनगर को से गिरफ्तार कर लिया गया। एसटीएफ के अनुसार आरोपी के खिलाफ यूपी के मुजफ्फरनगर में भी पहले से कई मुकदमे दर्ज हैं। वह मुजफ्फरनगर जिले का हिस्ट्रीशीटर भी है।
आरोपी को देहरादून लाकर कोर्ट में पेश किया गया कोर्ट ने उसे न्यायायिक हिरासत में जेल भेज दिया है,एसटीएफ अब उसे रिमांड पर लेने की तैयारी कर रही है ताकि इस मामले की तह तक पहुंचा जा सके। डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि देहरादून पुलिस आरोपियों के खिलाफ गैंगस्टर लगा कर उनकी संपत्ति कुर्क करने की तैयारी कर रही है।
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