भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) ने केंद्रीय बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि बजट अर्थव्यवस्था की नब्ज पकड़ने वाला है। केंद्रीय बजट भारत को विकास पथ पर बनाए रखने के लिए फुर्तीले दृष्टिकोण को दर्शाता है।
फिक्की के अध्यक्ष सुभ्रकांत पांडा ने कहा कि बजट संतुलित और प्रगतिशील है जो समावेशी विकास को प्राथमिकता देता है। आज की गई घोषणाएं अर्थव्यवस्था की नब्ज पकड़ती हैं। यह अनुमानों और राजकोषीय समेकन के संदर्भ में विश्वसनीयता बनाए रखती है। सबसे महत्वपूर्ण सार्वजनिक पूंजीगत व्यय खर्च बढ़ाना है जिससे निजी निवेश के अलावा अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों को फायदा होगा।
उन्होंने कहा कि हम राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार की सराहना भी करते हैं। यह बजट को विश्वसनीयता प्रदान करता है। वित्त मंत्री ने विश्वास दिलाया है कि राजकोषीय मजबूती से समझौता किए बिना विकास प्राथमिकता बना रहेगा। इसके अलावा वित्त मंत्री ने 2023-24 के लिए 5.9 प्रतिशत राजकोषीय घाटे का अनुमान लगाकर और 2025-26 तक इसे 4.5 प्रतिशत से नीचे लाने की प्रतिबद्धता को दोहराया है।
पांडा ने कहा कि भले ही भारत वर्तमान वैश्विक संदर्भ में आशा की किरण प्रदान करता है, लेकिन हम बाकी दुनिया से अलग नहीं हैं। हम भारत के निर्यात को प्रतिस्पर्धी बनाने के सरकार के वादे की सराहना करते हैं। यह देखते हुए कि वैश्विक स्तर पर विकास में मंदी का असर हो सकता है। इस संदर्भ में, निर्यात को समर्थन देने के लिए कुछ प्रोत्साहन समयानुकुल है।
एमएसएमई क्षेत्र के लिए बजट में निहित समर्थन को उन्होंने स्वागत योग्य बताया। उन्होंने कहा कि उपार्जन आधारित भुगतान प्रणाली से नकद आधारित भुगतान प्रणाली की ओर कदम फिक्की की लंबे समय से चली आ रही मांग है और यह सुनिश्चित करेगा कि देरी से भुगतान के परिणामस्वरूप एमएसएमई को नुकसान न हो।
उऩ्होंने कहा कि कृषि भारत की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इस पर उचित ध्यान दिया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में युवा उद्यमियों द्वारा कृषि स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि त्वरक कोष की घोषणा की गई है। किसानों के लिए सहकारिता आधारित आर्थिक विकास मॉडल को बढ़ावा देना एक व्यावहारिक कदम है। विकेंद्रीकृत भंडारण क्षमता स्थापित करने की योजना किसानों के लिए उत्साहजनक है क्योंकि इससे बेहतर मूल्य प्राप्त होने की संभावना है।
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