गत 14 जनवरी को माता नर्मदा की उद्गम नगरी अमरकंटक में एक गोष्ठी आयोजित हुई। इसे संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल के सदस्य श्री भैयाजी जोशी ने कहा कि मानव सभ्यता के लिए आस्था और प्रकृति का अस्तित्व बचाए रखना आवश्यक है।
प्रकृति के संरक्षण से ही समाज की सुरक्षा है और यह उसकी शक्ति भी है। इसके लिए हमें जनसामान्य के प्रबोधन का कार्य करना होगा। प्रकृति संरक्षण के लिए जन जागरण, जन प्रबोधन आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण और प्रकृति संरक्षण की हमारी परंपरा रही है। श्री जोशी ने कहा कि लोकतंत्र में सरकार बड़ी शक्ति है, लेकिन सरकार की अपनी विवशताएं होती हैं।
उन्होंने कहा कि हम मनुष्य हैं, हम ही श्रेष्ठ हैं। इस अधिकार से हम प्रकृति पर विजय प्राप्त करना चाहते हैं, जबकि लोगों की अनदेखी और व्यवस्था में कमी पर्यावरण की बड़ी चुनौतियां हैं। कचरा हम ही फेंकते हैं। नदियों में गंदगी हम ही डालते हैं। अधिक उत्पादन के लिए कृषि में रासायनिक खाद, कीटनाशकों का हम ही उपयोग करते हैं।
वनों की अंधाधुंध कटाई, बेहिसाब उत्खनन मनुष्य ही कर रहा है। उन्होंने कहा कि हम सबको प्रकृति का, वसुंधरा का, नदियों का, पर्यावरण के संरक्षण का संकल्प लेना होगा, तभी नर्मदा सहित सभी नदियां बच सकती हैं।
टिप्पणियाँ