उत्तराखंड में देहरादून जिले के चकराता रिजर्व फॉरेस्ट डिविजन के कालसी फॉरेस्ट में पिछले दिनों फॉरेस्ट विभाग द्वारा अवैध रूप से बनी मजारों को तोड़ दिए जाने के बाद हिंदू और मुस्लिम समुदाय आमने सामने आ गए हैं। मुस्लिम समुदाय का कहना है कि जहां वन विभाग ने बुलडोज़र चलाया है वो हमारा कब्रिस्तान था और मजार भी थी। मुस्लिम समुदाय के लोग कोई दो सौ साल पुराना तो कोई सत्तर साल पुराना कब्रिस्तान बताकर इस जमीन को अपना बता रहे हैं।
इस पर वन विभाग का कहना है हमारे पास केंद्र सरकार से एक पत्र आया था, जिसमें इस स्थान पर अवैध मजारों का जिक्र किया गया था और हमने इस पर जांच की तो पाया कि वास्तविकता यही है कि ये अतिक्रमण रिजर्व फॉरेस्ट एरिया में किया गया था जिसे हमने हटवा दिया है।
फॉरेस्ट विभाग द्वारा ये भी कहा गया है कि इस स्थान पर आम आदमी के जाने की मनाही है, लिहाजा इस पर तारबाड़ करके यहां वृक्षारोपण करना है। उधर इस मामले में राज्य सरकार से केंद्र सरकार तक शिकायत करने वाले हिंदू संगठनों का कहना है कि हिंदू आबादी के पास वन भूमि पर अवैध निर्माण करके मुस्लिम समुदाय तनाव फैला रहे हैं। जिसके खिलाफ हम लड़ाई लड़ेंगे।
हिंदू संगठनों के नेता सुरेंद्र जोशी का कहना है कि मुस्लिम समुदाय अपनी जमीन होने का दावा करता है वो झूठ का पुलिंदा है, यहां कभी एसएसबी को युद्ध की ट्रेनिंग दी जाती थी। बाद में ये स्थान वन विभाग के रिजर्व फॉरेस्ट का हिस्सा बन गया। हिंदू संगठन यह भी कहते हैं कि पूर्व में डीएम ने वन विभाग को ये स्थान कब्रिस्तान के लिए देने के लिए वन सचिव को पत्र जरूर लिखा था, किंतु इसके लिए उन्हें अनुमति नहीं मिली क्योंकि ये रिजर्व फॉरेस्ट है और केंद्र सरकार ही इस पर निर्णय ले सकती है। हिंदू संगठनों का कहना है कि मजार जिहाद के तहत यहां मजार बना दी गई और हिंदू आबादी के पास अब कब्र खोदने का खेल होने लगा है।
हिंदू-मुस्लिम दोनों पक्षों ने इस मामले में एसडीएम को अपने-अपने ज्ञापन दिए हैं जिस पर एसडीएम सौरभ कुमार का कहना है कि दोनों पक्षों के भूमि दस्तावेजों के साथ-साथ हमने वन विभाग से भी दस्तावेज मंगवाए हैं। हम संयुक्त रूप जांच कर रहे हैं। जांच में सामने आ जाएगा कि जमीन जिसकी है, फिर उसे सौंप दी जाएगी। फिलहाल हमने दोनों पक्षों को चेतावनी दी है कि माहौल खराब नहीं करें, अन्यथा कानून व्यवस्था की दृष्टि से हम अगली कार्रवाई करने को बाध्य होंगे।
इस मामले में फॉरेस्ट कंजरवेटर डॉ विनय भार्गव ने बताया कि चकराता फॉरेस्ट डिविजन में जो कार्रवाई की गई है वो रिजर्व फॉरेस्ट का एरिया है। अगर कोई कहता है कि हमारा कब्रिस्तान है तो उसकी वैधानिक स्वीकृति उनके पास नहीं है और ऐसे में जंगल में अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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