नेपाल में ईसाई कन्वर्जन का खेल कबसे और किस पैमाने पर चल रहा है इसका हाल ही में एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है। वहां ईसाई मिशनरी भोले-भाले गरीब हिन्दुओं और बौद्धों को निशाने पर रखे हैं। हिन्दू आस्थाओं का मजाक उड़ाकर ईसा की मूर्तियां लगाने और चर्च में जाने का दबाव डाला जाता है।
यह खुलासा हुआ है मीडिया में हाल में आई एक अंतरराष्ट्रीय पोर्टल की खबर से। रिपोर्ट में बताया गया है ‘नेशनल क्रिश्चियन सर्वे’ के आंकड़े उस नेपाल में 7,758 चर्च खुलने का दावा करते हैं जो कभी हिन्दू राष्ट्र हुआ करता था। वहां चर्च का कन्वर्जन षड्यंत्र पूरे जोरों से चल रहा है। इस वक्त जो इस काम में सबसे ज्यादा लगा है वह है दक्षिण कोरिया का एक ईसाई मिशनरी। और वह ऐसा हाल-फिलहाल से नहीं, बल्कि पिछले अनेक वर्ष से करता आ रहा है।
उल्लेखनीय है कि पूर्व हिन्दू राष्ट्र नेपाल में कन्वर्जन करना गैरकानूनी है, परन्तु इसके बावजूद ईसाई मिशनरियां अपना कुचक्र तेजी से चलाती आ रही हैं। वे कन्वर्जन विरोधी कानून के तहत गिरफ्तार होने तक का खतरा मोल उठाते हुए इस साजिश को अंजाम देने में लगी हैं। उनके निशाने पर हमेशा से वे हिंदू रहे हैं जो भोले-भाले और गरीब हैं। इन्हें पैसे का लालच दिया जाता है तो कभी ‘दैवीय चमत्कारों’ से जाल में फंसाया जाता है।
मीडिया रिपोर्ट बताती है कि दक्षिण कोरिया से आकर यहां बसे ईसाई मिशनरी पादरी पांग छांग-इन कन्वर्जन के इस कुचक्र में सबसे बड़ी भूमिका निभा रहा है। उसने एक सुदूर गांव झारलांग में चर्च बनाया हुआ है और लोगों को वहां जाकर प्रार्थना करने का उकसाता है। वहां अधिकतर कन्वर्टिड लोग ‘प्रार्थना’ करने जाते हैं। उनमें भी उस तमांग समुदाय से होते हैं जो बहुत गरीब हैं और बहुत सीधे भी। बताया गया है कि तमांग समुदाय के पूरे गांव को ईसाई बना दिया गया है।
पता चला है कि ईसाई मिशनरी पांग छांग-इन अपनी पत्नी ली जिओंग-ही के साथ पिछले करीब 20 साल से नेपाल में ही बसा हुआ है। इस दौरान उसने नेपाल में 70 चर्च बनवाए हैं। इनमें से अधिकांश चर्च धाधिंग जिले में है। पांग का कहना है कि तमांग समुदाय वाले ही जमीन दान करते हैं और वहां उनसे चर्च बनाने को कहते हैं। इस दक्षिण कोरियाई पादरी का तो यहां तक कहना है कि नेपाल के लगभग सभी पहाड़ी क्षेत्रों में चर्च खड़े हो चुके हैं।
हैरानी की बात है कि ‘नेशनल क्रिश्चियन सर्वे’ बड़े गर्व के साथ बताता है कि भगवान बुद्ध की जन्मस्थली और कभी हिंदू राष्ट्र रहे नेपाल में आज सात हजार से ज्यादा चर्च हैं। यहां तो दक्षिण कोरिया के ईसाई मिशनरी दिन—रात कन्वर्जन में लगे ही हुए हैं, दुनिया के अन्य देशों में भी दक्षिण कोरिया के ही ईसाई मिशनरी बढ़-चढ़कर कन्वर्जन का झंडा उठाए हुए हैं। ‘कोरियन वर्ल्ड मिशन एसोसिएशन’ का एक आंकड़ा दुनिया भर में वहां के लगभग 22 हजार मिशनरियों के इस काम में लगे होने का दावा करता है।
आश्चर्य की बात है कि नेपाल में 2018 से कन्वर्जन विरोधी कानून है, लेकिन तो भी वहां यह सब चलता आ रहा है। कभी कभी कुछ जागरूक हिन्दू संगठनों की वजह से इन ईसाई मिशनरियों के दुष्चक्र का खुलासा हो जाता है और सरकार कुछ कड़े कदम उठाती है, लेकिन उसके बाद फिर से वे मिशनरी अपने उसी काम में लग जाते हैं।
इसी तरह नेपाल के पोखरा में गरीब जनजातीय बच्चों के लिए खोले ‘सेंट पॉल्स हैप्पी होम’ की आड़ में कन्वर्जन में लगीं दो दक्षिण कोरियाई ननों को सितम्बर 2021 में गिरफ्तार करके जेल भेजा गया था। सिस्टर गेमा लूसिया किम और सिस्टर मार्था पार्क ब्योंगसुक को तत्काल जमानत नहीं दी गई। दो महीने वे जेल में रहीं उसके बाद उन्हें जमानत पर छोड़ा गया था। इसी तरह बीच—बीच जब इस तरह की मिशनरी हरकतों के विरुद्ध शोर मचता है तो सरकार कुछेक मिशनरियों को पकड़ती है, बाद में वे अदालत से जमानत पा जाते हैं और वापस अपने षड्यंत्र में जुट जाते हैं।
हालांकि मिशनरी पांग की पत्नी जिओंग यहां तक कहती हैं कि वे हमेशा डर और घबराहट के साए तले काम करते हैं। लेकिन ‘इस डर के कारण तो हम जीसस की शिक्षाओं का प्रसार करना बंद नहीं कर सकते। हम आत्माओं को बचाना जारी रखेंगे’। हालांकि वह यह बात बेशक, चर्च के अपने आकाओं को अपना ‘त्याग और मेहनत’ दिखाने को कहती है।
रिपोर्ट यहां तक बताती है कि ये ही नहीं, करीब 300 कोरियाई मिशनरियों के परिवार बरसों से नेपाल में बसे हुए हैं। ये सभी वहां ‘कारोबार और पढ़ाई’ के लिए जारी वीसा पर आए थे। लेकिन ज्यादातर ‘चर्च की सेवा’ में जुट गए। दिलचस्प बात है कि कोरियाई मिशनरी पांग अपने कन्वर्जन के इस काम को कानून विरोधी मानते ही नहीं। पांग का कहना है कि ‘मिशनरी का उनका काम उनका नहीं है बल्कि यह ईश्वर का काम है’।
दिल्ली राम तो यहां तक कह रहा है कि ‘दिन थे जब हमारे पर लोगों को कन्वर्ट करने के आरोप लगाए गए थे, लेकिन अब तो सरकार हमारे हाथ में है’।
नेपाल में कन्वर्ट होकर पादरी बना दिल्ली राम पौढेल नाम का आदमी आज भले ‘नेपाल क्रिश्चियन सोसायटी’ का अध्यक्ष हो, लेकिन 2018 में इसी व्यक्ति पर कन्वर्जन के आरोप लगे थे, जो बाद में निरस्त कर दिए गए थे। नेपाल में बढ़तीं मिशनरी गतिविधियों से उत्साहित दिल्ली राम तो यहां तक कह रहा है कि ‘दिन थे जब हमारे पर लोगों को कन्वर्ट करने के आरोप लगाए गए थे, लेकिन अब तो सरकार हमारे हाथ में है’। नेपाल के हिन्दू और बौद्ध समाज को आज सबसे बड़ी आशंका यही है कि कम्युनिस्ट प्रचंड के हाथ में सत्ता आने से ईसाई मिशनरी जोश में हैं, उनकी गतिविधियां और बढ़ने के आसार दिख रहे हैं!
A Delhi based journalist with over 25 years of experience, have traveled length & breadth of the country and been on foreign assignments too. Areas of interest include Foreign Relations, Defense, Socio-Economic issues, Diaspora, Indian Social scenarios, besides reading and watching documentaries on travel, history, geopolitics, wildlife etc.
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