देहरादून में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शौर्य धाम का शुभारंभ किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि ये उत्तराखंड का पांचवां धाम है, जहां राष्ट्र की रक्षा में बलिदान हुए वीर सैनानियों का आदर पूजन किया जाएगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद रहे, और उन्होंने कहा कि ये गर्व और शौर्य का धाम है।
चीड़बाग में बने इस शौर्य स्थल जिसे उत्तराखंड का पांचवां धाम कहा जा रहा है, आज केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री धामी ने शौर्य स्थल पर पुष्पचक्र अर्पित कर उत्तराखंड के वीरगति को प्राप्त हुए योद्धाओं को श्रद्धांजलि दी। राजनाथ सिंह ने शौर्य स्थल का अवलोकन किया एवं बलिदानियों के परिजनों से मुलाकात भी की।
उल्लेखनीय है कि इस अनूठे सैन्य धाम में उत्तराखंड के उन 1734 बलिदानियों के घरों के आंगन की मिट्टी को लाकर यहां अर्पित किया गया है। इस दौरान सभी बलिदानी जवानों और अधिकारियों के बलिदान का जिक्र इस धाम में किया गया है।
सैन्य धाम के द्वार का नाम सीडीएस और भारत के पद्म विभूषण जनरल विपिन रावत के नाम पर रखे जाने का फैसला लिया गया था। इस धाम में लाइट एंड साउंड शो और संग्रहालय भी बनाया गया है।
धाम परिसर में वायुसेना के लड़ाकू विमान, थल सेना के युद्धक टैंक और अन्य हथियारों को भी प्रदर्शित किया जा रहा है। दिल्ली में बने सैन्य धाम जैसे ये धाम भी गौरवशाली इतिहास का प्रतीक बनने जा रहा है।
बतादें, भारतीय सेना में 17.4 प्रतिशत सैनिक योगदान उत्तराखंड से रहा है माना जाता है कि उत्तराखंड का हर चौथा परिवार भारत की सुरक्षा का दायित्व निभाता रहा है। पीएम मोदी ने इस धाम की परिकल्पना की थी और अब ये राष्ट्र को समर्पित किया गया है।
सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी, सीडीएस लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (से.नि), सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह, पूर्व राज्यसभा सांसद तरूण विजय एवं मेजर जनरल संजीव खत्री ने भी उत्तराखंड के वीरगति प्राप्त योद्धाओं को श्रद्धांजलि दी।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोल ऑफ स्टील एल्पाइन चैलेंज का उद्घाटन किया जो भारतीय सेना और क्लॉ ग्लोबल (विशेष बलों के दिग्गजों द्वारा संचालित एक संगठन) की अपनी तरह की एडवेंचर स्पोर्ट्स में संयुक्त पहल है।
भारतीय सेना की सबसे पुरानी ब्रिगेड (Ibex Brigade) और वेटरन द्वारा शुरू किया गया स्टार्ट अप (CLAW ग्लोबल की शुरुआत 2019 में हुई) सोल ऑफ स्टील एल्पाइन चैलेंज का आयोजन करने के लिए आर्मी एडवेंचर विंग के बैनर तले एक साथ आए हैं।
सेना जरूरत पड़ने पर पहुंचकर अनुमति और आकस्मिक सहायता के संदर्भ में एसओएस के लिए CLAW को सहायता प्रदान करेगी। CLAW भारतीय सेना द्वारा निर्धारित सभी शर्तों के अनुसार इस चैलेंज की योजना बनाएगा और उसे चलाएगा।
एमओयू के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागियों को सरकार की मंजूरी के अधीन पूरी तरह से निगरानी वाली चुनौती में भाग लेने की अनुमति है। भारतीय सेना की आईबेक्स ब्रिगेड 1905 में स्थापित भारतीय सेना की सबसे पुरानी ब्रिगेड है और एकमात्र इंडिपेंडेंट माउंटेन ब्रिगेड भी है। जोशीमठ में स्थित यह उत्तरी सीमाओं की रक्षा कर रहा है।
चुनौती 4 चरणों में आयोजित की जा रही है। अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागी चरण 3 में शामिल होंगे। प्रतिभागी कल शुरू होने वाली वेबसाइट पर लॉन्च प्रक्रिया के लिए पंजीकरण कर सकते हैं। गढ़वाल हिमालय में चुनौती के अंतिम चरण में कई अंतरराष्ट्रीय टीमें भाग लेंगी। आईबेक्स ब्रिगेड और क्लॉ ग्लोबल इस चुनौती के लिए आर्मी एडवेंचर विंग के बैनर तले एक साथ आए हैं। इससे रोजगार के अवसर सृजित होंगे और राज्य में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
सोल ऑफ स्टील प्रतिभागियों को गढ़वाल हिमालय में पर्वतारोहण और उत्तरजीविता कौशल में प्रशिक्षित करेगा। चुनौती के अंतिम चरण में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली 6 सदस्यीय टीम को शारीरिक और मानसिक धीरज गतिविधियों की एक श्रृंखला के माध्यम से चुना जाएगा। विभिन्न देशों के एथलीट और खिलाड़ी इस वर्ष में आयोजित होने वाले अंतिम चरण में प्रतिस्पर्धा करेंगे ।
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