लखनऊ। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने महर्षि महेश योगी विश्वविद्यालय में गुरुवार को आयोजित संत समागम को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि हम सबके लिए हर्ष की बात है कि अब अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बन रहा है। यह मंदिर केवल भगवान श्रीराम का मंदिर मात्र नहीं होगा, बल्कि रामराज्य के विचार का वैश्विक सांस्कृतिक केंद्र बनेगा।
रक्षामंत्री सिंह ने कहा कि महर्षि योगी ने जिस राम राज्य की परिकल्पना पिछली शताब्दी के आठवें दशक में की थी, वह उनके लिए केवल विचार नहीं था। उसको धरातल पर लाने के लिए उन्होंने बहुत प्रयास भी किए। उन्होंने रामराज्य के विचार की राजधानी अयोध्या में स्थापित करने का संकल्प लिया था। उनका मानना था कि रामराज्य केवल त्रेता ही नहीं, बल्कि इस कलियुग में भी उसकी स्थापना हो सकती है। रामराज्य की स्थापना से उनका तात्पर्य एक आदर्श समाज से था, जहां एक मानव दूसरे मानव को समझ सके। जहां ज्ञान और प्रज्ञा की एक अविरल धारा बहे और समाज के समस्त नागरिक उससे लाभान्वित हो सकें। आज जरूरत है तो इस बात की कि हम गुरुदेव के संदेशों को आत्मसात करते हुए कर्तव्य-पथ पर आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि महर्षि महेश योगी द्वारा मानवता को जो सबसे बड़ी देन थी- भावातीत ध्यान। इस ध्यान की प्रक्रिया बड़ी सरल और सहज है। किसी भी पृष्ठभूमि के लोग कहीं भी इसका अभ्यास कर सकते हैं।
सिंह ने कहा कि अपने प्राचीन ज्ञान, साधना और तप को आधार बनाकर भारत एक बार फिर से समस्त विश्व का मार्गदर्शन कर सकता है और मानवता को एक शांत, सुखमय और समृद्ध विश्व की ओर अग्रसर कर सकता है। महर्षि योगी ने केवल देश में ही नहीं बल्कि देश के बाहर भी वैदिक धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा की और दुनियाभर से लाखों लोगों को इससे जोड़ने का कार्य किया। महर्षि योगी वैदिक धर्म के एक ऐसे ही शिखर पुरुष थे, जिन्होंने ज्ञानपुंज को न केवल अपने भीतर धारण किया, बल्कि विश्व को प्रकाशमान किया।
रक्षामंत्री सिंह ने कहा कि स्वामी विवेकानंद के बाद भारतीयता को, संपूर्ण विश्व में किसी ने सर्वाधिक प्रतिष्ठित किया तो मैं समझता हूं, वह महर्षि महेश योगी ही थे। महर्षि महेश योगी ने योग और साधना के भारतीय ज्ञान को पश्चिमी देशों तक पहुंचाया। केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने संत समागम के दौरान जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती का आशीर्वाद लिया।
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