भारतीय सेना फास्ट ट्रैक प्रक्रिया के माध्यम से आपातकालीन खरीद के तहत सिख सैनिकों के लिए अलग से 12,730 बैलिस्टिक हेलमेट खरीद रही है। सेना ने इसके लिए खरीदें (भारतीय) श्रेणी के तहत रिक्वेस्ट फॉर इन्फॉर्मेशन (आरएफपी) जारी किया है। सिख सैनिकों के लिए बैलिस्टिक हेलमेट दो साइज के खरीदे जाएंगे, जिसमें 8,911 लार्ज और 3,819एक्स्ट्रा लार्ज होंगे।
अब तक सिख सैनिक युद्ध में आधुनिक हेडगियर और उपकरणों का उपयोग करने में असमर्थ थे, जो उन्हें चौतरफा सिर की सुरक्षा प्रदान कर सके। स्मार्ट डिजाइन और तकनीकों का उपयोग करके विकसित किये गए विशेष बैलिस्टिक हेलमेट को ड्यूटी के दौरान सिख सैनिकों के लिए डिजाइन किया गया है। विशेष आकार में होने से सिख सैनिक इसे पगड़ी के ऊपर पहन सकेंगे। हेलमेट के खोल में चौतरफा बैलिस्टिक सुरक्षा प्रदान की गई है। यह हेलमेट अतिरिक्त सामग्री के बावजूद लंबे समय तक इस्तेमाल करने के लिए वजन में काफी हल्का है।
हेलमेट का विशेष डिजाइन अधिकतम स्थितिजन्य जागरुकता, संचार हेडसेट और सहायक उपकरण के साथ अनुकूलता की अनुमति देता है। यह हेलमेट बिना किसी समझौता सुरक्षा के लिए बोल्ट-फ्री डिज़ाइन और ट्विस्फिट स्टेबिलिटी हार्नेस है, जो नाइट विजन और अन्य सामान के साथ उपयोग किए जाने पर भी उत्कृष्ट स्थिरता प्रदान करता है। ग्लोबल डिफेंस एंड होमलैंड सिक्योरिटी कंपनी एमकेयू ने बैलिस्टिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए भारतीय सेना में सिख सैनिकों के लिए एक विशेष ‘वीर हेलमेट’ तैयार किया है। स्मार्ट डिजाइन और तकनीकों का उपयोग करके यह हेलमेट विकसित किए गए हैं।
भारतीय सेना के पैराट्रूपर्स और विशेष बलों के लिए खरीदे गए एयरबोर्न हेलमेट में खराबी मिलने के बाद सरकार ने पिछले साल 22 दिसंबर को 80 हजार बैलिस्टिक हेलमेट खरीदने के लिए मंजूरी दी है। सेना के जवान प्रशिक्षण और संचालन के दौरान फिलहाल फाइबर ग्लास के हेलमेट का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन उन्हें ऑपरेशन के दौरान सुरक्षा के लिए बैलिस्टिक हेलमेट दिए जाने की जरूरत है। बैलिस्टिक हेलमेट में प्रशिक्षण और संचालन के दौरान सैनिकों को हाई-स्पीड राइफल की गोलियों से बचाने की क्षमता होगी। हेलमेट तीन आकारों में आते हैं, जो 5 मीटर या उससे अधिक की दूरी से दागी गई गोलियों से सुरक्षा प्रदान करते हैं। इन बैलिस्टिक हेलमेट का तकनीकी जीवन आठ साल होने की उम्मीद है।
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