चीन में कोरोना महामारी की स्थिति विस्फोटक होती जा रही है और अगर यह काबू से बाहर हुई तो सिर्फ चीन ही नहीं, इसका खामियाजा दुनिया का हर देश भुगतने को मजबूर हो जाएगा। भारत सरकार भी हुई सतर्क
कोरोना महामारी एक बार फिर दुनिया में तेजी से पांव पसारती दिख रही है। पिछले लगभग एक वर्ष से जहां लोग कुछ राहत महसूस करते हुए मास्क, सेनेटाइजर, लिक्विड सोप आदि को एक कड़वी याद की तरह भुलाने के मुहाने पर आ चुके थे, वहीं अब अखबारों की सुर्खियां दिल के किसी कोने में एक आशंका पैदा करने लगी हैं।
क्या कोरोना महामारी फिर लौट रही है? इन पंक्तियों के लिखे जाने तक जो आंकड़े दिख रहे हैं उनके हिसाब से, पूरी दुनिया की बात करें तो, बीते हफ्ते में 36 लाख लोग कोरोना वायरस के नए वाहक पाए गए हैं यानी कोरोना ‘पॉजिटिव’ निकले हैं। इतना ही नहीं, इसी दौरान मौतों का आंकड़ा भी 10 हजार पर जा पहुंचा है। यह सूचना भयभीत करने वाली है, सिर्फ आमजन के लिए ही नहीं, विभिन्न देशों की सरकारों, वैज्ञानिकों, चिकित्सकों, पैरामेडिकल सहयोगियों, नीतिकारों और विशेषज्ञों के माथे पर भी नए सिरे से चिंता की लकीरें उभरती दिख रही हैं।
संकट की आहट!
पिछले लगभग एक माह के दौरान चीन में कोविड को लेकर जिस तरह की परिस्थितियां बनी हैं और जैसे घटनाक्रम देखने में आए हैं, वे फिर से उस देश को कोरोना के नए संभावित खतरे का जनक बनता दिखा रहे हैं। नवम्बर 2020 में चीन की वुहान सी फूड मार्केट से कथित तौर पर उपजा कोरोना का शुरुआती स्वरूप दुनिया को ऐसी बीमारी से परिचित करा गया, जिसके बारे में कभी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी। उससे बचाव के उपायों को लेकर बरती गए लॉकडाउन जैसी स्थिति भी कल्पनातीत ही थी।
लेकिन अब एक बार फिर चीन में कोरोना महामारी की स्थिति विस्फोटक होती जा रही है और अगर यह काबू से बाहर हुई तो सिर्फ चीन ही नहीं, इसका खामियाजा दुनिया का हर देश भुगतने को मजबूर हो जाएगा। कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन का बीएफ.7 के नाम से जाना जा रहा नया वेरिएंट भारी मुसीबत बनता जा रहा है।
चीन सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस नीति’ को जनता ने ‘जनविरोधी’ ठहरा दिया और सरकार को मजबूर कर दिया पाबंदियों में ढील देते—देते अंतत: हर चीज को ‘सामान्य’ करने के लिए। संभवत: उसका दुष्परिणाम यह हुआ कि फिर से हर जगह भीड़भाड़ होने लगी। नतीजा, आज चीन के अनेक शहरों में हाहाकार मचा है। ‘जीरो टॉलरेंस नीति’ ताक पर है और लाशों के अंबार लग रहे हैं। बीएफ.7 कहर बरपा रहा है।
केन्द्र सरकार ने राज्यों को दिए जीनोम सीक्वेंसिंग के निर्देश
चीन में कोविड के मामलों में आए उछाल से भारत सरकार अनभिज्ञ नहीं है। केन्द्र कोरोना महामारी के एक बार फिर से बढ़ते प्रकोप पर लगातार नजर रखे हुए है। इस संदर्भ में सक्रिय भूमिका निभाते हुए केन्द्र ने राज्य सरकारों के लिए विशेष दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण की ओर से नई दिल्ली नगरपालिका तथा आईसीएमआर को पत्र लिखकर कहा गया है कि यदि कोरोना के नए स्वरूपों को समय रहते पहचानना है, तो जीनोम सीक्वेंसिंग करना बेहद जरूरी है।
केन्द्र की ओर से सभी राज्यों को निर्देशित किया गया है कि वे सभी जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए नमूने भेजें। सामने आए नए मामलों की जीनोम सीक्वेंसिंग करने के पीछे उद्देश्य यही है कि कोविड वायरस के नए स्वरूप की फौरन पहचान करके आवश्यक कदम उठाए जाएं। भारत की दृष्टि से अभी यहां कोविड संक्रमण के बहुत ज्यादा मामले नहीं हैं। इस महामारी से मरने वालों की संख्या भी बहुत कम हो चुकी है। लेकिन दुनिया में जिस तरह से यह वायरस फिर से सिर उठाता दिख रहा है, उसे देखते हुए सरकार किसी तरह की ढिलाई न बरतते हुए अभी से सतर्क हो चुकी है।
हालांकि भारत में अभी प्रति सप्ताह औसतन कोरोना संक्रमण के 1200 नए मामले ही देखने में आ रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ दुनिया के विभिन्न देशों से प्रति सप्ताह लगभग 35 लाख नए मामले सामने आ रहे हैं। केंद्र सरकार को संदेह है कि ये नए मामले किसी नए स्वरूप के कारण तो नहीं हो रहे हैं। कहीं ऐसा न हो कि आगामी कुछ दिनों में मामले अचानक बढ़ जाएं और फिर अफरातफरी जैसे हालात बनें। इसलिए केन्द्र सरकार अभी से पूरी सावधानी बरत रहा है। वर्तमान स्थिति से साफ है कि दुनिया से कोरोना महामारी अभी खत्म नहीं हुई है।
ताजा समाचारों पर गौर करने से पता चलता है कि चीन के लगभग सभी बड़े शहरों में कोरोना के नए मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। सबसे ज्यादा प्रभावित शहरों की बात करें तो राजधानी बीजिंग सहित कारोबारी शहर शंघाई, वुहान, झेंगझाउ तथा चेंगदू में बीएफ.7 के संक्रमण से हालात बदतर हो चले हैं। इन शहरों में बीते सप्ताह मरने वालों की संख्या भयभीत करने वाली रही। कोई और उपाय न देख कई शहरों में तो अंदरूनी गलियां तक सील कर दी गई हैं। अस्पतालों से लेकर कब्रिस्तानों तक में लंबी कतारें लगी हैं। सभी अस्पताल अपनी क्षमता से अधिक मरीजों को भर्ती करने को विवश हैं, लिहाजा उनमें जमीन तक पर मरीज लेटे हैं, लेकिन उन्हें देखने को पर्याप्त डाक्टर नहीं हैं। उधर, मरने वालों को दफनाने के लिए उनके परिजन कब्रिस्तानों में अपनी बारी का घंटों तो कई जगह 5—6 दिन का इंतजार करते देखे गए हैं।
‘कोल्ड स्टोरेज’ शवों से पटे पड़े हैं। एक हफ्ते में इतनी ज्यादा मौतों की वजह से अब उनमें भी जगह रिक्त नहीं रही। अगर परिस्थितियां इसी तरह विकट रहीं तो, एक मोटे अंदाजे के अनुसार, चीन में 21 लाख लोग इस महामारी की चपेट में आकर असमय काल के गाल में समा सकते हैं। अगले तीन महीनों के लिए तो विशेषज्ञों के कयास खासतौर पर चिंताजनक हैं। उनका कहना है कि संक्रमण की रफ्तार ऐसी ही रही तो अगले 90 दिन में चीन की 60 प्रतिशत आबादी कोरोना से प्रभावित होगी। ब्रिटेन के सुप्रसिद्ध साप्ताहिक द इकोनॉमिस्ट ने इस खतरे की तरफ इशारा करते हुए लेख छापा है, जिसमें चीन को केन्द्र में रखकर कोरोना की स्थिति बेकाबू होने का अनुमान जताया गया है। इस लेख में ‘द लांसेट’ पत्रिका के हवाले से बताया गया है कि कोरोना पाबंदियों में ढील देने के बाद से चीन में जिस तेजी से महामारी फैल रही है उससे वहां निकट भविष्य में कई लाख लोगों की असमय मृत्यु हो सकती है।
अमेरिका की चेतावनी
कोरोना से बनी स्थितियां सिर्फ चीन में ही काबू से बाहर नहीं हो रही हैं। दक्षिण कोरिया, ब्राजील, जापान और अमेरिका में भी कोरोना संक्रमण को तेजी से बढ़ता देखा जा रहा है। नए सिरे से सिर उठाते प्रकोप के बीच, अमेरिका ने भी अपने यहां भी पहले की भांति कोरोना विस्फोट न हो, उसके लिए निगरानी बढ़ा दी है। अमेरिका में विशेषज्ञों ने चिंता व्यक्त की है कि कोरोना वायरस किसी नए स्वरूप में सामने आ सकता है और यह खतरनाक हालात पैदा कर सकता है। हालांकि इस संदर्भ में अमेरिकी सरकार ने चीन पर आरोप भी लगाया है कि चीन की कम्युनिस्ट सरकार अपने यहां तेजी से बढ़ते मामलों को छुपा रही है, वह असली आंकड़े सामने नहीं ला रही है, इससे महामारी की व्यापकता का ठीक—ठीक अंदाजा नहीं लग पा रहा।
उधर कतर में फुटबॉल का विश्व कप जीतकर लौटी अर्जेंटीना की टीम के स्वागत में राजधानी ब्यूनस एयर्स में जुटी लाखों की भीड़ से वहां कोरोना के मामलों में एकाएक 129 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई है।
कहना न होगा कि विशेषज्ञ अब जिस तेज लहर की आशंका जता रहे हैं उसकी शायद बानगी दिखने लगी है जापान में, जहां 10,55,578 ताजा मामले सामने आए हैं; दक्षिण कोरिया में जहां 4,60,766 मामले सामने आए हैं; फ्रांस में जहां 3,84,184 मामले पता चले हैं; अमेरिका तथा जर्मनी में, जहां दो लाख से अधिक नए संक्रमण दर्ज हुए हैं; और ताइवान में, जहां एक लाख से अधिक मामले रिकार्ड किए गए हैं।
चीनी इ्रंजेक्शन पर नहीं भरोसा!
कोरोना के कहर के बीच चीन में रहने वाले जर्मन लोगों की जान बचाने के लिए जर्मनी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। जर्मनी ने बायोएनटेक-फाइजर वैक्सीन की पहली खेप में 20 हजार खुराकें इस अनुरोध के साथ चीन भेजी हैंकि चीन में रह रहे जर्मन लोगों को यही वैक्सीन लगाई जाएं। दिलचस्प बात यह है कि बायोएनटेक-फाइजर पहली विदेशी वैक्सीन है, जो चीन पहुंची है। यानी जर्मनी को भी अब चीनी वैक्सीन पर भरोसा नहीं रह गया है।
जर्मनी के इस कदम के बाद, चीन ने भी अपनी हेकड़ी दिखाते हुए जर्मन सरकार से कहा है कि उनके यहां रहने वाले चीनियों को चीन की सिनोवैक वैक्सीन ही लगाई जाए।
सतर्क हुआ भारत
भारत में बीएफ.7 वेरिएंट के अब तक तीन मामलों का पता चला है जिनमें से दो गुजरात में तो एक मामला ओडिशा से दर्ज किया गया है। लेकिन संतोष की बात है कि भारत सरकार अभी से सतर्कहो चुकी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 दिसम्बर को कोरोना के बढ़ते खतरे के संदर्भ में एक उच्च स्तरीय बैठक की। इसमें गृह मंत्री अमित शाह, स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया, स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण तथा अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है। कोविड को लेकर पूरी तैयारी रखिए। इससे एक दिन पहले मंडाविया ने भी बैठक करके स्थिति का जायजा लिया था और आपात निर्देश जारी किए थे।
भारत में कोरोना के संभावित खतरे और तैयारी पर डॉ. राजेन्द्र एरन का कहना है कि हमारे देश में सक्रियता से किए गए वैक्सीनेशन के कारण यहां लोगों में ‘हर्ड इम्युनिटी’ अन्य देशों की तुलना में कहीं बेहतर है। लेकिन तो भी केन्द्र सरकार ने अभी से इस समस्या से निपटने के इंतजाम करने शुरू कर दिए हैं, यह स्वागतयोग्य है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के वरिष्ठ राष्टीय उपाध्यक्ष रहे डॉ. एरन कहते हैं कि लोगों को पहले की तरह सावधानियां बरतनी चाहिए। बीएफ.7 वेरिएंट अन्य देशों में जिस तरह का संकट पैदा कर रहा है, उसे देखते हुए सरकार का राज्य सरकारों को जीनोम सिक्वेंसिंग कराने का निर्देश देना बहुत सही कदम है। इससे
वायरस के स्वरूप की पहचान हो सकेगी और उचित समाधान खोजा जा सकेगा।
A Delhi based journalist with over 25 years of experience, have traveled length & breadth of the country and been on foreign assignments too. Areas of interest include Foreign Relations, Defense, Socio-Economic issues, Diaspora, Indian Social scenarios, besides reading and watching documentaries on travel, history, geopolitics, wildlife etc.
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