मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मंगलवार को प्रदेशभर में कोरोना के नए वेरिएंट को परखने और बचाव के लिए डेडीकेटेड हॉस्पिटल में मॉक ड्रिल हुई, जिसमें वेंटीलेटर, दवा, ऑक्सीजन की उपलब्धता को परखा गया। इस दौरान आईसीयू वार्ड में ऑक्सीजन प्लांट के प्रेशर की बारीकी से जांच की गई। प्रदेश के 75 जिलों के करीब 400 से अधिक अस्पतालों में मॉक ड्रिल हुई। इस दौरान हर जिले में सरकार की ओर से नियुक्त किए गए नोडल अधिकारी भी मौजूद रहे। इसके साथ ही डब्ल्यूएचओ के सर्विलांस मेडिकल ऑफिसर भी मॉक ड्रिल के गवाह बने।
वाराणसी में जिला अस्तपाल समेत 11 अस्पतालों में वैश्विक महामारी कोविड-19 के नए वेरिएंट को लेकर मॉक ड्रिल में संसाधनों की जांच की गई। इस दौरान स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता, आइसोलेशन बेड की क्षमता, ऑक्सीजन की उपलब्धता व आईसीयू, वेंटिलेटर का आंकलन किया गया। पं. दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय में मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ.संदीप चौधरी, अपर स्वास्थ्य निदेशक डॉ.अंशु सिंह व मुख्य चिकित्साधीक्षक की मौजूदगी में मॉक ड्रिल हुई। सीएमओ ने कहा कि यदि जनपद में कोरोना के मामले आते हैं तो हम इसके लिए पूर्ण रूप से तैयार हैं। दवाओं की उपलब्धता व ऑक्सीजन की कमी नहीं है। अस्पताल के सभी कर्मचारियों को अलर्ट कर दिया गया है, जिससे हम किसी भी आपात स्थिति में निपटने के लिए तैयार हैं।
गोरखपुर में बीआरडी मेडिकल कॉलेज, 100 बेड टीबी अस्पताल, राजकीय होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज बड़हलगंज, सीएचसी चौरीचौरा और सीएचसी कैम्पियरगंज में कोविड इलाज को लेकर मॉक ड्रिल हुई। इस दौरान तय मानकों का निरीक्षण भी किया गया। ऑक्सीजन की उपलब्धता से लेकर वेंटिलेटर, आईसीयू आदि सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त पाई गईं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आशुतोष दुबे का कहना है कि जिले में कोविड प्रबंधन को लेकर सभी इंतजाम सुनिश्चित हैं। सभी 200 वेंटिलेटर तैयार हैं। 1000 ऑक्सीजन कन्संट्रेटर, 1000 से अधिक बड़े सिलेंडर उपलब्ध हैं। वहीं, आवश्यकता के अनुरूप व्यवस्थाएं बढ़ा ली जाएंगी। उन्होंने बताया कि जिला किसी भी स्थिति से निपटने के लिए टीम पूरी तरह से तैयार है।
आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज, जिला चिकित्सालय, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) बरौली अहीर, सीएचसी खंदौली, सीएचसी सैंया और सीएचसी बाह में बने कोविड वार्ड में मॉक ड्रिल की गई। कोरोना के खतरे को देखते हुए सभी अस्पतालों में डमी कोविड मरीज को भर्ती करने से लेकर इलाज मुहैया कराने तक की मॉक ड्रिल की गई। मॉक ड्रिल के जरिए देखा गया कि किस स्तर पर परेशानी आ रही है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि नए वेरिएंट को देखते हुए कोविड मरीजों के लिए कुल 1402 जनरल बेड और 344 आईसीयू बेड आरक्षित किए गए हैं। सभी चयनित सीएचसी पर नोडल अधिकारियों की नियुक्ति कर दी गई है। वहीं जिला अस्पताल में 40 बेड, एसएन मेडिकल कॉलेज में 68 बेड का कोविड वार्ड बनाया गया है। साथ ही सभी सीएचसी में चार-चार बेड का कोविड वार्ड बनाया गया है।
बरेली कमिश्नर संयुक्ता समद्दार ने मॉक ड्रिल के दौरान वेंटिलेटर की उपलब्धता, क्रियाशीलता, आईसीयू वार्ड में हाई फ्लो नसल कन्यूला बाई पैक मशीन की जानकारी ली। इसके अलावा कोविड-19 के लिए आवश्यक औषधि और वैक्सीन का भी जायजा लिया। अस्पताल परिसर में स्थापित ऑक्सीजन प्लांट पूरी तरह एक्टिव था। ऑक्सीजन प्लांट का प्रेशर प्योरिटी मानकों के अनुरूप पाया गया। ऑक्सीजन एयर फ्लो 960 एलपीएम, प्यूरिटी भी 93 प्रतिशत तथा प्रेशर 4 से 5 की रेंज में पाया गया। ऑक्सीजन प्लांट से सभी बेड में पाइप लाइन द्वारा ऑक्सीजन की सप्लाई हो रही है। उन्होंने बताया कि कोरोना को लेकर 300 बेड के हॉस्पिटल को तैयार किया गया है, जहां शुरुआती चरण में कोविड से बचाव के लिए 75 बेड और 33 वेंटीलेटर की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा 161 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, 48 लीटर के 290 ऑक्सीजन जंबो सिलेंडर उपलब्ध हैं।
प्रयागराज के 8 अस्पतालों में कोविड के नए वेरिएंट से निपटने को लेकर तैयारियों की मॉक ड्रिल की गई। प्रयागराज के स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल, लेवल 1 हॉस्पिटल में फूलपुर, कोटवा मांडा और राम नगर के अलावा लेवल 2 में रेलवे हॉस्पिटल, बेली हॉस्पिटल और यूनाइटेड मेडी सिटी हॉस्पिटल में मॉक ड्रिल हुई। मॉक ड्रिल इंचार्ज डॉक्टर वरुण के मुताबिक जिले में कोविड से निपटने के लिए 1532 बेड उपलब्ध हैं। वहीं 10 ऑक्सीजन प्लांट संचालित हैं। इसके अलावा अस्पतालों में कुल 317 वेंटिलेटर हैं। साथ ही 458 ऑक्सीजन कन्संट्रेटर भी उपलब्ध हैं, जिनमें दस लीटर के 279 और 5 लीटर के 176 हैं।
झांसी के जिला चिकित्सालय और महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में कोविड को लेकर मॉक ड्रिल हुई, जिसमें स्वास्थ्य विभाग के अफसर और प्रशासनिक अफसर मौजूद रहे। इस दौरान ऑक्सीजन की उपलब्धता, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, आईसीयू, वेंटीलेटर और दवाओं की उपलब्धता की जांच की गई। मॉक ड्रिल के दौरान अस्पताल में कमियां मिलने पर अधिकारियों ने अस्पताल प्रशासन के साथ मिलकर उन्हें जल्द से जल्द पूरा करने पर मंथन किया। वहीं, कुछ छोटी-छोटी कमियों को तत्काल दूर करने के निर्देश दिए गए।
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