प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि युवा पीढ़ी को आगे बढ़ने के लिए हमेशा रोल मॉडल्स की जरूरत होती है। भारत की भावी पीढ़ी कैसी होगी यह इस पर निर्भर करता है कि वह किस से प्रेरित होती है। भारत की भावी पीढ़ी को प्रेरणा देने के लिए हर स्रोत इस धरती पर है। वीर बाल दिवस इसी क्रम में एक प्रभावी प्रकाश स्तंभ की भूमिका निभाएगा।
प्रधानमंत्री ने ‘वीर बाल दिवस’ को आजादी के अमृत काल से जुड़े ‘पंचप्रण’ से जोड़ा और कहा कि अगर हमें भारत के भविष्य को सफलता के शिखर पर ले जाना है तो अतीत के संकुचित नजरिया से आजाद होना होगा। इसलिए, आजादी के ‘अमृतकाल’ में देश ने ‘गुलामी की मानसिकता से मुक्ति’ का प्राण फूंका है।
प्रधानमंत्री ने आज दिल्ली के मेजर ध्यानचंद राष्ट्रीय स्टेडियम में आयोजित वीर बाल दिवस कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम के दौरान लगभग 300 बाल कीर्तनियों ने ‘शब्द कीर्तन’ प्रस्तुत किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने दिल्ली में लगभग 3000 बच्चों द्वारा मार्च पास्ट को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री ने श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के दिन 09 जनवरी को घोषणा करते हुए कहा था कि 26 दिसंबर को उनके पुत्रों साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह जी और बाबा फतेह सिंह जी की शहादत को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक राष्ट्र की पहचान उसके सिद्धांत, मूल्य और आदर्श होते हैं। मूल्य तभी तक सुरक्षित रहते हैं जब वर्तमान पीढ़ी के सामने अतीत के आदर स्पष्ट होते हैं। आज भारत वीर बाल दिवस जैसे दिन मनाकर दशकों पहले हुई भूल को सुधार कर रहा है। इसी क्रम में उन्होंने बालकों की प्रेरणा बनने वाले भक्त प्रह्लाद, बालक ध्रुव, भगवान राम के पुत्रों लव-कुश और यमराज को प्रसन्न करने वाले नचिकेता का नाम लिया। साथ ही उन्होंने राम, कृष्ण, गौतम बुद्ध, भगवान महावीर, गुरु नानक देव, महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी का भी उल्लेख किया।
प्रधानमंत्री ने ‘वीर बाल दिवस’ के संदेश को देश के कोने कोने तक पहुंचाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि साहिबजादों का जीवन संदेश देश के हर बच्चे तक पहुंचे, वे उससे वह प्रेरणा ले और देश के प्रति समर्पित नागरिक बने हमें इसका प्रयास करना है। उन्होंने कहा कि वीर बाल दिवस हमें याद दिलाएगा कि शौर्य की पराकाष्ठा के लिए उम्र मायने नहीं रखती। यह दिवस हमें 10 गुरुओं के देश के लिए योगदान और देश स्वाभिमान के लिए सीख परंपरा का बलिदान याद दिलाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि साहिबजादों के बलिदान में हमारे लिए बड़ा उपदेश छिपा हुआ है। सिख गुरु परंपरा एक भारत श्रेष्ठ भारत के विचार का प्रेरणा पुंज है। दो शहजादों का औरंगजेब तलवार के दम पर धर्म बदलना चाहता था। भारत के वीर बेटे मौत से घबराए नहीं। वे दीवार में जिंदा चुने गए और आततायियों के मंसूबों को हमेशा के लिए दफन कर दिया।
उन्होंने उस दौर का भी जिक्र किया और कहा कि एक तरफ आतंक की पराकाष्ठा थी तो दूसरी और आध्यात्मिकता थी। एक तरफ मजहबी उन्माद था और दूसरी तरफ सब में ईश्वर देखने की उदारता। इन सबके बीच एक और लाखों की फौज और दूसरी ओर अकेले होकर भी निडर खड़े गुरु के वीर साहिबजादे। वीर साहबजादे किसी की धमकी से डरे नहीं और किसी के सामने झुके नहीं।
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