मध्यप्रदेश के दमोह में सनातन धर्म छोड़कर ईसाई अपनाने वाले करीब 250 लोगों ने घर वापसी की है। रविवार को मसीही समाज के क्रिसमस पर्व के अवसर पर पुन: सनातन धर्म अपना लिया। इस दौरान आशीर्वाद गार्डन में विधि-विधान से हवन-पूजन कराया गया। फिर बागेश्वरधाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के समक्ष इन सभी को बुलाया गया, जहां इन्होंने अपना धर्म छोड़ने के लिए माफी मांगी और अब कभी भी अपना धर्म न छोड़ने का संकल्प लिया। वहीं, घर वापसी करने वाले सैकड़ों महिला-पुरुष पीठाधीश्वर से मिलने पहुंचे।
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर ने दिलाई शपथ
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर कथावाचक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने इन सभी लोगों को शपथ दिलाई कि वह अब जीवन में कभी दोबारा अपना धर्म छोड़कर किसी और पंथ में नहीं जाएंगे। शपथ इस प्रकार है- “आज सभी दमोह में यह संकल्प लेते हैं, आज से हमेशा, जीवन पर्यंत अपने संतों की, सनातन धर्म की रक्षा के लिए प्राण दे देंगे, परंतु भूलकर भी अन्य पंथ में नहीं जाएंगे। हम श्री हनुमानजी महाराज, रविदास महाराज, मीराबाई, महर्षि वाल्मीकि, गोस्वामी तुलसीदास, जागेश्वर महादेव, बागेश्वर बाला जी, इनके चरणों की सौगंध खाते हैं, हम भूलकर भी कभी दूसरे पंथ में नहीं जाएंगे। हमसे जो गलती हुई है, हमसे जो भूल हुई है दूसरे पंथ में जाने की… प्रभु हमें क्षमा करो, हनुमानजी हमें क्षमा करो, महर्षि वाल्मीकि हमें क्षमा करो, गोस्वामी तुलसीदास हमें क्षमा करो.. सब संतों की जय हो… सनातन धर्म की जय हो… बागेश्वर धाम की जय हो… अब दोनों हाथ मलकर फटकार लगाओ… जिससे जो बलाएं लगी हों दूर हो जाएं।”
ईसाई बनने की कहानी
काफी साल पहले कई प्रकार के लोभ और लालच के चलते शहर के आसपास लगे गांव में रहने वाले करीब 250 लोगों ने अपना हिंदू धर्म छोड़कर इसाई पंथ अपना लिया था। उसके बाद देवी, देवताओं के फोटो अलग कर प्रत्येक रविवार को उन्हे चर्च बुलाया जाने लगा था। यह लोग वापस अपने धर्म में आना चाह रहे थे, लेकिन कोई माध्यम नहीं मिल पा रहा था। सनातम धर्म में वापसी करने वाले युवक जितेंद्र अहिरवार ने कहा कि उसके पिता से मतांतरण कराने वाले लोगों ने मेरे पैरों का इलाज करवाने के लिए कहा था, लेकिन कोई इलाज नहीं करवाया। उनका कहना होता है कि यदि घर पर किसी की मौत भी हो जाए तो पहले चर्च आकर प्रार्थना करनी है, लेकिन वह लोग गरीब हैं, काम पर जाने के कारण प्रार्थना नहीं कर पाते तो घर पर आकर डांटते थे। सनातन धर्म के बारे में गलत बोलते थे।
इस समय दमोह बागेश्वधाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की श्रीराम कथा चल रही है और उन्हीं के समक्ष इन लोगों ने वापस सनातन धर्म अपनाने का प्रण लिया। रविवार को इन सभी लोगों को स्थानीय एक गार्डन में बुलाया गया, जहां पंडितों द्वारा विधि-विधान से हवन और पूजन कराया गया। गंगाजल छिड़ककर शुद्धिकरण किया गया। उसके बाद स्थानीय एक कॉलोनी जहां बागेश्वरधाम पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री रुके हैं। यहां इन सभी लोगों को बुलाया गया, वहां पीठाधीश्वर ने इन सभी लोगों को आशीर्वाद दिया और अपना धर्म छोड़ने की वजह पूछी तो लोगों ने बताया कि पैसों और कई प्रकार के प्रलोभन के कारण उन्होंने सनातन धर्म छोड़कर ईसाई पंथ अपनाया था और अब वह घर वापसी चाहते हैं।
इस मौके पर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि कोई रुपये दे तो ले लो बच्चों की पढ़ाई, उनकी अच्छी परवरिश में खर्च कर दो हम गरीब लोग हैं, लेकिन अब धर्म नहीं बदलना अभी आपके और जो साथी रह गए हैं, उन्हें लेकर आना। हमारे पूर्वजों ने सनातन धर्म के लिए अपने प्राण तक दे दिए हैं उन्हें मत लजवाओ।
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