ग्वादर में पिछले लगभग पचास से ज्यादा दिन से चीन की बंदरगाह परियोजना के विरुद्ध स्थानीय निवासी लामबंद हैं। चीन के लोगों के प्रति वहां आक्रोश चरम पर है। ग्वादर बंदरगाह में काम कर रहे और वहीं रह रहे चीनी नागरिकों को अब स्थानीय नेताओं ने ‘आखिरी चेतावनी’ दी है कि ग्वादर से निकल जाएं।
ग्वादर बंदगाह में चीन की तरफ से काम चल रहा है। इसलिए वहां लगभाग 500 चीनी नागरिक रह रहे हैं। लेकिन अब वे भयभीत हैं क्योंकि स्थानीय लोगों में उनको लेकर गुस्सा बढ़ता जा रहा है। ग्वादर बंदरगाह परिसर में रह रहे इन चीनियों को वहां से जल्द से जल्द चले जाने की चेतावनी दिए जाने से संकेत मिल रहा है कि अब बर्दाश्त की हद पार हो चली है।
पाकिस्तान के विशेष रूप से ग्वादर क्षेत्र में रह रहे चीनियों की सुरक्षा को लेकर सरकार की चिंताएं बढ़ गई हैं, क्योंकि चीनियों के सिर पर खतरा बढ़ गया है। वहां चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना के तहत बंदरगाह निर्माण का काम चल रहा है। पाकिस्तान के बलूचिस्तान सूबे के तहत ग्वादर में चीन की अन्य कई बड़ी परियोजनाएं भी चल रही हैं। इसी वजह से वहां बड़ी संख्या में चीनी मजदूर और अधिकारी रह रहे हैं जो स्थानीय लोगों के गुस्से के निशाने पर हैं।
ग्वादार परियोजना के विरोध का झंड़ा उठाए एक स्थानीय राजनीतिक दल के नेता ने अब ‘आखिरी चेतावनी’ जारी कर दी है। चेतावनी के तौर पर कहा गया है कि चीनी नागरिक जल्दी ही ग्वादार क्षेत्र को छोड़कर निकल जाएं। इसी मांग को लेकर ग्वादर में गत पचास से भी ज्यादा दिन से धरना प्रदर्शन जारी है। इसकी अगुआई ‘हक दो तहरीक’ नाम का दल कर रहा है। इस दल के नेता मौलाना हिदायतुर्रहमान ने यह चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि तहरीक ग्वादर ईस्ट बे एक्सप्रेस-वे और ग्वादर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के निर्माण का विरोध करती है।
ग्वादर में गत पचास से भी ज्यादा दिन से धरना प्रदर्शन जारी है। इसकी अगुआई ‘हक दो तहरीक’ नाम का दल कर रहा है। इस दल के नेता मौलाना हिदायतुर्रहमान ने यह चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि तहरीक ग्वादर ईस्ट बे एक्सप्रेस-वे और ग्वादर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के निर्माण का विरोध करती है।
उल्लेखनीय है कि इन्हें चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना के तहत बनाया जा रहा है। यही नहीं पाकिस्तान में अन्य कई एक्सप्रेस-वे, हवाई अड्डे और बंदहगाह भी इसी परियोजना के तहत बन रहे हैं। इस परियोजना का सबसे ज्यादा विरोध ग्वादर में देखने को मिल रहा है। ‘हक दो तहरीक’ की शिकायत है कि उस क्षेत्र में स्थानीय निवासियों के लिए सिरदर्द बन चुके अनेक सुरक्षा चेक-प्वाइंट्स हैं। इतना ही नहीं, समुद्र से अवैध तरीके से मछलियां पकड़ी जा रही हैं जिससे स्थानीय मछुआरों के पेट पर लात पड़ रही है। तहरीक की मांग है कि ऐसी चीजों पर रोक लगने के साथ ही, ईरान से सटी सीमा पर कारोबार पर जो पाबंदियों लगाई गई हैं, उनमें ढील दी जानी चाहिए। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि ग्वादर के निवासियों में से अनेक का मानना है कि इन सब दिक्कतों के पीछे चीन की बीआरआई परियोजना ही है।
ग्वादर की ग्राम विकास परिषद के अध्यक्ष नसीर सोहराबी का कहना है कि हिदायतुर्रहमान चीनी परियोजनाओं के माध्यम से पाकिस्तान सरकार पर दबाव डाल रहे हैं। उधर चीन सरकार पाकिस्तान पर लगातार चीनियों की सुरक्षा मजबूत करने का दबाव बना रही है। ग्वादर में चल रहे विरोध प्रदर्शन से भी चीन नाराज है और पाकिस्तान से उसे बंद कराने को कहता आ रहा है। वह नहीं चाहता कि उसकी महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड परियोजना में कोई अड़चन आए।
गत वर्ष ग्वादर में हुए लंबे धरने के बाद, पूर्ववर्ती सरकार ने प्रदर्शनकारियों से बात करके वादा किया था कि उनकी मांगों को पूरा कर दिया जाएगा। लेकिन ग्वादर के नेताओं का मानना है कि सरकार ने अपने वादे पूरे नहीं किए इसलिए आंदोलन नए सिरे से शुरू करने को मजबूर होना पड़ा है। गत 10 दिसम्बर को ग्वादर में हजारों महिलाओं ने प्रदर्शन किया था। वहां के लोगों का कहना है कि जो भी स्थानीय निवासियों के हक छीनेगा उसे उसका अंजाम भुगतना होगा। इसी के बाद चीनी नागरिकों के विरुद्ध यह ताजा चेतावनी सामने आई है। कहा जा रहा है कि अब भी अगर स्थानीय नागरिकों की मांगें नहीं मानी जातीं तो बीआरआई से संबद्ध चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना का काम बंद करा दिया जाएगा।
चीन के प्रति पाकिस्तान में बढ़ते आक्रोश और चीन की बीआरआई परियोजना को जल्द से जल्द पूरा करने की जिद की वजह से स्थानीय स्तर पर टकराव बढ़ता जा रहा है। पाकिस्तान सरकार दोराहे पर खड़ी है जहां एक तरह उसका आका चीन है तो दूसरी तरफ नागरिकों का गुस्सा। दोनों में संतुलन बैठाने के उसके अभी तक के सभी प्रयास असफल ही रहे हैं।
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