अयोध्या किसी नगर का नाम नहीं है। वह किसी मंदिर-मस्जिद विवाद की भी जगह नहीं
श्रीरामजन्मभूमि विवाद के बारे में बहुत-सी बातें कही गई हैं। मुझे बहुत दुख होता है, जब मैं सुनता हूं विवाद तब हल होगा, जब सिद्ध कर दिया जाएगा कि श्रीराम वहीं पैदा हुए थे, जिसे उनका जन्म स्थान कहा जा रहा है। यह सिद्ध कैसे होगा? कोई तो यह भी कह सकता है कि श्रीराम पैदा ही नहीं हुए थे।
मेरी दृष्टि में राम एक ऐतिहासिक पुरुष हैं, अयोध्या एक ऐतिहासिक नगरी है, उस नगरी में श्रीराम जन्म स्थान के नाम से एक स्थान है, जहां सम्राट विक्रमादित्य के जमाने से मंदिर रहा है, जो कई बार टूटा है, कई बार बना है। जिसे आज बाबरी मस्जिद भी कहा जाता है। वह भी मंदिर को तोड़कर खड़ा किया गया ढांचा है। इसके प्रमाण हैं, दस्तावेज हैं, गजेटियर हैं।
…बाबरी मसिजद के सवाल पर सभी मुस्लिम सांसद इकट्ठा हो जाते हैं। कम्युनिस्ट सांसद जरूर अलग रहते हैं। अगर श्रीरामजन्मभूमि की रक्षा के लिए भी सभी हिंदू संसद सदस्य इकट्ठे हो गए, तब क्या होगा?
…दो वर्ष पहले मैंने बंबई में एक सार्वजनिक सभा में भाषण करते हुए व्यक्तिगत हैसियत से एक प्रस्ताव रखा था। …मैंने कहा था, ‘‘श्रीरामजन्मभूमि के प्रति हिंदुओं के भक्ति भाव देखते हुए मुसलमान उस स्थान को हिंदुओं को सौंप देंगे।’’ … मेरे सुझाव को किसी ने स्वीकार नहीं किया। इसे स्वीकार भी नहीं किया जा सकता था। (28 मई, 1989 के अंक में प्रकाशित अटल जी के भाषण के अंश)
मुसलमान भाइयों को समझाना चाहिए कि वे मुस्लिम शासकों के अत्याचारों से अपने को जोड़कर न देखें। आज इतिहास का अन्याय धोने की जरूरत है।
हिटलर की नाजी जर्मनी के अत्याचारों का प्रायश्चित करने और माफी मांगने के लिए जर्मनी के राष्ट्रपति ने पोलैंड जाकर यहूदियों के प्रार्थना स्थल पर सिर झुकाने की जो उदारता दिखाई, राम जन्मभूमि पर इतिहास की वैसी ही गलतियां सुधारने के लिए उसी तरह की सदाशयता दिखाने की जरूरत है। मुसलमान भाइयों को समझाना चाहिए कि वे मुस्लिम शासकों के अत्याचारों से अपने को जोड़कर न देखें।
आज इतिहास का अन्याय धोने की जरूरत है। हम ऐसे अन्याय धोते रहे हैं। स्वतंत्रता मिलने के बाद देश के उस पहले मंत्रिमंडल ने सोमनाथ का अन्याय धो डालने का फैसला किया, जिसमें मौलाना अबुल कलाम आजाद शामिल थे। आज हम अयोध्या में राम जन्मभूमि पर किया गया अन्याय धोना चाहते हैं तो शोर क्यों हो रहा है?
राम मंदिर तोड़कर अयोध्या में बाबरी मस्जिद को मीरबाकी ने बनवाया था। उसके कृत्य को कौन स्तुत्य बताना चाह रहा है? अयोध्या किसी नगर का नाम नहीं है। वह किसी मंदिर-मस्जिद विवाद की भी जगह नहीं है। वह तो हमारे स्वाभिमान का प्रतीक है। वहां तो अब मस्जिद भी नहीं है। नमाज नहीं पढ़ी जाती। वहां तो श्रीराम लला विराजमान हैं। उन्हें वहां से कौन हटा सकता है?
जो लोग वोट नापते हैं, ऐसे ही लोग हमें तराजू से तौलते हैं। वोट नापने वाली संस्कृति के लोग ही लालकिले से मोहम्मद पैगम्बर के जन्मदिन की छुट्टी घोषित करते हैं। 15 अगस्त स्वाधीनता दिवस पर लालकिले को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने की प्रथा दुर्भाग्यपूर्ण है। … छुट्टी की घोषणा ही करनी थी तो राम और कृष्ण के जन्मदिन पर करनी चाहिए थी। …रामनवमी और कृष्णाष्टमी पर आज भी सरकारी कार्यालय खुले रहते हैं। लालकिले से की गई घोषणा से पता चलता है कि चिंतन की दिशा भ्रष्ट है।
(भोपाल में भाजपा सांसदों-विधायकों के सम्मेलन में दिए गए भाषण के अंश)
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