संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता करते हुए भारत ने पूरी दमदारी के साथ आतंकवाद पर प्रहार किया। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कल एक विशेष बैठक में तथ्यों के साथ बात करते हुए चीन का नाम लिए बिना उसे एक प्रकार से आतंकवाद को पोसने वाला बताया। जयशंकर ने कहा कि आतंकवादियों का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ढाल बनकर बचाव किया जा रहा है।
इस महीने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता का दायित्व भारत के पास है। कल हुई बैठक में विशेष तौर पर शामिल हुए भारत के विदेश मंत्री ने दमदारी के साथ आतंकवाद पर भारत का मत रखा। उन्होंने संकेत करते हुए कहा कि चीन आतंकवादियों के पैरोकारों जैसा बर्ताव कर रहा है। जयशंकर ने कहा कि कुछ देश हैं जो आतंकवादियों की ढाल बनते हुए अंतरराष्ट्रीय मंचों का दुरुपयोग करने में लगे हैं। इस मौके पर भारत के विदेश मंत्री ने सुरक्षा परिषद में व्यापक सुधार करने की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि बहुत से देश हैं जो इसे बहुत आवश्यक मान रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष चीन पाकिस्तान द्वारा पोषित आतंकवादियों के विरुद्ध लाए गए भारत और अमेरिका के कई प्रस्तावों पर रोक लगा चुका है। इन आतंकवादियों में साजिद मीर, अब्दुल रऊफ, अब्दुल मक्की, शाहिद महमूद जैसे बदनाम जिहादी शामिल हैं।
सुरक्षा परिषद में विदेश मंत्री जयशंकर के भाषण को सदस्य देशों के प्रतिनिधि बहुत ध्यान से सुन रहे थे। जयशंकर अध्यक्ष पद से बोल रहे थे। जैसा पहले बताया, इस पूरे महीने भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता कर रहा है। बैठक में सुरक्षा परिषद में जरूरी सुधारों पर बल देते हुए जयशंकर ने बिना नाम लिए चीन पर चोट की। उन्होंने साफ कहा कि आतंकवाद की समस्या को लेकर जहां विश्व के ज्यादातर देश साथ आगे बढ़ रहे हैं, वहीं कुछ देश अपराधियों को जायज ठहराने और बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय तथा बहुपक्षीय मंचों का गलत तरह से प्रयोग कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष चीन पाकिस्तान द्वारा पोषित आतंकवादियों के विरुद्ध लाए गए भारत और अमेरिका के कई प्रस्तावों पर रोक लगा चुका है। इन आतंकवादियों में साजिद मीर, अब्दुल रऊफ, अब्दुल मक्की, शाहिद महमूद जैसे बदनाम जिहादी सम्मिलित हैं।
सुरक्षा परिषद की यह बैठक ‘मेंटेनेंस ऑफ इंटरनेशनल पीस एंड सिक्योरिटी: न्यू ओरिएंटेशन फॉर रिफॉर्म मल्टीलेटरलिजम’ विषय पर केन्द्रित थी। इसमें भारत की तरफ से जयशंकर ने सुधारों पर जोर दिया। उनका कहना था कि सुरक्षा परिषद में हम सब जानते हैं, सुधारों के पक्ष में भावना बढ़ रही है। हमारी चुनौती है इसके ठोस परिणाम लाना। उन्होंने कहा कि यह चर्चा न सिर्फ यह तय करने में मदद करेगी कि हम संयुक्त राष्ट्र को किस स्वरूप में देखना चाहते हैं, अपितु यह एक वैश्विक व्यवस्था भी है। यह व्यवस्था आज की असलियतों को सबसे सही प्रकार से सामने रखती है।
टिप्पणियाँ