बीरभूम नरसंहार के मास्टरमाइंड लालन शेख की सीबीआई हिरासत में मौत मामले की सीआईडी जांच पर रोक लगाने से हाई कोर्ट ने इनकार कर दिया है। हालांकि प्राथमिकी में नामजद सीबीआई अधिकारियों की गिरफ्तारी पर रोक लगाई गई है।
बुधवार को मामले की सुनवाई जय सेन गुप्ता की एकल पीठ में हुई। सीबीआई की ओर से पुलिस प्राथमिकी रद्द करने संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि इस मामले में किसी भी सीबीआई अधिकारी अथवा सुरक्षाकर्मी का अगर बयान लिया जाता है तो उसकी पूरी वीडियोग्राफी की जाएगी। आगामी बुधवार को मामले की अगली सुनवाई होगी। तब तक यही आदेश बरकरार रहेगा।
कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि शेख की मौत के मामले में कोयला और मवेशी तस्करी की जांच कर रहे सीबीआई अधिकारियों को भी नामजद किया गया है। जब तक कोर्ट आदेश ना दे, तब तक उन अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी। इसके अलावा रामपुरहाट मेडिकल कॉलेज अस्पताल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर भी केंद्रीय एजेंसी ने संदेह जाहिर किया था, जिसके बाद कोर्ट ने कहा कि लालन के शव का दूसरा पोस्टमार्टम कल्याणी एम्स में होगा। उसकी रिपोर्ट का भी इंतजार किया जाएगा।
सीबीआई ने कोर्ट में बताया कि लालन शेख ने अस्थाई कैंप में शौचालय में जाकर खुदकुशी की थी। हिरासत के दौरान उन पर किसी तरह का कोई अत्याचार नहीं किया गया। इसके पहले भी किसी तरह की प्रताड़ना के आरोप नहीं लगे थे। सोमवार को जब उसने खुदकुशी की तो उसके पहले अस्पताल में उसकी चिकित्सकीय जांच कराई गई थी और उसके शरीर पर कहीं भी चोट का कोई निशान नहीं मिला था।
न्यायाधीश जय सेन गुप्ता ने सवाल पूछा कि लालन से हिरासत के दौरान क्या उसकी पत्नी ने कभी मुलाकात की थी? इसके जवाब में सीबीआई ने कहा कि कोर्ट में पेशी के समय दोनों की मुलाकात हुई थी। उन्हें मिलने से किसी ने नहीं रोका था।
उल्लेखनीय है कि गत चार दिसंबर को रामपुरहाट की कोर्ट में लालन को पेश किया गया था। वहां से उसे सीबीआई हिरासत में रखने का आदेश दिया गया था।
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