फुटबाल विश्वकप में पुर्तगाल को हराकर मोरक्को की टीम सेमीफाइनल में पहुंची। इसके बाद दुनिया के कुछ नामचीन मुसलमानों ने इसे इस्लाम की जीत बता दिया। फिर क्या था यूरोप के अनेक देशो में रहने वाले मुस्लिम शरणार्थियों ने मारकाट शुरू कर दी।
कतर में चल रहे फुटबाल विश्वकप में मोरक्को की टीम ने पुर्तगाल को हराकर सेमीफाइनल में जगह बना ली है। यह मोरक्को के लिए बहुत बड़ी बात है। पहली बार ऐसा हुआ है कि कोई अफ्रीकी देश फुटबाल के विश्व कप के सेमीफाइनल में पहुंचा है। इसलिए मोरक्को के लोगों को इस पर खुशी मनाने का पूरा अधिकार है। यहां तक तो ठीक है, लेकिन अन्य देशों में शरणार्थी के रूप में रहने वाले मोरक्को के लोगों को दंगा करने का अधिकार किसने दिया! बता दें कि फ्रांस में रहने वाले मोरक्को के लोगों ने खुशी मनाते हुए जगह—जगह दंगे शुरू कर दिए। उन्हें नियंत्रित करने के लिए फ्रांंस की पुलिस को कई घंटे तक कड़ी मेहनत करनी पड़ी।
बता दें कि फ्रांस में मोरक्को के मुसलमान शरणार्थी के रूप में रह रहे हैं। देखा गया कि जैसे ही दुनिया के कुछ नामचीन मुसलमानों ने मोरक्को की जीत को इस्लाम की जीत बताया, वैसे ही फ्रांस में रहने वाले मोरक्को के लोग सड़कों पर उतर आए। इन लोगों ने जमकर तोड़फोड़ की। राह चलते लोगों के साथ भी मार—पीट की।
खेल में मजहब घुसेड़ने वाले लोग शायद यही चाहते भी हैं। ऐसे कुछ लोगों में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और किक्रेटर रहे इमरान खान, जम्मू—कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, भारत के बारे में फर्जी खबरें फैलाने वाले खालेद बेदौन जैसे लोग शामिल हैं। इन लोगों ने मोरक्को की जीत को इस्लाम की जीत बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
बता दें कि इमरान खान ने मोरक्को की जीत पर लिखा, ”पुर्तगाल पर मोरक्को की जीत और फीफा विश्व कप के सेमीफाइनल में पहुंचने पर बधाई। पहली बार अरब, अफ्रीकी और एक मुस्लिम टीम फीफा विश्व कप के सेमीफाइनल में पहुंची है। मोरक्को को शुभकामनाएं, यह टीम सेमीफाइनल और उससे भी आगे जाए।”
Congratulations to Morocco on their victory over Portugal to reach the Football World Cup semi finals. First time an Arab, African & a Muslim team has reached a FIFA World Cup semi final. Wishing them success in the semi final & beyond.
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) December 11, 2022
वहीं मिशिगन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और भारत के बारे में फर्जी खबरें गढ़ने वाले खालिद बेदौन ने लिखा, ”मोरक्को एक मुस्लिम देश है। यहां 98 प्रतिशत लोग इस्लाम को मानते हैं। टीम का हर खिलाड़ी गोल और जीत के बाद इबादत में सिर झुकाता है। यह दुनिया के दो अरब मुसलमानों की जीत है।”
वहीं दुबई के क्राउन प्रिंस शेख हमदान बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम ने भी एक ट्वीट में लिखा, ”एटलस के शेरों को बधाई! आप अपने प्रशंसकों और दुनियाभर के अरब परिवारों के लिए खुशियां लेकर आए हैं। आज आपके दृढ़ संकल्प के साथ हमने कतर में एक असाधारण मुकाम हासिल किया है। हमारा सपना अब और बड़ा होता जा रहा है ताकि हम और सफलता प्राप्त कर सकें।”
इस मामले में उमर अब्दुल्ला भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने महान फुटबाल खिलाड़ी मेसी का मजाक उड़ाने वाले एक ट्वीट को रीट्वीट किेया है। इसमें दिखाया गया है कि कैसे बाहरी देश मेसी को महान समझते हैं और इस्लामी देश के सामने वे कुछ भी नहीं रह जाते।
2014 में वर्ल्ड कप के विजेता रहे इस्तांबुल के फुटबॉलर मेसुत ओजिल ने मोरक्को की जीत को इस्लाम से जोड़ते हुए लिखा है, ”गर्व हो रहा है। क्या टीम है! मुस्लिम जगत के लिए क्या उपलब्धि है। अच्छा लग रहा है यह देखकर कि आधुनिक फुटबॉल के समय में भी कहानियां सच होती हैं। इससे कई लोगों को ताकत और उम्मीद मिलेगी।”
चाहे इमरान खान हों, क्राउन प्रिंस शेख हमदान बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम हों, मेसुत ओजिल हों या फिर खालिद बेदौन हों, ऐसे लोगों को समझना चाहिए कि उनकी इन हरकतों से ही गैर—मुस्लिम जगत में मुसलमानों को लेकर कई तरह की बातें होती हैं।
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