झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि गोतस्करों के विरुद्ध कार्रवाई पशुपालन अधिकारी की मौजूदगी में हो। भाजपा ने इसे तुष्टीकरण माना है और इसका विरोध किया है।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अभी हाल ही में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पलामू प्रमंडलीय समीक्षा बैठक में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को निर्देश दिया है कि पशु तस्करी को लेकर पुलिस कार्रवाई करने से पहले पशुपालन विभाग के अधिकारियों का साथ होना अनिवार्य होगा।
उस बैठक में मौजूद मनिका के कांग्रेस विधायक रामचंद्र सिंह ने बताया कि पुलिस को ऐसा निर्देश इसलिए दिया गया, क्योंकि कई बार आम ग्रामीण भी अपने पशु दूसरी जगह जाकर बेच नहीं पाते थे। उन लोगों को पुलिस द्वारा परेशान किया जाता था। इसलिए कहा गया कि पुलिस के साथ पशुपालन अधिकारी हो तभी किसी पर कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठाया है। उनके अनुसार पुलिस जानबूझकर ग्रामीणों को परेशान करती है।
हालांकि अभी तक जिला स्तर के पुलिस अधिकारियों को इस निर्देश की कोई सूचना नहीं दी गई है, लेकिन मुख्यमंत्री के इस निर्देश को लेकर लोग अनेक तरह की बातें कर रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इस निर्देश से राज्य में गोतस्करी बढ़ेगी।
हिंदू जागरण मंच के संजय वर्मा का कहना है कि यह पूरी तरह से तुष्टीकरण की राजनीति है। सरकार को अच्छी तरह पता है कि तस्करी करने वाले लोग कौन होते हैं। उसके बाद भी पशु तस्करों के बजाय पुलिस पर रोक लगाने वाला निर्णय लोगों को हैरानी में डालने वाला है। प्रदेश की गरीब जनता खेती और पशुओं पर आधारित है। अगर तस्करी बढ़ती रही तो आने वाले दिनों में गोवंशीय पशुओं की खुलेआम हत्या होगी और सरकार कुछ नहीं कर सकेगी।
भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि जिस राज्य में गोतस्कर एक महिला दारोगा को गाड़ियों से रौंदकर मार डालते हैं, छापेमारी करने गई पूरी पुलिस टीम को बंधक बना लेते हैं, वहां के मुख्यमंत्री पशु तस्करी के खिलाफ पुलिस को कार्रवाई करने से रोक रहे हैं।
जिस राज्य में गौ तस्करों की इतनी हिम्मत हो कि एक महिला दारोगा को गाड़ियों से रौंद कर मार डाले, छापेमारी करने को गई पूरी की पूरी पुलिस टीम को बंधक बना ले।
वहां के मुख्यमंत्री ने कह दिया है कि अब पशुधन तस्करी के खिलाफ पुलिस कार्रवाई नहीं करेगी।
मतलब तुष्टिकरण के लिए अब— Babulal Marandi (@yourBabulal) December 10, 2022
बता दें कि इसी वर्ष 20 जुलाई को रांची जिले के तुपुदाना ओपी की सब इंस्पेक्टर संध्या टोपनो की हत्या पशु तस्करों ने अपनी गाड़ी से कुचल कर कर दी थी। अभी हाल ही में खूंटी जिले के तोरपा प्रखंड में गोकशी में शामिल लोगों को पुलिस पकड़ने गई तो गांव के मुसलमानों ने पूरी पुलिस टीम को बंधक बना लिया। दुर्भाग्य से बंधक बनाने वालों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं हुई, उल्टे एक पुलिस अधिकारी को लाइन हाजिर कर दिया गया।
इसी वर्ष अगस्त महीने में बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के नेता अनुब्रत मंडल को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। इस दौरान पता चला कि गोतस्करी का मुख्य केंद्र बीरभूम है जहां अन्य राज्यों से झारखंड होते हुए गोवंश को पहुंचाया जाता है। यहीं से मुर्शिदाबाद, मालदा होते हुए उन गोवंशों को बांग्लादेश भेजा जाता है और इसके लिए बहुत बड़ा गिरोह काम करता है। सूत्रों के अनुसार इस तरह की तस्करी में कई प्रभावशाली लोग भी शामिल हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार जनवरी, 2020 से मई, 2022 तक पूरे झारखंड में मवेशी तस्करी से जुड़े 871 मामले दर्ज किए गए। इनमें 1,643 लोग गिरफ्तार भी किए गए। सिर्फ रांची में ही इस दौरान 65 मामले दर्ज किए गए, जिसमें 129 तस्करों को गिरफ्तार किया गया। सबसे अधिक हजारीबाग में 130, जमशेदपुर में 106, गुमला में 80, गिरिडीह में 76, गढ़वा में 66, पलामू में 61, लोहरदगा में 34, सिमडेगा में 29, धनबाद में 45 मामले दर्ज किए गए। इसके साथ ही कहीं, कम तो कहीं ज्यादा, लेकिन झारखंड का ऐसा कोई जिला नहीं है जहां पशु तस्करी न हो रही हो।
गोसेवा से जुड़े अजय भरतीया का कहना है कि झारखंड में गोतस्करी के इतने मामलों के बावजूद गोतस्करों के विरुद्ध पुलिस को कार्रवाई से रोकना समझ से परे है।
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